सुप्रीम कोर्ट का आदेश / बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 31 अगस्त तक फैसला सुनाए अदालत, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दर्ज किए जाएं बयान

सुप्रीम कोर्ट का आदेश / बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 31 अगस्त तक फैसला सुनाए अदालत, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दर्ज किए जाएं बयान





पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2020 तक इस मामले की सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो पाया।






  • सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत को आदेश दिया, इसके पहले अप्रैल तक फैसला सुनाने का आदेश दिया गया था

  • मस्जिद गिराने के आरोप में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 नेताओं के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की गई थी


नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले को लेकर महत्वपूर्ण आदेश दिया। कोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत को कहा कि वह इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त तक पूरी करके फैसला सुनाएं। कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाहों के बयान दर्ज करने का भी आदेश दिया है। बता दें कि इसके पहले अप्रैल तक सुनवाई पूरी होनी तय थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते नहीं हो पाई। विशेष अदालत ने कोर्ट को बताया था कि लॉकडाउन के चलते कई गवाहों के बयान नहीं दर्ज हो पाए हैं। ऐसे में सुनवाई पूरी होने में 6 माह और लगेंगे।  


पिछले साल 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रही लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट को निर्देश दिया था कि वो नौ महीने में ट्रायल पूरा कर फैसला सुनाएं। फैसला सुनाते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया था कि जज 6 महीने में सुनवाई पूरी करेंगे और तीन महीने में फैसला लिखकर सुनाएंगे। इसके लिए कोर्ट ने 30 सितंबर को रिटायर हो रहे सीबीआई के विशेष जज एसके यादव के कार्यकाल को भी ट्रायल पूरा होने तक बढ़ाने का आदेश जारी किया था।


आडवाणी समेत 13 नेताओं के खिलाफ दाखिल है चार्जशीट
6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने अयोध्या में बाबरी में विवादित मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया था। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, अशोक सिंघल, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा सहित 13 नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। 


इलाहाबाद हाईकोर्ट कर चुकी है आरोप मुक्त
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से आरोपियों को आरोप मुक्त किया जा चुका है। इस फैसले के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2017 में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सीबीआई की विशेष अदालत को फिर से सुनवाई करने का आदेश दे दिया था। कोर्ट ने मामले में दो साल में दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर ट्रायल को समाप्त करने का आदेश दिया था और कहा था कि विशेष जज का ट्रांसफर नहीं होगा। पीठ ने कहा था कि एक आरोपी कल्याण सिंह को राजस्थान के राज्यपाल होने के नाते संवैधानिक प्रतिरक्षा प्राप्त है लेकिन, जैसे ही वह पद त्यागते हैं तो उनके खिलाफ अतिरिक्त आरोप दायर किए जाएंगे। अब उनके खिलाफ भी ट्रायल चल रहा है।