सुनहरा बचपन
- डॉक्टर अरविंद जैन भोपाल
पचपन में बचपन को याद करना
, सुखद अनुभूति नहीं होगी?
क्या भूलूं ?क्या याद करूं?
रोना-धोना तो याद नहीं
पर उधम करना सीढ़ियों से
उतरना चढ़ना दौड़ना ,
अपने सामान को पकड़ कर रखना
ना किसी को देना ,
एकाधिकार का भाव ,
कब रूठना कब झगड़ना कब मिलना ,
पता नहीं चलता
थोड़े से बहकावे मे,
अपनी मांग भूल जाना
कैसे कोरी स्लेट पर पेंसिल से,
अपनी कल्पना को उतारना
खाने की थाली मैं झपट कर ,
सबके साथ खाना
मुंह छपाना , कभी काकी कभी भाभी ने खिलाया ,
मन के कपड़े दिन भर लिए घूमना
कान पकड़ में आया स्कूल जाना शुरू
उसके बाद पीछे न मुड़ना
कभी ना जाने का बहाना
कभी किसी जिद पूरी कराना
कब बीत गया वह समय,
खेल खेल में
डॉक्टर अरविंद जैन भोपाल
9425006753