पत्थरबाजी से बदनाम हुई थीं इंदौर की टाटपट्टी बाखल, अब कोरोना को मात देकर यहां लहरा रहा है तिरंगा

पत्थरबाजी से बदनाम हुई थीं इंदौर की टाटपट्टी बाखल, अब कोरोना को मात देकर यहां लहरा रहा है तिरंगा



इंदौर। शरह का टाटपट्टी बाखल  वो इलाका है जहां पर घनी बस्ती और सकरी गलियां के बीच छोटे-छोटे घरों में 8 से 10 लोग रहते हैं। यहां जनसंख्या का घनत्व भी ज्यादा है। यही कारण था कि कोरोना लिए ये सबसे मुफीद इलाका था। कोरोना के फैलाव के कारण इस इलाके की स्क्रीनिंग का फैसला लिया गया। लेकिन 1 अप्रैल को जब मेडिकल की टीम इस इलाके में पहुंची तो लोगों ने उन पर हमला कर दिया। लोगों ने उन पर पत्थर बरसाए, टीम के सदस्यों और पुलिस को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। उसके बाद इस इलाके से लगातार कोरोना पॉजिटिव  मरीज मिलते रहे। 4 अप्रैल को उस समय हड़कंप मच गया जब यहां से एक साथ 10 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले। उसके बाद लगातार पॉजिटिव मरीजों के मिलने का सिलसिला चलता रहा और एक के बाद एक 37 मरीज यहां से मिले जिसके बाद 150 से ज्यादा संदिग्ध लोगों को क्वारेंटाइन  किया गया।

टाटपट्टी बाखल में ड्यूटी पर तैनात भी हुए थे संक्रमित
कोरोना के हॉटस्पॉट में शामिल टाटपट्टी बाखल में ड्यूटी दे रही एक डॉक्टर समेत तीन पुलिसकर्मी भी कोरोना पॉजिटिव निकले। ये सभी कंटेनमेंट जोन में तैनात रहने के दौरान संक्रमित हो गए थे। सुखलिया क्षेत्र की रहने वाली महिला डॉक्टर की ड्यूटी टाटपट्टी बाखल क्षेत्र में लगाई गई थी। इसी दौरान वो संक्रमित हो गई। इसी तरह छत्रीपुरा थाने के तीन पुलिसकर्मी जिसमें दो पुलिस जवान और एक ड्राइवर शामिल था वो भी ड्यूटी के दौरान संक्रमित हो गए। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पूरे थाने को क्वारंटीन करना पड़ा।

ऐसे हुआ टाटपट्टी बाखल कोरोना फ्री
जैसे ही टाट्पटटी बाखल में एक साथ 10 पॉजिटिव मरीज मिले प्रशासन और अलर्ट हो गया। पूरे इलाके को सील कर दिया गया। पुलिस ने इसे अपने कब्जे में ले लिया। नगर निगम की टीम ने पूरे इलाके को दिन में दो बार सैनिटाइज करने का काम किया। इसके लिए गलियों में जाने के लिए विशेष मशीने तैयार की गईं और 35 फीट ऊंचाई तक रोज दो बार केमिकल का छिड़काव कर सैनिटाइजेशन का काम किया गया। साथ ही मेडिकल की 15 टीमें बनाकर इलाके में तैनात कर दी गईं, जिन्होंने घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की और संक्रमित मरीजों को क्वारेंटीन सेन्टर तक भेजने का काम किया। नतीजा ये हुआ कि एक महीने बाद इस क्षेत्र में संक्रमण पर लगाम लगना शुरू हो गया है। जो 37 मरीज थे उनमें से पहले 33 मरीजों ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए। फिर उसके बाद चार मरीज और ठीक होकर अपने घर पहुंच गए। जो संदिग्ध लोग क्वारंटीन थे उनकी रिपोर्ट भी निगेटिव आई और वे भी डिस्चार्ज हो गए। इस तरह पूरा क्षेत्र कोरोना मुक्त हो गया है।

तिरंगा लहराकर मनाया जश्न
जब आखिरी मरीज ठीक होकर टाटपट्टी बाखल पहुंचा तो लोगों ने ताली बजाकर और तिरंगा लहराकर जश्न मनाया और डॉक्टरों को धन्यवाद दिया। जब मरीज ठीक होकर घर पहुंचने लगे तो इलाके के लोगों का नजरिया भी बदला। उन्हें समझ में आया कि जिन लोगों की जान लेने की कोशिश की गई थी वे तो उनकी जान बचाने के लिए पहुंचे थे। अब यहां के लोग इन्ही डॉक्टरों और प्रशासन की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं और दूसरों को कोरोना से जंग जीतने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि डॉक्टरों के सहयोग से ही कोरोना से लड़ाई जीती जा सकती है।