आत्मनिर्भर पैकेज का चौथा चरण / स्पेस सेक्टर में नया स्पेस; प्राइवेट फर्म्स भी इसरो की सुविधाओं का कर सकेंगी उपयोग, स्टार्टअप को मौका

आत्मनिर्भर पैकेज का चौथा चरण / स्पेस सेक्टर में नया स्पेस; प्राइवेट फर्म्स भी इसरो की सुविधाओं का कर सकेंगी उपयोग, स्टार्टअप को मौका





स्टार्टअप्स के लिए एक और फिल्ड में काम करने का अवसर मुहैया कराया गया






  • सरकार स्पेस एक्सप्लोरेशन को बढ़ावा देने पर ध्यान देगी 

  • सुधार के लिए पॉलिसी लाकर इसे आसान बनाया जाएगा।


मुंबई. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चौथे दिन स्पेस सेक्टर को लेकर घोषणा की। इसके मुताबिक अब प्राइवेट सेक्टर इसमें भाग ले सकेगा। इसका मतलब है कि अब वे इसरो की सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे। स्पेस सेक्टर में सुधार के लिए पॉलिसी लाकर इसे आसान बनाया जाएगा।


स्पेस सेक्टर में सुधार


स्पेस सेक्टर में सुधार से प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी। इससे निजी कंपनियां इसरो की सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे। स्पेस एक्सप्लोरेशन को बढ़ावा दिया जाएगा। लिबरल जियो नीति पॉलिसी लाई जाएगी। साथ ही देश में स्टार्टअप्स के लिए एक और फील्ड में काम करने का अवसर मुहैया कराया गया है। इससे स्टार्टअप्स को भी शामिल होने का मौका मिलेगा।


पीपीपी मॉडल पर रेडिएशन टेक्नोलॉजी सेंटर बनेगा


इसी तरह एटॉमिक एनर्जी सेक्टर में भी सुधार के कदम उठाए गए हैं। इसके तहत पीपीपी मॉडल पर रेडिएशन टेक्नोलॉजी सेंटर का गठन होगा। इसके लिए रिसर्च रिएक्टर पीपीपी मॉडल पर  बनाए जाएंगें। मेडिकल आइसोटोप का उत्पादन होगा। बता दें कि आइसोटोप का कैंसर इलाज में प्रयोग होता है। पीपीपी से फूड प्रिजर्वेशन के लिए रेडिएशन टेक्नोलॉजी का विकास किया जाएगा।


स्टार्टअप इको सिस्टम को न्यूक्लियर सेक्टर से जोडने की योजना


कृषि सुधारों को बढ़ाने और किसानों की सहायता के लिए खाद्य संरक्षण हेतु irradiation technology का उपयोग करने के लिए पीपीपी मोड में सुविधाएं दी जाएंगी। भारत के मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को न्यूक्लियर सेक्टर से जोड़ने की योजना बनाई गई है। रिसर्च सुविधाओं और टेक आंतरप्रेन्योर के बीच तालमेल को बढ़ावा देने के लिए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट और इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे।


फैसला क्यों लिया गया


वर्तमान में प्राइवेट सेक्टर और स्टार्टअप्स स्पेस के लिए बाहर जाते हैं। अगर इनके लिए योजना बनती है तो देश में पैसे का निवेश होगा और साथ ही रोजगार बढ़ेगा। इसके लिए विदेशी कंपनियों को भी आकर्षित किया जा सकता है। यह सेंसिटिव एरिया है और इसके लिए दिशानिर्देश काफी कड़क होंगे। लेकिन सभी सूचनाएं स्टार्टअप और प्राइवेट कंपनियों को दी जाएंगी।