थाली और घंटी बजाने से कोरोना को हराया जा सकता है : योगी योगानंद

थाली और घंटी बजाने से कोरोना को हराया जा सकता है
====================================== ऊर्जा विशेषज्ञ ने  प्रधानमंत्री को लिखा योग से  विश्व को बचने के लिए पत्र |


थाली और घंटी बजाने से कोरोना को हराया जा सकता है , यह कहना है , ऊर्जा चिकित्सा से अभी तक 6 लाख लोगो का एनर्जी मेडिसिन से सफलता पूर्वक इलाज कर चुके  योगी योगानंद का  |  वर्तमान में  योगानंद अटल बिहारी बाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल  से ऊर्जा चिकित्सा में डॉ  भावना ठाकुर के निर्देशन और डॉ संगीता पवार के मार्गदर्शन में शोध कार्य कर रहे है | इन्होने प्रधानमंत्री , मानव संसाधन मंत्री , मुख्यमंत्री और सयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव सहित अनेक लोगो को पत्र लिखकर  एनर्जी मेडिसिन का कोरोना के मरीजों पर प्रयोग  करने की अनुमति मांगी है | यह चिकित्सा पद्धति योग विज्ञानं पर आधारित है , जिनमे व्यक्ति की असंतुलित ऊर्जा का पता लगाकर उसे संतुलित किया जाता है , इसी तकनीक को भारतीय संस्कृति में पंच तत्त्व संतुलन या चक्र संतुलन कहा गया है , प्रत्येक व्यक्ति की ऊर्जा का स्तर अलग अलग होता है, जिसका पता लगाकर उस व्यक्ति को उसकी ऊर्जा के अनुसार एक निश्चित फ्रीक्वेंसी पर ऊर्जा देने से वह व्यक्ति ठीक हो जाता है , इतना ही नहीं किसी भी व्यक्ति की ऊर्जा का संतुलन बनाकर उसे पहले ही किसी भी बीमारी या संक्रमण से बचाया जा सकता है | साथ ही व्यक्ति के स्वास्थ सुधार में तेजी लायी जा सकती है | योगानंद ने प्रधानमंत्री से एक ऐसे ऊर्जा एप्प का निर्माण करने का   निवेदन किया , जिसके माध्यम से विश्व में कोई भी व्यक्ति कभी भी अपनी ऊर्जा का स्तर बढाकर न सिर्फ बीमारी से बच सकता है, बल्कि अपना प्राथमिक इलाज भी कर सकता है, | उनका कहना है कि प्राण ऊर्जा से न केवल किसी व्यक्ति का इलाज किया जा सकता है, बल्कि व्यक्ति की डी एन ए  संरचना में भी परिवर्तन लाया जा सकता है | हर व्यक्ति अगर अपने चक्र की ऊर्जा का पता लगाकर उसकी फ्रीक्वेंसी के अनुसार घंटी और थाली बजाये तो , कोरोना को हराया जा सकता है | प्राचीन काल में तानसेन मेघ राग गाकर वर्षा करवा देते थे,  एक गायक समान फ्रीक्वेंसी के द्वारा रूम में रखा कांच का गिलास अपने गायन से तोड़ सकता है | रेलगाड़ी किसी भी पुल पर समान गति से नहीं चलायी जाती है, अगर पुल और रेलगाड़ी की फ्रीक्वेंसी समान हो जाये तो पुल टूट सकता है | इसी प्रकार सैनिक कभी भी पुल पर कदम से कदम मिलाकर नहीं चलते है |  इस ऊर्जा चिकित्सा को विश्व के महान वैज्ञानिक निकोलो टेस्ला , सल्फेग्गीओं, डॉ, ओटो वानवर्ग,  इमेटो मसारू सहित अनेक लोग अपने प्रयोगों से सही साबित कर चुके है. |  


प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में उन्होंने प्राण ऊर्जा चिकित्सा की निम्न लिखित विशेषताओं के कारण कोरोना पीड़ित मरीजों का इससे इलाज करने की अनुमति मांगी है - 


1. प्राण ऊर्जा चिकित्सा बिना दवा , बिना इंजेक्शन , बिना दुष्प्रभाव के तुरंत असर दिखाती है |
2 . यह चिकित्सा किसी भी अन्य चिकित्सा के साथ साथ दी जा सकती है |
3 . यह चिकित्सा नवजात शिशु से लेकर कितनी भी आयु वर्ग के व्यक्तियों को दी जा सकती है | 
4 . यह चिकित्सा पद्धति पूर्णत: वैज्ञानिक भारतीय योग विज्ञानं पर आधारित है |
5 इस चिकित्सा पद्धति से विश्व के किसी भी कोने में स्थित व्यक्ति यह पता लगा सकता है, कि वह कोरोना संक्रमित हो सकता है कि नहीं |
6 . विश्व के किसी भी कोने में स्थित कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपनी असंतुलित ऊर्जा को संतुलित करके किसी भी प्रकार की बीमारी से अपने आप को ठीक कर सकता है |
.7 . यह चिकित्सा पद्धति पूर्णत : प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर आधारित है |
8 . यह  चिकित्सा पद्धति मरीज के ठीक होने के बाद भी उसके संक्रमण की संभावनाओं को समाप्त कर देती है |
9 . इस चिकित्सा पद्धति के माध्यम से  व्यक्ति को संक्रमण से बचाया जा सकता है |  
10 . संक्रमित हो चुके व्यक्तियों को जल्द से जल्द ठीक किया जा सकता है |