शिवराज का नैनो मंत्रिमंडल,  5 नए मंत्रियों को राज्यपाल ने दिलाई शपथ


- नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल और सिंधिया खेमे से तुलसी सिलावट मंत्री बने; अभी पांचों मंत्रियों में विभाग की बजाय संभागों का बंटवारा

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल का मंगलवार को गठन हो गया। राजभवन में हुए 13 मिनट के शपथ ग्रहण समारोह में 5 मंत्रियों ने शपथ ली। भाजपा के वरिष्ठ विधायक नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल और मीना सिंह मंत्री बने। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट से तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।


पांचों मंत्रियों में संभागों का बंटवारा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को छोटे मंत्रिमंडल के गठन के बाद कैबिनेट की बैठक की। उन्होंने अभी किसी भी मंत्री को विभाग नहीं दिए हैं। उन्होंने सभी मंत्रियों को दो-दो संभागों का प्रभारी बनाया है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद वे मंत्रिमंडल विस्तार करेंगे।


किस मंत्री को कौन-सा संभाग
1. नरोत्तम मिश्रा-भोपाल और उज्जैन संभाग
2. तुलसी सिलावट-इंदौर और सागर संभाग
3. कमल पटेल-जबलपुर और नर्मदापुरम् संभाग
4. गोविंद सिंह राजपूत-चंबल और ग्वालियर संभाग
5. मीना सिंह- रीवा और शहडोल संभाग



मंत्री रह चुके हैं सभी
शपथ लेने वाले पांचों नेता पहले भी शिवराज और कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कमलनाथ सरकार में सिलावट स्वास्थ्य मंत्री और गोविंद सिंह राजपूत राजस्व और परिवहन मंत्री थे। शिवराज की पिछली सरकार में नरोत्तम मिश्रा जनसंपर्क मंत्री और कमल पटेल चिकित्सा शिक्षा मंत्री थे। मीना सिंह महिला और बाल विकास राज्य मंत्री रह चुकी हैं। शिवराज की नई कैबिनेट में सिलावट सबसे उम्रदराज होने के साथ ही सबसे अमीर मंत्री भी हैं। 65 साल के सिलावट के पास 8.26 करोड़ रुपए की संपत्ति है। वहीं, कैबिनेट की सबसे युवा मंत्री 48 वर्षीय मीना सिंह के पास सबसे कम 1.67 करोड़ की संपत्ति है।


कई वरिष्ठ विधायक होल्ड पर
भाजपा के वरिष्ठ विधायकों गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह, यशोधरा राजे सिंधिया, राजेंद्र शुक्ला और रामपाल सिंह को अभी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। वहीं, कांग्रेस से भाजपा में आए बिसाहूलाल सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभुराम चौधरी को भी फिलहाल होल्ड पर रखा गया है। पहले चर्चा थी सिंधिया के दबाव में मंत्रिमंडल 10 से 12 मंत्रियों का हो सकता है, लेकिन भाजपा आलाकमान ने अभी नैनो कैबिनेट रखने को कहा था। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्?डा से मंजूरी मिलने के बाद सोमवार देर शाम एक बार फिर नामों पर विचार हुआ। साथ ही फोन पर प्रदेश के नेताओं और मुख्यमंत्री के बीच चर्चा हुई। इसके बाद राजभवन को सूचना दी गई कि मंगलवार दोपहर 12 बजे साधारण रूप से शपथ होगी।


कमल पटेल की वापसी
शिवराज और कैलाश विजयवर्गीय के करीबी माने जाने वाले कमल पटेल पहले भी शिवराज सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सिलावट शिवराज की सरकार में जगह मिलने पर इस विभाग की दोबारा जिम्मेदारी नहीं चाहते थे। इसी वजह से हरदा से विधायक कमल पटेल को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।


हर वर्ग को साधने की कोशिश
नए मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की गई है। आदिवासी वर्ग से मीना सिंह, ओबीसी वर्ग से कमल पटेल, अनुसूचित जाति वर्ग से सिलावट और सामान्य वर्ग से नरोत्तम मिश्रा और गोविंद सिंह राजपूत को प्रतिनिधित्व देने के लिए मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।


शिवराज ने 23 मार्च को शपथ ली थी
शिवराज ने 23 मार्च को राजभवन में सादे समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कोरोना संकट को देखते हुए उन्होंने अकेले शपथ ली थी। बिना मंत्रिमंडल के ही शिवराज कोरोनावायरस संकट के दौरान काम रहे थे और इसे लेकर वे विपक्ष के निशाने पर भी थे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कुछ दिन पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि मध्यप्रदेश देश का इकलौता राज्य है, जहां कोरोना संकट के बावजूद कोई स्वास्थ्य मंत्री और गृहमंत्री नहीं है।


34 मंत्री बनाए जा सकते हैं
230 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की संख्या के लिहाज से मंत्रिमंडल में 15 फीसदी यानी 35 सदस्य ही हो सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। शिवराज समेत अब कैबिनेट में 6 सदस्य हैं। 28 विधायकों को बाद में मंत्री बनाया जा सकता है।


कमलनाथ सरकार 20 मार्च को गिर गई थी
दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों की कांग्रेस में बगावत के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को 20 मार्च को इस्तीफा देना पड़ा था।


शिवराज सरकार में विभागों के बजाए मंत्रियों को संभाग का बंटवारा, नरोत्तम भोपाल-उज्जैन के प्रभारी बने
भोपाल। मध्य प्रदेश के शिवराज सरकार के नैनो मंत्रिमंडल गठन के बाद अब मंत्रियों में विभागों के बंटवारे का इंतजार था। लेकिन बंटवारा विभागों का ना कर के उन्हें संभाग बांटे गए हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इन नये मंत्रियों को संभागवार जिम्मेदारी सौंपी गयी है। शिवराज सिंह चौहान के मिनी मंत्रिमंडल के मंत्रियों को मंत्रालय के बजाए संभागों का प्रभार सौंपा गया है। नरोत्तम मिश्रा को भोपाल और उज्जैन संभाग दिए गए हैं। जबकि तुलसी सिलावट इंदौर और सागर संभाग देखेंगे। कमल पटेल को जबलपुर और नर्मदापुरम संभाग की जिम्मेदारी दी गयी है। गोविंद राजपूत ग्वालियर और चंबल संभाग के हालात पर रखेंगे नजऱ। मंत्रिमंडल की अन्य सदस्य मीना सिंह के जिम्मे रीवा और शहडोल संभाग रहेगा। प्रदेश में कोरोना महामारी की रोकथाम के लिहाज से मंत्रियों के बीच विभागों के बजाए संभागों का बंटवारा किया गया है।


मंगलवार को बना मिनी मंत्रिमंडल
23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले शिवराज सिंह चौहान ने लगभग एक महीने बाद मंगलवार को अपने मिनी मंत्रिमंडल का गठन किया। इसमें पांच मंत्रियों को जगह दी गयी है। इनमें से दो ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस से बागी होने के बाद प्रदेश में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गयी थी। सिंधिया और उनकी टीम के बीजेपी में जाने के बाद पार्टी सत्ता में आयी। 23 मार्च को जब शिवराज ने चौथी बार प्रदेश की सत्ता संभाली उस वक्त तक मध्य प्रदेश कोरोना आपदा से घिर चुका था। ऐसे हालात में मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया था। तब से शिवराज अकेले ही प्रदेश की कमान संभाले हुए थे।


सभी मंत्री कद्दावर


डॉ नरोत्तम मिश्रा
विधानसभा- दतिया से लगातार 6 बार विधायक।
ताकत: पूर्व मंत्री भाजपा में संकट मोचक की भूमिका निभाने वाले नेता। मैंनेजमेंट में माहिर, ऑपरेशन लोटस में अहम भूमिका। ग्वालियर-चंबल के कद्दावर नेता। मध्यप्रदेश के बड़े ब्राह्मण चेहरा। शिवराज सिंह चौहान की पूर्व सरकार में भी मंत्री रहे हैं।


तुलसी सिलावट
विधानसभा सीट: इंदौर की सांवेर विधानसभा से लगातार 4 बार विधायक रहे। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हुए। कांग्रेस के बागी विधायकों में से एक।
ताकत: सिंधिया कैंप से सबसे अनुभवी नेता, सिंधिया के भरोसेमंद, दलित चेहरा, भाजपा में तेजी से मान्यता स्थापित की। टास्कफोर्स के सदस्य। कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे। मालवा क्षेत्र के बड़े चेहरे।


गोविंद सिंह राजपूत
विधानसभा- सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हुए।
ताकत: सिंधिया के करीबी नेता, मंत्री पद छोडऩे के कारण स्वाभाविक दावेदारी थी। कमलनाथ सरकार में राजस्व वा परिवहन मंत्री थे। बुंदेलखंड के बड़े चेहरे। क्षत्रीय वर्ग से आते हैं।


मीना सिंह
विधानसभा: उमारिया जिले की मानपुर विधानसभा सीट से पांचवीं बार विधायक।
ताकत: आदिवासी और महिला चेहरा, शिवराज कैंप की नेता, पूर्व मंत्री। मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। विंध्य में बड़ा आदिवासी चेहरा।


कमल पटेल
विधानसभा: हरदा जिले की हरदा विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रहे।
ताकत: संघ की पसंद, शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं। पहले भी मंत्री रह चुके हैं। निमाड़ के कद्दावर नेता।