रमजान / दारुल उलूम देवबंद का फतवा- कोरोनावायरस का टेस्ट कराने से रोजा नहीं टूटेगा, रुई की स्टिक पर कोई दवा या केमिकल नहीं होता

रमजान / दारुल उलूम देवबंद का फतवा- कोरोनावायरस का टेस्ट कराने से रोजा नहीं टूटेगा, रुई की स्टिक पर कोई दवा या केमिकल नहीं होता




  • यह फोटो श्रीनगर की है। मोबाइल कोविड-19 बूथ में पूरी किट पहनकर स्वास्थ्यकर्मी कोरोनावायरस के टेस्ट सैंपल कलेक्ट कर रहे हैं।यह फोटो श्रीनगर की है। मोबाइल कोविड-19 बूथ में पूरी किट पहनकर स्वास्थ्यकर्मी कोरोनावायरस के टेस्ट सैंपल कलेक्ट कर रहे हैं।





  • उत्तर प्रदेश के बिजनौर में रहने वाले अरशद अली ने दारुल उलूम देवबंद से इस बारे में पूछा था

  • देवबंद के मुफ्तियों की पीठ ने कहा- कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल देने से रोजे पर फर्क नहीं पड़ेगा




 



सहारनपुर. दीनी तालीम के सबसे बड़े मरकज दारुल उलूम देवबंद ने अहम फतवा जारी किया है। मंगलवार को आई खबर के मुताबिक, फतवे में कहा गया है कि रोजे की हालत में कोरोनावायरस (कोविड-19) का टेस्ट कराना जायज है। जांच के दौरान स्टिक पर कोई केमिकल नहीं लगा होता है। इसलिए, कोरोना का टेस्ट कराने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।


दरअसल, बिजनौर के रहने वाले अरशद अली ने दारुल उलूम देवबंद से सवाल किया था कि, क्या रोजेदारों का टेस्ट करवाना जायज है? इससे कहीं रोजा तो टूट नहीं जाएगा? कारण कि इस बार माह-ए-रमजान कोरोना के संकट काल में शुरू हुआ है। मुस्लिम धर्मावलंबी 30 दिन रोजा रखते हैं। रोजे के दौरान टेस्ट कराने को लेकर कई तरह की आशंकाएं लोगों के मन में उमड़ रही हैं।


फतवे में कहा- टेस्ट करवाने से रोजे पर फर्क नहीं पड़ेगा


दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों की खंडपीठ ने फतवे में कहा कि कोरोना टेस्ट के दौरान नाक या हलक (मुंह) में रुई लगी स्टिक डाली जाती है। उस स्टिक पर किसी तरह की कोई दवा या केमिकल नहीं लगा होता है। यह स्टिक नाक या मुंह में सिर्फ एक बार ही डाली जाती है। ऐसे में रोजे की हालत में कोरोनावायरस का टेस्ट कराने के लिए नाक या हलक का गीला अंश देना जायज है। ऐसा करने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।


उत्तर प्रदेश में 1993 संक्रमित, इसमें से 1089 जमाती


उत्तर प्रदेश में अब तक संक्रमण के 1993 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 1089 लोग तब्लीगी जमात से जुडे़ हुए हैं। संक्रमण से अब तक 33 की जान जा चुकी है।