प्राण ऊर्जा -  सभी समस्याओं के  समाधान की कुंजी  

प्राण ऊर्जा -  सभी समस्याओं के  समाधान की कुंजी
==================================
                          ----------   योगी योगानंद 
आपने अधिकतर डॉक्टर को यह कहते हुए सुना होगा, कि प्राण निकल गए अब हम कुछ नहीं कर सकते , मतलब साफ है, इस शरीर में प्राण सबसे महत्वपूर्ण चीज है | यह प्राण तत्त्व वह चीज है, जिसके शरीर में कमी होने से व्यक्ति अनेक  बीमारियों  से ग्रसित हो जाता है, इसका स्थान विश्व की किसी भी चिकित्सा पद्धति से ऊपर  है  | प्राण तत्व  का निर्माण शरीर में ऑक्सीजन और ऊर्जा से मिलकर होता है  |  योग विज्ञानं में 5  प्रकार के प्राण बताये गए है  , ये है प्राण , उदान , अपान  व्यान और समान | 
हमने इस प्राचीन दिव्य चिकित्सा पद्धति को चक्र विज्ञान , पञ्च तत्त्व , आयुर्वेद , ज्योतिष , प्राकृतिक चिकित्सा , आयुर्वेदिक एक्यूप्रेस्सर से जोड़कर जब अनेक मरीजों पर प्रयोग किये तो अनेक चौकाने वाले परिणाम सामने आये |  अनेक मरीज जिनको 30 - 30 पुरानी तकलीफ थी, एक दिन में ही निशुल्क , बिना एक पैसा खर्च करते हुए ठीक होते आप भी देख रहे है, | 


प्राण ऊर्जा चिकित्सा की विशेषताएँ 
=======================
1. प्राण ऊर्जा चिकित्सा बिना दवा , बिना इंजेक्शन , बिना दुष्प्रभाव के तुरंत असर दिखाती है | 
2 . यह चिकित्सा किसी भी अन्य चिकित्सा के साथ साथ दी जा सकती है | 
3 . यह चिकित्सा नवजात शिशु से लेकर कितनी भी आयु वर्ग के व्यक्तियों को दी जा सकती है | 


4 . यह चिकित्सा पद्धति पूर्णत: वैज्ञानिक भारतीय योग विज्ञानं पर आधारित है | 
5 इस चिकित्सा पद्धति से विश्व के किसी भी कोने में स्थित व्यक्ति यह पता लगा सकता है, कि वह कोरोना संक्रमित हो सकता है कि नहीं | 
6 . विश्व के किसी भी कोने में स्थित कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपनी असंतुलित ऊर्जा को संतुलित करके किसी भी प्रकार की बीमारी से अपने आप को ठीक कर सकता है | 
.7 . यह चिकित्सा पद्धति पूर्णत : प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर आधारित है | 
8 . यह  चिकित्सा पद्धति मरीज के ठीक होने के बाद भी उसके संक्रमण की संभावनाओं को समाप्त कर देती है |
9 . इस चिकित्सा पद्धति के माध्यम से  व्यक्ति को संक्रमण से बचाया जा सकता है |  
10 . संक्रमित हो चुके व्यक्तियों को जल्द से जल्द ठीक किया जा सकता है | 



सिद्धान्त - 


========


1 मैडिटेशन - सर्वप्रथम व्यक्ति की असंतुलित ऊर्जा का पता लगाकर उसकी सम्बंधित पंच तत्व ऊर्जा को संतुलित किया जाता है, फलस्वरूप  डेल्टा तरंगों के चलने से उसके शरीर में सुधार की प्रक्रिया तेज हो जाती है | इसी समय तेज साँसो के माध्यम से शरीर में उपस्थित अम्लीय पदार्थों का निष्कासन तीव्र होता है, और शरीर अल्केलायन होने से वायरस को शरीर खुद समाप्त कर देता है | 


नावेल पुरस्कार विजेता डॉ. ऑटो वोनवर्ग के अनुसार कैंसर सहित सभी प्रकार के वायरस और वैक्टीरिया ऐसिडिक वातावरण में ही पनपते है | 
हाइड्रोऑक्सी क्लोरोकवीन  दवा भी एसिडिक शरीर के एल्कलाइन में बदलने का कार्य करती है | 


आज से 3000  साल पहले भारतीय चिकित्सा विज्ञानी ऋषि बाग्भट्ट जी ने अपने ग्रन्थ अष्टांग ह्रदय में बताया कि अनेक असाध्य बिमारियों का कारण शरीर में एसिड की मात्रा अधिक हो जाना है |  इसी बात को जर्मनी के डॉक्टर ओट्टो वोनबर्ग ने बताया की कैंसर सहित सभी बीमारियां शरीर में एसिड के बढ़ने के कारण ही होती है | इन्हे 1931 में चिकित्सा का नोवेल पुरस्कार दिया गया | 
Otto Heinrich Warburg,* नोबेल पुरस्कार विजेता, 1931.


“No Disease including cancer, can exist in an Alkaline envioronment” Dr. Otto Heinrich Warburg – Noble Prize Winner 1931



2 . पानी को ऊर्जामय बनाना  


=================


जल एक जीवित वस्तु है , जिसे आप दिव्य औषधि बना सकते है | यह हमारे धार्मिक ग्रन्थों में सदियों से वर्णित है | परन्तु जापान के वैज्ञानिक मसारू इमोटो में वैज्ञानिक आधार पर इसे सही साबित कर दिया , उन्होंने पानी को फ्रीक्वेंसी के आधार पर पानी की  क्रिस्टलीय संरचना  में परिवर्तन कर दिया  और इस पानी को पीने से अनेक प्रकार की बीमारियाँ ठीक हुयी , जबकि दूसरी ओर पानी पर अलग फ्रीक्वेंसी पर देखा गया कि पानी की संरचना बहुत ख़राब हो गयी | पानी में उपस्थित ऊर्जा हमारे शरीर में प्रवेश करके शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं |  { Meesage from water -Masaru umetto } 
ऊर्जा के माध्यम से पानी को किसी भी बीमारी को ठीक करने लायक बनाया जा सकता है | मसारु इमीटो ने हजारों लोगों की बीमारियों को  सिर्फ पानी से ही ठीक किया | 



3. ऊर्जा संतुलन 
==========
शरीर में स्थित विभिन्न अंत स्रावी ग्रंथियों जिन्हे हम चक्र के नाम से जानते है, उन पर अगर एक निश्चित फ्रीक्वेंसी की ऊर्जा डाली जाये, तो वे संतुलित होकर सही तरह  से कार्य  करने लगते है, और किसी भी बीमारी को ठीक किया जा सकता है, उदहारण  मणिपुर चक्र 528  hz पर संतुलित किया जा सकता है, इस आवृति पर डीएनए की संरचना में भी परिवर्तन किया जा सकता है | इसी तरह विशुद्धि चक्र को 741 hz पर संतुलित करके किसी भी वायरस के प्रभाव की निष्प्रभावी किया जा सकता है | 


विश्व के महान वैज्ञानिक  निकोलो टेस्ला  और solfeggio ने अपने प्रयोगो द्वारा भारतीय योग विज्ञान की चक्रों की अवधारणा और उनकी आवर्ति { Frequency } को सही साबित किया | 


4.आभा मंडल की वृद्धि 
===============
 शारीरिक सुरक्षा कवच को मजबूत करना हमारे शरीर के चारो तरफ एक सुरक्षा कवच होता है, जिसे आभा मंडल कहते है, एक निशिचत फ्रीक्वेंसी के माध्यम से इस ऊर्जा के आवरण को बढ़ाया जा सकता है |  रूस के वैज्ञानिक सेमुएल कार्लिअन ने एक ऐसा कैमरा बनाया जिसके माध्यम से किसी भी व्यक्ति के आभा मंडल को देखा जा सकता है | 


  5. ऊर्जा परिपथ { एनर्जी हाईवे }
=====================
 शरीर में ऐसे अनेक बिंदु होते है, जो किसी भी अंग की ऊर्जा को संतुलित करने में रिमोट कण्ट्रोल का कार्य करते है | जिस अंग विशेष में बीमारी का प्रकोप हुआ है, उस अंग के ऊर्जा परिपथ पर उस अंग की फ्रीक्वेंसी के सामान फ्रीक्वेंसी की ऊर्जा का प्रवाह देने पर किसी भी बीमारी का इलाज बिना दुष्प्रभाव के ठीक किया जा सकता है, | यह आयुर्वेद की पद्धति है, जिसे महर्षि चरक ने दिया है |  


   योगेंद्र योगी


भोपाल