न्यूयॉर्क टाइम्स से / एक्सपर्ट्स बोले- अमेरिका पाबंदियों में ढील देने से पहले कोरोना टेस्टिंग को 3 गुना बढ़ाए, नहीं तो हालात बिगड़ेंगे; अभी एक दिन में 1.46 लाख टेस्ट हो रहे

न्यूयॉर्क टाइम्स से / एक्सपर्ट्स बोले- अमेरिका पाबंदियों में ढील देने से पहले कोरोना टेस्टिंग को 3 गुना बढ़ाए, नहीं तो हालात बिगड़ेंगे; अभी एक दिन में 1.46 लाख टेस्ट हो रहे




  • तस्वीर बोस्टन हार्ट डायग्नोस्टिक्स सेंटर की है। यहां लैब में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जा रही है।तस्वीर बोस्टन हार्ट डायग्नोस्टिक्स सेंटर की है। यहां लैब में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जा रही है।





  • हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है- अमेरिका को इकोनॉमी खोलने से पहले एक दिन में 5 से 7 लाख कोरोना टेस्ट करने होंगे

  • अमेरिका में अभी तक 37 लाख लोगों के टेस्ट हुए, फिलहाल रोजाना औसतन एक लाख लोगों में से सिर्फ 45 का ही टेस्ट हो रहा है

  • अमेरिका में सबसे ज्यादा पॉजिटिव रेट 20% है, न्यूजर्सी में 1.57 लाख टेस्टिंग में से करीब आधे लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए




 



वॉशिंगटन. कीथ कोलिन्स. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश की अर्थव्यवस्था को तीन चरणों में खोलने का ऐलान किया है। कई अमेरिकी प्रांतों के गवर्नर भी प्रतिबंधों में ढील देना चाहते हैं। इसको लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि प्रतिबंधों में ढील देने से पहले अमेरिका को मौजूदा कोरोना टेस्टिंग को तीन गुना तक बढ़ाना होगा। उससे पहले किसी तरह की ढील से बहुत ज्यादा खतरा बढ़ जाएगा।


टेस्टिंग बढ़ाना बेहद जरूरी, ताकि स्वस्थ लोग संक्रमितों से दूर हो सकें
कोविड ट्रैकिंग प्रोजेक्ट के अनुसार अभी अमेरिका में एक दिन में एक लाख 46 हजार लोगों की कोरोना टेस्टिंग की जा रही है। अभी तक करीब 37 लाख लोगों की टेस्टिंग की जा चुकी है। अमेरिका को मई के मध्य तक फिर से पूरी तरह से खोलने के लिए एक दिन में 5 लाख से 7 लाख तक टेस्टिंग करनी होंगी। शोधकर्ताओं के अनुसार टेस्टिंग का स्तर बढ़ाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा संक्रमितों की पहचान कर उन्हें स्वस्थ लोगों से दूर कर बेहद जरूरी है।



अमेरिका की पॉजिटिव रेट दुनिया में सबसे ज्यादा
अमेरिका में अभी एक दिन में जितने लोगों की टेस्टिंग हो रही है, उसमें से 20 फीसदी लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। शोधकर्ताओं ने बताया है कि यह दर बहुत ज्यादा है। हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर आशीष झा ने बताया कि अगर किसी देश की पॉजिटिव रेट ज्यादा है तो इसका मतलब साफ है कि वहां उन संक्रमितों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिनका टेस्ट नहीं किया गया है। ऐसे में पॉजिटिव रेट कम करने के बाद ही अर्थव्यवस्था को खोलना बेहतर होगा। इसके लिए जरूरी है कि संक्रमित लोगों की ज्यादा से ज्यादा पहचान की जाए। शोधर्कताओं ने बताया कि टेस्टिंग बढ़ाकर हम पॉजिटिव रेट को 10 प्रतिशत तक घटा सकते हैं। अमेरिका में अभी पॉजिटिव रेट 20 प्रतिशत है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक यह रेट दुनिया में सबसे ज्यादा है। जर्मनी में पॉजिटिव रेट 7 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में तीन प्रतिशत है। अमेरिका के अलग-अलग राज्यों की टेस्टिंग और पॉजिटिव रेट में भी भिन्नता है।



अमेरिका में सबसे ज्यादा पॉजिटिव रेट न्यू जर्सी प्रांत में है
अमेरिका के न्यू जर्सी में पॉजिटिव रेट सभी प्रांतों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। यहां 1 लाख 57 हजार टेस्टिंग में से करीब आधे कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इससे पता चलता है कि इस राज्य में बहुत से लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हैं, लेकिन उन लोगों का टेस्ट नहीं किया गया है। न्यू जर्सी के हेल्थ डिपार्टमेंट के असिस्टेंट कमिश्नर क्रिस्टोफर न्यूवर्थ ने कहा कि कई लोग ऐसे हैं, जिनमें थोड़े बहुत लक्षण हैं, लेकिन जांच कराने नहीं आ रहे हैं। यहां पर वायरस से संक्रमित 80 प्रतिशत लोगों की टेस्टिंग अभी तक नहीं हुई है।



एक लाख लोगों में से औसतन 152 लोगों का टेस्ट होना चाहिए
एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक लाख लोगों में कम से कम 152 लोगों का रोजाना कोरोना टेस्ट होना ही चाहिए। अभी ज्यादातर प्रांतों में उन्हीं लोगों का टेस्ट किया गया है, जिनमें या तो गंभीर लक्षण थे या वे हेल्थ वर्कर्स थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक पॉजिटिव पाए जाने वाले व्यक्ति के संपर्क में आने वाले 10 लोगों का टेस्ट जरूरी है। इसके अलावा हल्का सा भी जुकाम-बुखार के लक्षण वालों का भी टेस्ट जरूर होना चाहिए। अमेरिका में टेस्टिंग किट की कमी और तकनीकी खामियों के कारण कई लोगों की टेस्टिंग नहीं की जा सकी है। ऐसे में संक्रमित लोग दूसरों को संक्रमित करते रहे। नतीजतन आज दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले और मौतें अमेरिका में हैं। हेल्थ एक्सपर्ट ने कहा है कि अगर अमेरिका शुरुआत से ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करता तो देश में महामारी इतना नुकसान नहीं पहुंचा पाती। जॉन हॉपकिंस सेंटर के असिस्टेंट प्रोफेसर कैटलिन रिवर्स ने कहते हैं कि टेस्टिंग नहीं होने से अमेरिका में वायरस इतना ज्यादा फैल गया। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि मई के मध्य तक संक्रमण के मामलों में कमी आ सकती है।