न्यूयॉर्क टाइम्स से / भारत के 2967 बाघों पर कोरोनावायरस का साया, 50 टाइगर रिजर्व में हाई अलर्ट; न्यूयॉर्क के चिड़ियाघर में संक्रमण का पहला केस

न्यूयॉर्क टाइम्स से / भारत के 2967 बाघों पर कोरोनावायरस का साया, 50 टाइगर रिजर्व में हाई अलर्ट; न्यूयॉर्क के चिड़ियाघर में संक्रमण का पहला केस




  • भारत के पेंच नेशनल पार्क का एक बाघ। यहां हाल ही में एक बाघ की हेयरबॉल के चलते मौत हुई।भारत के पेंच नेशनल पार्क का एक बाघ। यहां हाल ही में एक बाघ की हेयरबॉल के चलते मौत हुई।





  • पूरी दुनिया के तीन चौथाई बाघ अकेले भारत में हैं, हाल ही में पेंच टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मौत भी हुई है

  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक- कोरोनावायरस की तुलना में भारत में वन्यजीवों को अवैध शिकार से ज्यादा खतरा है

  • भारत में बीमार बाघों की देखभाल कर रहे वनकर्मियों की भी दूसरे जानवरों को छूने से पहले जांच की जाएगी


 

ग्लोरिया डिकी. इंसानों के बाद कोरोनावायरस का खतरा अब बाघों पर भी मंडरा रहा है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र बॉर्डर पर स्थित पेंच टाइगर रिजर्व में एक बाघ की कुछ दिन पहले मौत हो गई थी। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि यह मौत सांस लेने वाली बीमारी के चलते हुई। हालांकि, बाद में पता लगा की यह मौत आंत के पास हुए एक बड़े हेयरबॉल के कारण हुई। इसके बाद भारत में अधिकारियों ने 50 टाइगर रिजर्व में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। देश में बाघों की संख्या 2967 है।


दरअसल, न्यूयॉर्क के ब्रॉन्क्स जू में 4 साल का पहला टाइगर कोरोनावायरस से संक्रमित मिला है। इसके बाद से दुनिया के अन्य देशों में बाघों को लेकर चिंता लगातार बढ़ गई है। टाइगर्स को रैबीज, एंथ्रेक्स और कैनाइन डिंस्टेम्पर से खतरा होता है। बिल्लियां भी कोरोनावायरस तनाव के कारण होने वाली संक्रामक पेरिटोनिटिस का शिकार हो सकती हैं। भारत में बाघों की स्थिति नाजुक होने के कारण चिंता ज्यादा है। हालांकि कुछ का कहना है कि अधिकारी गलत समस्याओं पर ध्यान दे रहे हैं।


खराब हालातों के चलते निगरानी बढ़ी



  • नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के डॉ. अनूप कुमार नायक के मुताबिक, यह कोरोनावायरस बहुत खतरनाक हो सकता है। हम नहीं जानते कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन हम पूरी ऐहतियात बरत रहे हैं। हमें उनकी चिंता करनी होगी। भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सभी राज्यों में वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को नेशनल पार्क्स में लोगों की आवाजाही पर नियंत्रण के आदेश दिए हैं। 

  • इसके अलावा बाघों के स्वास्थ्य की भी निगरानी की जा रही है। बीमार बाघों को संभाल रहे वनकर्मियों की भी दूसरे जानवरों को छूने से पहले जांच की जाएगी। पेंच में बाघ की मौत से पहले एजेंसी ने कोरोनावायरस की जांच के कोई नियम नहीं बनाए थे, लेकिन अब पोस्टमॉर्टम जांच करने वाले डॉक्टर्स की जरूरत सैंपल जुटाने और उन्हें नेशनल लैबोरेट्री में भेजने के लिए पड़ेगी।

  • डॉ. नायक ने बताया कि आदेश जारी होने के बाद से दो हफ्तों में वॉर्डन ने बाघों के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं देखा गया। बीमार बाघों की लगातार देखभाल की जा रही है। 


लॉकडाउन में भी काम कर रहे वन्यजीव कर्मी



  • भारत में 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा हो गई थी, लेकिन वन्यजीवकर्मी काम कर रहे थे। मध्य प्रदेश स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व में सैकड़ों रेंजर्स लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं। रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि कान्हा में हमारे पास खुद के पशु चिकित्सक और अस्पताल हैं। यह चिंता का विषय है, लेकिन हम निगरानी रख रहे हैं। 


बाघों तक कैसे पहुंच रहा कोरोना



  • चीन की हार्बिन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने बताया कि घरेलू बिल्लियों में यह वायरस आ सकता है और फिर बूंदों के जरिए दूसरे जानवर तक भी पहुंच सकता है। इनके रिजल्ट बीते महीने वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं। हालांकि अब तक इनकी समीक्षा नहीं हुई है।

  • वैज्ञानिक अब तक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि कोरोनावायरस का असर बाघों पर कैसे पड़ रहा है। न्यूयॉर्क के वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी में हेल्थ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर क्रिस वॉल्जर के अनुमान के मुताबिक, ब्रांक्स जू में बाघ तक वायरस पिंजरों की सफाई के दौरान पहुंचा होगा। प्रेशर वॉशिंग के कारण वायरस भाप बन गया।


एक्सपर्ट्स दूसरे कारणों पर दे रहे जोर



  • सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ स्टडीज के डायरेक्टर उल्लास कारनाथ के मुताबिक, लॉकडाउन के वक्त स्थानीय लोगों का मांस के लिए शिकार करना बाघों के लिए बीमारी से ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने बताया कि हाल ही में बांदीपुर टाइगर रिजर्व में सात शिकारियों को हिरण के मांस के साथ गिरफ्तार किया गया। इस तरह के शिकार की घटनाएं बढ़ी हैं।

  • कुछ लोगों के मुताबिक, पाबंदियों के कारण जंगल के आसपास के इलाकों में रहने वाले गरीब लोग लकड़ी और खाना नहीं जुटा पा रहे हैं। भारतीय वन्यजीव वैज्ञानिक रवि चेलम ने पर्यावरण मंत्रालय को लिखे पत्र में अधिकारियों से गांव वालों पर पाबंदियां नहीं लगाने की मांग की है। रवि के अनुसार, भारतीय वन्यजीवों को कोविड 19 की तुलना में जलवायु परिवर्तन, अवैध शिकार और कई अन्य बीमारियों से ज्यादा खतरा है।