भोजन का महत्व- आज के परिप्रेक्ष्य में

 


आज वर्तमान समय मे जब पूरा विश्व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, तब हम देखते हैं कि हमारे अनगिनत मित्र इस लाकडाउन के समय मे अपने घरों में परिवार के संग लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे हैं। इसमे कोई बुराई भी नही, आप अवश्य वो भाग्यवान हैं कि अन्न देव ने आपके अन्न भंडार को इतनी समृद्धता प्रदान की है कि आज जब हमारे देश मे लाखो लोग अपना काम धंधा बर्बाद होने के कारण अभावों से ग्रसित होकर भूखे पेट सो रहे हैं तब आप अपने परिवार के संग पार्टियां कर पा रहे हैं। आप अपने मनपसंद व्यंजनों का लुत्फ ले इसमे कोई बुराई नही, किंतु क्या इस आपदा के समय मे इसका प्रदर्शन उचित है ? क्या यह प्रदर्शन हमे संवेदनहीन नही बनाता ? हम भारत जैसे महान देश की संस्कृति का अनुसरण करने वाले प्रबुद्ध नागरिक हैं। हम मान सकते हैं कि देश के प्रत्येक नागरिक से हमारा सम्बन्ध धर्म का नही, जाति का नही, खून का नही किंतु इस धरा का तो है। यह पृथ्वी हमारी माँ है व हम इसकी संतान है। यही संस्कार हमारी विरासत ने हमें प्रदान किये हैं। और आज जब हमारे देश की इतनी बड़ी आबादी जो दो वक्त के भोजन के लिए जूझ रही है,
जो हमारे ही भाई बहन हैं तो क्या हमारा कर्तव्य नही कि अगर हम उन तक मदद नही पहुँचा सकते पर कम से कम उनके लिए संवेदनशील तो बने रहें। और अपने आस पास जितना हो सके उन्हें सहायता भी प्रदान करे। वैसे तो हम भारतीय दिखावे के साये में ही अपना जीवन जी रहे हैं किंतु इस आपातकाल महामारी के समय में हमारा कर्तव्य सभी के सुख की कामना करना है।
प्रिय भाई बहनों, मित्रो व बन्धुओ इस समय कृपया अपने अन्न धन व व्यंजनों का दिखावा कर संवेदनहीनता का परिचय न दे।
इस देश की सभ्यता व हमारा मानवीय धर्म हमे यही सीख देता है।


*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुखभाग्यते।।*
*अर्थात - सभी सुखी हो, सभी रोगमुक्त रहे, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुख का भागी न बनना पड़े।*


Priyanka shrivastav bhopal


*जय हिंद जय भारत जय श्री राम*।