अमेरिका ने इमिग्रेशन 60 दिन रोका / प्रवासियों की एंट्री बंद करने के ट्रम्प के फैसले से ग्रीन कार्ड अप्लाई करने वालों को झटका, आईटी पेशेवरों-छात्रों पर असर नहीं

अमेरिका ने इमिग्रेशन 60 दिन रोका / प्रवासियों की एंट्री बंद करने के ट्रम्प के फैसले से ग्रीन कार्ड अप्लाई करने वालों को झटका, आईटी पेशेवरों-छात्रों पर असर नहीं




 





  • छात्र अमेरिका के विकल्प के तौर पर कनाडा या ऑस्ट्रेलिया को चुन सकते हैं

  • एच1 और एल1 वीजा नॉन इमिग्रेंट वीजा है, इसमें आईटी पेशेवर और छात्र आते है


मुंबई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रवासियों की अमेरिका में एंट्री पर 60 दिन तक अस्थाई रूप से रोक लगा दी है। हालांकि, इसका कोई असर न तो भारतीय आईटी पेशेवरों पर होगा और न ही छात्रों पर। ऐसा इसलिए क्योंकि यह घोषणा अमेरिका में प्रवासियों पर सीधे असर करेगी। छात्र और आईटी पेशेवर प्रवासियों की कैटेगरी में नहीं आते। उन्हें नॉन इमिग्रेंट के रूप में माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि छात्र और अन्य लोग अमेरिका के विकल्प के तौर पर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का रास्ता अपना सकते हैं।


इस बारे में अमेरिका सहित कई देशों के लिए पेशेवर वीजा मुहैया कराने वाले अभिनव इमिग्रेशन सर्विसेस के चेयरमैन अजय शर्मा कहते हैं कि ट्रम्प के ट्वीट का मतलब पहले समझना होगा। दूसरी बात अमेरिका में प्रवासी या इमिग्रेंट वीजा में न तो छात्र आते हैं, न ही आईटी पेशेवर। इसलिए इन दोनों पर इस घोषणा का कोई असर नहीं होगा।


आईटी पेशेवर और छात्र एच1 और एल1 वीजा श्रेणी में आते हैं
अजय शर्मा के मुताबिक, एच1 और एल1 वीजा, जो नॉन इमिग्रेंट के रूप में जाना जाता है, उसमें आईटी पेशेवर और छात्र आते हैं। इस घोषणा का सीधा असर उन पर होगा, जो लोग ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर चुके हैं। अगर ट्रम्प साइन करते हैं तो जिन लोगों ने ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया है, उनकी प्रोसेस रुक जाएगी। हालांकि, जिन लोगों ने ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन नहीं किया है, वे लोग एक विकल्प के तौर पर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का रुख कर सकते हैं। ग्रीन कार्ड यानी परमानेंट रेजिडेंट कार्ड। इससे अमेरिका में स्थाई रूप से रहने और काम करने की इजाजत मिलती है।


दूसरा झटका उनको लगेगा जिन्होंने ईबी (एम्प्लॉयमेंट बेस्ड) वीजा के लिए अर्जी दी होगी। जब आप ईबी के लिए फाइल करते हैं तो आपको वहां पर निवेश करना होता है और 10 जॉब क्रिएट करने होते हैं। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिन्होंने ईबी फाइल किया है और वे कम से कम 3-4 करोड़ रुपए का निवेश करते हैं। यह निवेश भी अब रुक जाएगा क्योंकि जो शर्तें होंगी, वह पूरी नहीं हो पाएंगी।


ट्रम्प ने नहीं बताया कि फैसला पहले से रह रहे प्रवासियों पर भी लागू होगा या नहीं
ट्रम्प ने अपने ट्वीट में कहा कि एक अदृश्य दुश्मन के हमले और हमारे महान अमेरिकियों की नौकरियों की रक्षा करने की जरूरत को देखते हुए मैं एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन करूंगा। इससे अमेरिका में प्रवासियों के प्रवेश पर अस्थायी रूप से रोक लग जाएगी। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी। न तो यह बताया गया कि यह रोक कब तक जारी रहेगी और न ही इससे प्रभावित होने वाले देशों के बारे में बताया। ट्रम्प ने यह भी नहीं बताया कि यह नया फैसला अमेरिका में पहले से रह रहे प्रवासियों पर भी लागू होगा या नहीं।


कई देशों के लोगों पर पहले से प्रतिबंध
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए चीन, यूरोप, कनाडा और मैक्सिको की यात्रा पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके अलावा प्रशासन ने पिछले महीने सभी एम्बेसी और काउंसलेट्स की ओर से दी जाने वाली रूटीन वीजा सेवाओं पर रोक लगा दी थी। अमेरिकी सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज पहले ही इन-पर्सन सेवाओं पर रोक लगा चुका है। हालांकि, कुछ आपातकालीन सेवाएं दी जा रही हैं।


इस साल दो लाख भारतीय कर चुके हैं आवेदन
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के अनुसार एच-1बी वीजा रजिस्ट्रेशन के लिए 2 लाख 75 हजार आवेदन मिले हुए हैं। इसमें से 67.7 फीसदी यानी करीब दो लाख आवेदन केवल भारत से हैं। हर साल अमेरिकी कंपनियों में विदेशी कर्मचारियों के लिए 85 हजार एच-1बी वीजा जारी किए जाते हैं।