विदिशा के रावण गांव में दशहरा पर होती है रावण की पूजा


- मंदिर के सामने से घूंघट डाल निकलती हैं महिलाएं
- रावण की लेटी हुई अवस्था में वर्षों पुरानी है विशाल प्रतिमा 

विदिशा। नटेरन तहसील के रावण गांव में देश की परंपरा के विपरीत रावण को देवता मानकर पूजा आराधना की जाती है। रावण को यहां रावन बाबा कहा जाता है। इतना ही नहीं गांव की विवाहित महिलाएं जब इस मंदिर के सामने निकलती हैं तो घूंघट कर लेती हैं।  मंदिर में रावण की लेटी हुई अवस्था में वर्षों पुरानी विशाल प्रतिमा है। गांव के लोग मंदिर में रावण के दर्शन और पूजा करने प्रत्येक दिन आते हैं। इतना ही नहीं गांव में हर शुभ कार्य की शुरुआत रावण की पूजा से ही होती है। गांव में किसी की शादी हो तो भी पहला निमंत्रण रावण बाबा को ही दिया जाता है और इसकी शुरुआत प्रतिमा की नाभि में तेल भर की जाती है। यहां के लोग जब भी कोई नया वाहन खरीदते हैं, उस पर रावन जरूर लिखवाते हैं। दशहरा पर गांव में मातम पसर जाता है। कई महिला तो इस दिन मंदिर में जा रोने लगती हैं। गांव के लोग भी कहीं बाहर नहीं जाते। रावण बाबा के मंदिर से उत्तर दिशा में 3 किलोमीटर की दूरी पर एक बूधे की पहाड़ी है। इसमें प्राचीनकाल में बुद्धा नामक एक राक्षस रहा करता था, जो रावण बाबा से युद्ध करने की बहुत इच्छा रखता था परंतु बह जब लंका तक पहुंचता था और वह लंका की चकाचौंध देखता और उसका क्रोध शांत हो जाता था। एक दिन रावण बाबा ने इस राक्षस से पूछा कि तुम दरबार में क्यों आते हो और हर बार बिना कुछ बताये चले जाते हो। तब बुद्धा राक्षस ने कहा कि महाराज में हर बार आपसे युद्ध की चाह लेकर आता हूं परन्तु यहां आपको देखकर मेरा क्रोध शांत हो जाता है। तब रावण बाबा ने कहा कि तुम वहीं मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना। तब से यह प्रतिमा यहीं पर बनी हुई है। लोगों ने उस प्रतिमा की महिमा को देखते हुए वहां मंदिर बना दिया। 


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