मध्यप्रदेश: राजनीति / अब राज्यसभा चुनाव के बाद शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें, जरा भी जोखिम लेने के मूड में नहीं भाजपा
- पार्टी को डर है कि अगर चुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार किया गया तो डैमेज कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा
- इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफतौर पर कहा था कि 31 मई के पहले विस्तार हो जाएगा
भोपाल. 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव की वजह से एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान का मंत्रिमंडल विस्तार टलता दिख रहा है। इसके पीछे की साफ वजह भाजपा में मंत्रिमंडल से बाहर रखे जाने से नाराज बताए जा रहे वरिष्ठ विधायक बताए जा रहे हैं। पार्टी को डर है कि अगर चुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार किया गया तो डैमेज कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे हालत में कयास लगाए जा रहे हैं कि अब विस्तार जून के आखिरी सप्ताह में हो सकता है। हालांकि, इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफतौर पर कहा था कि 31 मई के पहले विस्तार हो जाएगा।
प्रदेश की रिक्त हुई तीन सीटों पर 19 जुलाई को मतदान होना है। एक-एक सीट तो भाजपा और कांग्रेस के लिए पक्की है। तीसरी सीट के लिए भाजपा और कांग्रेस में धमासान मचा हुआ है। 3 निर्दलीय विधायक सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। भाजपा नेताओं ने कमलनाथ सरकार के पतन के पहले दौर में इन्ही पर डोरे डाले थे। हालांकि भाजपा की ये योजना सफल नहीं हो पाई थी। इसके बाद प्लान-2 के तहत कमलनाथ सरकार गिर गई। अभी जो स्थिति है उसके अनुसार कहा जा रहा है कि राज्यस भा चुनाव में निर्दलीय भी भाजपा का साथ दे सकते हैं।
भाजपा में नाराजगी
मध्य प्रदेश विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से कैबिनेट में अधिकतम 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं। फिलहाल कैबिनेट में छह मंत्री हैं। शिवराज के मंत्रिमंडल विस्तार में 22 मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने की चर्चा है। इसमें 11 के करीब सिंधिया समर्थक हो सकते हैं। भाजपा में नेताओं में इसी बात को लेकर नाराजगी है कि सिंधिया समर्थकों की खातिर उन्हें साइड लाइन किया जा रहा है। कई दावेदार अपनी आपत्ति केंद्रीय नेताओं सामने दर्ज करा चुके हैं।
उपचुनाव को लेकर सियासी हलचल
शिवराज कैबिनेट के विस्तार को लेकर कई बार संभावित तारीखों का अनौपचारिक ऐलान कर दिया गया। प्रदेश संगठन के साथ मुख्यमंत्री ने संभावित मंत्रियों की लिस्ट तैयार की, वह भी मीडिया में लीक हो गई लेकिन कैबिनेट विस्तार नहीं हो पाया। सिंधिया को नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल करने की अब कम चर्चा होती है, लेकिन भाजपा में उनकी एंट्री के समय ग्वालियर-चंबल संभाग में उनके समर्थकों ने इसे जोर-शोर से प्रचारित किया था।
क्या वादे से मुकर रही है भाजपा
उपचुनाव में सिंधिया-समर्थक सभी 22 विधायकों को टिकट देने का वादा भाजपा ने किया है, लेकिन इसमें भी दिक्कतें आ रही हैं। कई सीटों पर पार्टी को अपने पुराने नेताओं के विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। हाटपिपल्या में दीपक जोशी हों या ग्वालियर पूर्व में कांग्रेस में शामिल हो चुके बालेंदु शुक्ला, पार्टी के लिए अपने नेताओं को मनाना मुश्किल साबित हो रहा है। कुछ विधानसभा सीटों पर सिंधिया-समर्थक पूर्व विधायक की जीत पर संदेह की बातें भी हैं।