वृष संक्रांति पर्व / स्नान, दान और सूर्य पूजा की परंपरा है इस दिन, इससे खत्म हो जाते हैं पाप

वृष संक्रांति पर्व / स्नान, दान और सूर्य पूजा की परंपरा है इस दिन, इससे खत्म हो जाते हैं पाप





  • बीमारियों से बचने के लिए वृष संक्रंति पर सूर्य के साथ ही की जाती है भगवान शिव की भी पूज




14 मई, गुरुवार को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष से निकलकर वृष में आ जाएगा। तब वृष संक्राति पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व पर स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करने का महत्व है। सूर्य के संक्रमण काल यानी संक्राति के समय पूजा और दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है। वृषभ संक्रांति का पर्व हिंदू कैलेंडर के तीसरे महीने यानी ज्येष्ठ की शुरुआत का संकेत है। ज्येष्ठ महीना होने से इस संक्रांति पर्व पर तीर्थ में स्नान करना शुभ माना जाता है। 



  • वृष संक्रांति पर्व पर सूर्य देव और भगवान शिव के ऋषभरुद्र स्वरुप की पूजा करनी चाहिए। इससे हर तरह की बीमारियां और परेशानी दूर हो जाती है। कोरोना महामारी के कारण तीर्थ स्नान करना संभव नहीं है। इसलिए घर पर ही पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल की 3 बूंद डालकर ही नहा लेना चाहिए।


पूजा विधि




  1. सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं।



  2. उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं और पूजा करें।

  3. दिनभर व्रत और दान करने का संकल्प लें।

  4. पीपल और तुलसी को जल चढ़ाएं।

  5. गाय को घास-चारा या अन्न खिलाएं।

  6. पानी से भरा घड़ा दान करने से बहुत पुण्य मिलता है।

  7. सूर्योदय से दो प्रहर बीतने के पहले यानी दिन में 12 बजे के पहले पितरों की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए।


संक्रांति पर्व पर गौ दान का महत्व


वृष संक्रांति पर्व मनाने वालों को जमीन पर सोना चाहिए। दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पूरे दिन जरुरतमंद लोगों को दान करना चाहिए। कोशिश करना चाहिए इस दिन नमक न खाएं। इस पर्व पर भगवान सूर्य, विष्णु और शिवजी की पूजा करनी चाहिए। इनके अलावा पितृ शांति के लिए तर्पण करने का भी महत्व है। वृष संक्रांति पर गौ दान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रंथों के अनुसार इस संक्रांति पर गौ दान करने से हर तरह के सुख मिलते हैं। पाप खत्म हो जाते हैं और परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। गौ दान नहीं कर सकते तो गाय के लिए एक या ज्यादा दिनों का चारा दान करें। इस तरह दान करने से पाप खत्म हो जाते हैं।