तेल की कीमतों में टैक्स का खेल / क्रूड ऑयल की कीमतें कम हुई लेकिन टैक्स में हुई भारी बढ़ोतरी; मार्च में टैक्स 97% था मई में बढ़कर 226% हुआ इसलिए ग्राहकों को कीमत गिरने का फायदा नहीं

तेल की कीमतों में टैक्स का खेल / क्रूड ऑयल की कीमतें कम हुई लेकिन टैक्स में हुई भारी बढ़ोतरी; मार्च में टैक्स 97% था मई में बढ़कर 226% हुआ इसलिए ग्राहकों को कीमत गिरने का फायदा नहीं





ग्राफ में समझें किस तरह से पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी से सरकार को हो रही है कमाई






  • पेट्रोल पर 10 और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ी, ड्यूटी बढ़ाने से रिटेल प्राइस पर असर नहीं, लेकिन तेल पर टैक्स में भारी बढ़ोतरी

  • पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का बेस प्राइस घटाकर और एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर तेल के खेल से सरकार की भारी कमाई, 1.6 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे


मुंबई. सरकार ने मंगलवार की देर रात पेट्रोलियम पदार्थों पर लगनेवाली एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की है। पेट्रोल की एक्साइज ड्यूटी में प्रति लीटर 10 रुपए और डीजल पर प्रति लीटर 13 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। यह स्थिति ऐसे समय में है, जब क्रूड की कीमतें ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं। इस बढ़त से सरकार के खजाने में 1.6 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त रवेन्यू आएगा। 


ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस वृद्धि से रिटेल बिक्री यानी जनता पर कोई असर नहीं होगा। आंकड़ों की बात करें तो बढ़ोतरी से जनता को पेट्रोल-डीजल के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं देना होगा, लेकिन सारा खेल पेट्रोल-डीजल के प्राइस बिल्ड अप में छिपा हुआ है। 1 मार्च को पेट्रोल के प्राइस बिल्ड अप में टैक्स की हिस्सेदारी करीब 97 फीसदी थी जो अब बढ़कर 226 फीसदी हो गई है। इसका मतलब साफ है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम हो रही कीमतों का फायदा सरकार ने टैक्स में बढ़ोतरी कर अपने पास रख लिया। इस बात को 1 मार्च 2020 से उपलब्ध आंकड़ों से समझते हैं-


1 मार्च को पेट्रोल कीमतों में टैक्स 96.57% था
आईओसीएल की वेबसाइट पर 1 मार्च को उपलब्ध जानकारी के अनुसार एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस 32.61 रुपए था। इस पर 0.32 पैसे का किराया भाड़ा, 19.98 रुपए की एक्साइज ड्यूटी, 3.55 रुपए का डीलर कमीशन और 15.25 रुपए राज्य वैट शामिल था। इसके बाद इसकी पेट्रोल की रिटेल कीमत 71.71 रुपए प्रति लीटर थी।


बेस प्राइस, किराया भाड़ा और डीलर कमीशन को जोड़कर 1 मार्च को पेट्रोल की कीमत 36.48 रुपए थी। यदि इसकी तुलना कुल कीमत 71.71 रुपए से की जाए तो इस पर 96.57 फीसदी का कुल टैक्स लग रहा था। इसमें एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार का वैट शामिल था


14 मार्च को पेट्रोल पर टैक्स बढ़कर 118.07 फीसदी हुआ
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 14 मार्च को राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस 28.18 रुपए था। इसमें 0.32 रुपए का किराया भाड़ा, 22.98 रुपए की एक्साइज ड्यूटी, 3.54 रुपए का डीलर कमीशन और 14.85 रुपए का राज्य सरकार का वैट शामिल है।


इस प्रकार राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 69.87 रुपए प्रति लीटर हो जाती है। पेट्रोल पर टैक्स की गणना बेस प्राइस, किराया-भाड़ा और डीलर कमीशन पर होती है। इस प्रकार इसकी कीमत 32.04 रुपए प्रति लीटर होती है। यदि इसकी तुलना कुल कीमत से की जाए तो पेट्रोल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी और वैट मिलाकर 118.07 फीसदी हो जाता है।


6 मई को पेट्रोल पर टैक्स बढ़कर 226.28 फीसदी हुआ
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार अब राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस 17.96 रुपए है। इसमें 0.32 रुपए का किराया भाड़ा, 32.98 रुपए की एक्साइज ड्यूटी, 3.56 रुपए का डीलर कमीशन और 16.44 रुपए का राज्य सरकार का वैट शामिल है।


इस प्रकार राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 71.26 रुपए प्रति लीटर हो जाती है। पेट्रोल पर टैक्स की गणना बेस प्राइस, किराया-भाड़ा और डीलर कमीशन पर होती है। इस प्रकार इसकी कीमत 21.84 रुपए प्रति लीटर होती है। यदि इसकी तुलना कुल कीमत से की जाए तो पेट्रोल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी और वैट मिलाकर 226.28 फीसदी हो जाता है।


बेस प्राइस में कमी आई, लेकिन टैक्स भी बढ़ता गया


अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती तेल की कीमतों का फायदा सरकार और तेल कंपनियां बेस प्राइस के आधार पर ले रही हैं। बेस प्राइस में पेट्रोल को प्यूरीफाई करने संबंधित पूरी लागत आती है। 1 मार्च को बेस प्राइस बेस प्राइस 32.61 रु/लीटर था जो 6 मई को 17.96 रु/लीटर पर आ गया।


क्रूड ऑयल की कीमतें गिरने के कारण बेस प्राइस में कमी आई लेकिन सरकार ने टैक्स बढ़ा दिया। इस कारण, फायदा आम ग्राहकों तक नहीं पहुंचा। सरकार ने इसके बजाय टैक्स में बढ़ोतरी कर घटी कीमतों से आ रहे ज्यादा पैसे को अपने पास रख लिया। ग्राहकों को अभी भी वहीं कीमतें चुकानी पड़ रही है जो वह पहले चुकाता था।


बेस प्राइस की तुलना में दोगुना से ज्यादा एक्साइज टैक्स


सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाइरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक विशेष अतिरिक्त एक्साइज ड्‌यटी पेट्रोल पर 2 रुपए प्रति लीटर और रोड सेस 8 रुपए प्रति लीटर बढ़ाया गया है। इसी तरह डीजल में यह 5 रुपए और 8 रुपए बढ़ाया गया है। इसके साथ ही पेट्रोल पर कुल एक्साइज ड्यूटी बढ़कर 32.98 प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल पर यह 31.83 रुपए हो गई है। पेट्रोल के बेस प्राइस 17.96 रुपए पर 226  प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाई गई तो डीजल के बेस प्राइस पर 225 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाई गई है।


बेस प्राइस को दूसरी बार घटाया गया


वैसे सरकार ने तेल के खेल में जबरदस्त कमाई की है। आंकड़ों कों देखें तो पता चलता है कि एक मार्च को पेट्रोल का बेस प्राइस 32.61 रुपए प्रति लीटर था जो 14 मार्च को घटकर 28.18 रुपए प्रति लीटर हो गया। 6 मई को इसे घटाकर 17.96 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है। यानी 65 दिनों में बेस प्राइस में करीबन 45 प्रतिशत की कटौती की गई है। इस कटौती का सीधा फायदा सरकार के खजाने को होगा।


बेस प्राइस घटने और एक्साइज ड्यूटी बढ़ने पर सरकार को ही फायदा होता है


अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती तेल की कीमतों का फायदा सरकार और तेल कंपनियां बेस प्राइस के आधार पर ले रही हैं। बेस प्राइस में पेट्रोल को प्यूरीफाई करने संबंधित पूरी लागत आती है। 1 मार्च को बेस प्राइस 32.61 रु प्रति लीटर था जो 6 मई को 17.96 रु प्रति लीटर पर आ गया। इसका फायदा आम ग्राहकों को नहीं दिया गया। सरकार ने इसके बजाय टैक्स में बढ़ोतरी कर घटी कीमतों से आ रहे ज्यादा पैसे को अपने पास रख लिया। ग्राहकों को अभी भी वहीं कीमतें चुकानी पड़ रही है जो वह पहले चुकाता था।


2014 में पेट्रोल पर टैक्स 9.48 रुपए प्रति लीटर था, 2020 में 32.98 हुआ


नरेंद्र मोदी सरकार जब पहली बार सत्ता में आई थी उस समय पेट्रोल पर 9.48 रुपए प्रति लीटर टैक्स था जबकि डीजल पर 3.56 रुपए प्रति लीटर था। इस तरह से देखें तो 6 सालों में पेट्रोल पर करीबन 3.5 गुना एक्साइज ड्यूटी और डीजल पर 10 गुना एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। इस साल मार्च के बाद यह दूसरी बार है जब सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर अपनी झोली भरी है। मार्च में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 3 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इस वृद्धि से सरकार को 39,000 करोड़ रुपए मिले थे।


पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें दो दशकों के निचले स्तर पर


पेट्रोल और डीजल की कीमतें मार्च के बाद से नहीं बदली हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमतें दो दशकों के निचले स्तर पर पहुंच गई थीं। सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच पेट्रोल पर 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढाई। जबकि इस दौरान लगातार अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमतें गिरती गईं। इस 15 महीने के दौरान (2016-17) सरकार को एक्साइज ड्यूटी के रूप में 2,42,000 करोड़ रुपए मिले थे जबकि 2014-15 में सरकार को 99,000 करोड़ रुपए मिले थे। इस दौरान सरकार ने पेट्रोल पर 11.77 रुपए और डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी।


6 सालों में केवल एक बार एक्साइज ड्यूटी घटी


सरकार ने अब तक पिछले 6 सालों में केवल 2017 में एक बार एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए पेट्रोल पर और 1.5 रुपए डीजल पर कटौती की थी। हालांकि इसे वापस जुलाई 2019 में बढ़ा दिया गया था। हालांकि सरकार इस समय इस एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाने के पीछे कारण यह बता रही है कि कोविड-19 से हो रहे बड़े खर्चों के कारण यह जरूरी है। लेकिन साल 2020 के पहले सरकार ने जब भी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई तब उसमें इस तरह के किसी अचानक खर्चे का जिक्र नहीं किया गया।