टेक्नोलॉजी / सरकार के नियंत्रण का औजार बन सकता है आरोग्य सेतु एप
- स्वैच्छिक नहीं होने, डेटा सुरक्षा, गोपनीयता और लोगों की नियमित निगरानी से उठ रहे हैं सवाल
करीब नौ करोड़ भारतीय इस एप को उतार चुके हैं। लेकिन कुछ दिक्कतें हैं, यह स्वैच्छिक नहीं है, इसमें डेटा सुरक्षा अपर्याप्त है और सरकार आपके हर कदम पर नजर रख सकती है। इससे भी खराब यह है कि प्रसिद्ध फ्रांसीसी एथिकल हैकर इलियट एल्डरसन ने ट्वीट किया है कि यह एप सुरक्षित नहीं है और उसने एक सुरक्षा कमी भी पकड़ी और 45 मिनट बाद ही सरकार को बता दिया। यह एप उपयोग करने वाले की उम्र, पता, यात्रा का विवरण, धूम्रपान का इतिहास, लक्षण और लोकेशन पूछता है और ब्लूटूथ के माध्यम से किसी संक्रमित व्यक्ति से करीबी की गणना करता है। यह सभी लोगों पर लगातार नजर रखता है और आपको बताता है कि आपके आसपास कितने लोगों का टेस्ट पॉजिटिव है और कितने लोगों ने खुद को बीमार बताया है। इस तरह के एप के लिए काेई वैश्विक मानक नहीं हैं, लेकिन चीन, हांगकांग, सिंगापुर और अनेक यूरोपीय देशों ने काेरोना वायरस पर निगाह रखने के लिए ऐसे एप बनाए हैं। इन देशों में इन एप का इस्तेमाल पूरी तरह स्वैच्छिक है। आरोग्य सेतु एप केवल बाध्यकारी ही नहीं है, बल्कि और अधिक आक्रामक है। ब्लूटूथ, जीपीएस और मोबाइल टॉवर से सूचना लेने के साथ ही यह एक बाहरी सर्वर पर डेटा के लिए निर्भर है।
इस तरह के एप की अनेक कमियां हैं। जर्नल नेचर के मुताबिक ऐसे एप के प्रभावी होने के बारे में नाममात्र के ही प्रकाशित सबूत हैं। इसमें इस बात का भी खतरा है कि अगर कोई आपका फोन लेकर जाता है तो यह गलत चेतावनी भी दे सकता है। नेचर के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि यह एप जनसंख्या के बहुत ही छोटे हिस्से के पास होता है। समस्या का लोकतांत्रिक समाधान यह है कि इस एप में लोगों का भरोसा पैदा करना चाहिए, लेकिन भारत इस चुनौती को हर एक के लिए इस एप को बाध्यकारी बनाकर जीतना चाहता है। इस बात के संकेत हैं कि आने वाले स्मार्ट फोन में यह एप पहले से ही इंस्टाल होकर आएगा। आप जल्द ही मेट्रो या किसी सार्वजनिक वाहन में इस एप को दिखाए बिना नहीं जा सकेंगे। सरकार के मौजूदा डेटाबेस को मिलाकर यह एप यूजर की हर गतिविधि को संयुक्त तौर पर दिखाएगा। इसलिए, सबसे बड़ी चिंता निजता आैर भारतीय नागरिकों पर स्थायी निगरानी से जुड़ी है।
देश में आज भी डेटा संरक्षण कानून नहीं है, इसलिए मैंने और कई अन्य ने संसद में ऐसा कानून लाने की मांग की है। हमारे देश में कोई भी काम का निगरानी विरोधी कानून नहीं है। अब इस बात की चिंता है कि सरकार कोरोना वायरस का इस्तेमाल लोगों की निजता और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कर रही है। लेखिका अरुंधती राय ने द गार्जियन से कहा था कि ‘काेरोना से पहले हम एक निगरानी वाले देश में नींद में चल रहे थे, लेकिन अब हम एक सुपर निगरानी वाले देश में घबराहट में दौड़ रहे हैं।’ आरोग्य सेतु का यूजर एग्रीमेंट कहता है कि डेटा का इस्तेमाल भविष्य में महामारी नियंत्रण के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ साझा किया जा सकता है। जब मोदी सरकार ने तमाम शक्तियों को अपने हाथ में ले लिया है, ऐसे में आरोग्य सेतु एप सरकार के कड़े नियंत्रण का औजार बन सकता है। सरकारी कर्मियों के लिए आरोग्य सेतु एप इंस्टाल न करने पर सजा का प्रावधान है। हालांकि, किसी को सजा नहीं हुई, लेकिन हमें चेताया तो गया है।