सीमा विवाद / भारत के बाद चीन ने भी ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश ठुकराई, कहा- थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं, दोनों देश विवाद सुलझाने में सक्षम

सीमा विवाद / भारत के बाद चीन ने भी ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश ठुकराई, कहा- थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं, दोनों देश विवाद सुलझाने में सक्षम





भारत और चीन की सेनाओं में इस महीने तीन बार अलग-अलग जगहों पर टकराव हो चुका है। पिछले हफ्ते दोनों देशों की सेनाओं के कमांडर बातचीत कर मुद्दा सुलझाने की कोशिश भी कर चुके हैं।






  • ट्रम्प ने दावा किया है कि चीन के मुद्दे पर मोदी अच्छे मूड में नहीं हैं, भारत ने कहा कि ट्रम्प से ऐसी कोई बात नहीं हुई

  • ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश पर भारत ने कहा- पड़ोसी के साथ बातचीत से मसला सुलझाने की कोशिशें जारी


नई दिल्ली. भारत-चीन सीमा विवाद पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के प्रस्ताव को भारत के बाद चीन ने भी नकार दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि भारत और चीन आपसी बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने में सक्षम हैं। थर्ड पार्टी की कोई जरूरत नहीं है। मध्यस्थता के प्रस्ताव पर भारत ने कहा था कि पड़ोसी के साथ मसले का शांतिपूर्ण हल निकालने के लिए कूटनीतिक स्तर पर प्रयास जारी हैं।


इससे पहले ट्रम्प ने बयान दिया था कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत हुई और वह चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर अच्‍छे मूड में नहीं हैं। इस पर न्यूज एजेंसी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से शुक्रवार को कहा कि मोदी और ट्रम्प के बीच हाल में कोई बातचीत नहीं हुई। आखिरी बार 4 अप्रैल को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर बातचीत हुई थी।


ट्रम्प ने कहा- भारत खुश नहीं है


ट्रम्प ने कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच एक बड़ा टकराव चल रहा है। मैं आपके प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को बहुत पसंद करता हूं। वे बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। भारत-चीन में बड़ा विवाद है। दोनों देशों की करीब 1.4 अरब आबादी है। दोनों देशों के पास ताकतवर सेना है। भारत खुश नहीं है और मुमकिन है कि चीन भी खुश नहीं है।’’ 


ट्रम्प से उनके मध्यस्थता वाले ट्वीट को लेकर सवाल किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मुझसे मदद मांगी जाती है तो मैं यह (मध्यस्थता) करूंगा।’’ इससे पहले ट्रम्प ने बुधवार को ट्वीट में कहा था, ‘‘हमने भारत और चीन को बताया है कि अमेरिका दोनों के बीच सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है।’’


ट्रम्प के प्रस्ताव पर भारत ने कहा - बातचीत के जरिए मसला सुलझा लेंगे


भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी गुरुवार को ट्रम्प की पेशकश पर अपना रुख स्पष्ट किया था। मंत्रालय ने कहा था कि पड़ोसी के साथ मसले का शांतिपूर्ण हल निकालने के लिए कूटनीतिक स्तर पर प्रयास जारी हैं। ट्रम्प पहले भी कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की बात कह चुके हैं, जिसे भारत ने ठुकरा दिया था। भारत ने कहा था कि यह उसका आंतरिक मसला है।


भारत और चीन के पास कई कूटनीतिक तंत्र मौजूद
चीन ने बुधवार को कहा था कि भारत से साथ सीमा पर स्थित स्थिर और नियंत्रण में है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा- ‘‘दोनों पक्ष तनाव को कम करने में जुटे हैं, लेकिन भारत अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत और चीन के पास कई कूटनीतिक तंत्र मौजूद हैं। किसी भी हालात का निपटारा शांतिपूर्ण ढंग से किया जा सकता है।’’


श्रीवास्तव ने फिर दोहराया कि भारतीय सेना ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) का उल्लंघन नहीं किया था। भारत, चीन के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।हमारी सेना हमारे लीडर्स के मार्गदर्शन का ईमानदारी से पालन करती है। हम भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


चीन के बाद भारत ने भी बढ़ाई सैनिकों की संख्या


लद्दाख में हाल ही में गालवन नाला एरिया के पास चीन और भारत के बीत तनाव बढ़ गया है। एलएसी के पास कई सेक्टरों में चीन करीब 5 हजार जवान तैनात कर चुका है। पड़ोसी के इस कदम के बाद भारतीय सेना ने भी इन इलाकों में अपने जवान बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।


इसी महीने दोनों सेनाओं के बीच तीन बार अलग-अलग जगहों पर टकराव हो चुका है। पिछले हफ्ते दोनों देशों की सेनाओं के कमांडर बातचीत कर मुद्दा सुलझाने की कोशिश भी कर चुके हैं।


डोकलाम के बाद सबसे बड़ा टकराव




  • अगर भारत और चीन की सेनाएं लद्दाख में आमने-सामने हुईं तो 2017 के डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ा विवाद होगा। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, भारत ने पेंगोंग त्सो झील और गालवान वैली में सैनिक बढ़ा दिए हैं। इन दोनों इलाकों में चीन ने दो हजार से ढाई हजार सैनिक तैनात किए हैं, साथ ही अस्थाई सुविधाएं भी बढ़ा रहा है। चीन लद्दाख के कई इलाकों पर अपना दावा करता रहा है।



  • भारत-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच 2017 में 16 जून से 28 अगस्त के बीच तक टकराव चला था। हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। साल के आखिर में दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी थी।


भारत और चीन के बीच हाल में हुए विवाद


1) तारीख- 5 मई, जगह- पूर्वी लद्दाख की पेंगोंग झील
उस दिन शाम के वक्त  झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-5 इलाके में भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। भारत ने चीन के सैनिकों की मौजूदगी पर ऐतराज जताया। पूरी रात टकराव के हालात बने रहे। अगले दिन तड़के दोनों तरफ के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। बाद में दोनों तरफ के आला अफसरों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हुआ।


2) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद नाकू ला सेक्टर
यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। आधिकारिक तौर पर इसकी तारीख सामने नहीं आई। हालांकि, द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां झड़प 9 मई को ही हुई। गश्त के दौरान आमने-सामने हुए सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से वार किए। इस झड़प में 10 सैनिक घायल हुए। यहां भी बाद में अफसरों ने दखल दिया, फिर झड़प रुकी।


3) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- लद्दाख
जिस दिन उत्तरी सिक्किम में भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हो रही थी, उसी दिन चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टरों ने सीमा तो पार नहीं की, लेकिन जवाब में भारत ने लेह एयरबेस से अपने सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के बरसों में ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की ऐसी हरकत के जवाब में भारत ने अपने लड़ाकू विमान सीमा के पास भेजे।



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