पुरी रथयात्रा / केंद्र से मंजूरी मिलते ही शुरू हुआ रथयात्रा के लिए 3 रथों का निर्माण, लॉकडाउन की शर्तों के साथ हो रहा काम

पुरी रथयात्रा / केंद्र से मंजूरी मिलते ही शुरू हुआ रथयात्रा के लिए 3 रथों का निर्माण, लॉकडाउन की शर्तों के साथ हो रहा काम





केंद्र से अनुमति मिलने के बाद शुक्रवार सुबह रथ यात्रा के रथ का निर्माण शुरू हो गया। रथ यात्रा के लिए 3 रथ बनाए जाएंगे। 






  • 4 मई को मंदिर प्रबंधन समिति ने रथ निर्माण की अनुमति मांगी थी

  • रथ यात्रा 23 जून को निकलनी है, लेकिन अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है 


पुरी. भगवान जगन्नाथ की ओडिशा के पुरी से रथयात्रा निकालने के लिए केंद्र सरकार ने रथ निर्माण की अनुमति दे दी है। सरकार की अनुमति मिलने के साथ ही पुरी में रथ का निर्माण भी शुरू हो गया है। शुक्रवार सुबह कारीगरों ने तीनों रथों के निर्माण की विधि शुरू कर दी है। इसके बाद रथयात्रा को लेकर चल रहे संशय पर कुछ हद तक विराम लगा है। हालांकि, रथयात्रा अगर निकलती है तो उसका स्वरूप कैसा होगा, इसे लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।


केंद्र सरकार ने अपनी अनुमति में ये साफ किया है कि रथ निर्माण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा पालन जरूरी है। रथ का निर्माण भी ऐसी जगह होना चाहिए जहां पर आम लोग इकट्ठा ना हों। अभी तक रथ का निर्माण मंदिर के सामने ही होता आया है, जो रथयात्रा का मुख्य मार्ग है। यहां लोगों के जमा होने की संभावना है, इसलिए रथ का निर्माण कहीं ओर हो, जहां भीड़ एकत्र ना हो सके। रथयात्रा 23 जून को शुरू होनी है। 


मंदिर 20 मार्च से बंद


रथयात्रा को लेकर इस बार काफी समय से संशय की स्थिति चल रही है। कोरोना वायरस के चलते मंदिर 20 मार्च से ही श्रद्धालुओं के लिए बंद है। रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा उत्सव है। इसमें देश-दुनिया से 10 लाख से भी ज्यादा लोग शामिल होते हैं। लॉकडाउन के बाद से ही कोरोना के कारण ये माना जा रहा था कि इस साल रथयात्रा संभवतः निरस्त ही होगी। 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया से मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा का रथ तैयार होना था लेकिन लॉकडाउन के चलते शुरू नहीं हो पाया था।


4 मई को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति ने इस पर मामले पर मीटिंग के बाद ये तय किया था कि पुरी जिला कोरोना से लगभग मुक्त है और ग्रीन जोन में है, इसलिए यहां रथ निर्माण शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि रथ निर्माण कोई धार्मिक उत्सव नहीं है, ये एक तरह का निर्माण कार्य ही है। मंदिर समिति ने ये प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, राज्य सरकार ने केंद्र को भेज दिया था।