फैक्ट चेक / क्या कोरोना हॉटस्पाट की पहचान के लिए धर्म-आधारित मैपिंग हो रही? सरकार ने इसे खारिज किया, अखबार ने भी स्टैंड बदला

फैक्ट चेक / क्या कोरोना हॉटस्पाट की पहचान के लिए धर्म-आधारित मैपिंग हो रही? सरकार ने इसे खारिज किया, अखबार ने भी स्टैंड बदला




  • क्या वायरल: एक अंग्रेजी अखबार की पेपर कटिंग वायरल हो रही है जिसमें देश में धर्म के आधार पर कोरोना हॉटस्पाट की पहचान का दावा किया जा रहा

  • क्या है सच्चाई:  स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया के सामने इस दावे का खारिज किया और खुद अखबार ने अपना स्टैंड बदल लिया


फैक्ट चेक डेस्क.  बीते तीन दिनों से सोशल मीडिया ग्रुप्स में एक अंग्रेजी अखबार के स्क्रीन शॉट को वायरल करके कोरोना हॉटस्पाट को धर्म से जोड़ा जा रहा है। 9 मई की इस खबर के आधार पर लोग कह रहे हैं कि सरकार गुपचुप तरीके से देश में ऐसी जगहों की पहचान कर रही है जहां एक धर्म विशेष के लोग रहते हैं और वे कोरोना के हॉटस्पाट हो सकते हैं।


अब इसी संज्ञान लेते हुए सरकार ने खुद सामने आकर इसे गैरजिम्मेदार खबर बताया है और मनगढ़ंत कहा है। इसके साथ ही खुद अखबार ने इस खबर पर अपना स्टैंड बदलते हुए अब इसे धर्म की बजाय दूसरे मापदंडों के आधार पर छापा है।


क्या हो रहा वायरल
पत्रकार विक्रम शर्मा के नाम और हैदराबाद डेटलाइन से 9 मई को छपी इस खबर में बताया जा रहा है कि मोदी सरकार देश में धर्म के आधार पर कोरोना संक्रमण के हॉटस्पाट की पहचान करने वाली है। इसके लिए सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि सरकार ने बंद दरवाजों के पीछे मीटिंग करके एक्शन प्लान बना लिया है। यह भी दावा है कि यह फैसला इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि कुछ भाजपा नेताओं ने कोरोना संक्रमण के लिए सीधे तौर पर मुस्लिमों पर आरोप लगाया था।



  • पड़ताल और सच्चाई

  • जब हमारी टीम ने इस खबर के सोर्स को ढूंढ़ना शुरू किया तो 10 मई के द एशियन एज अंग्रेजी अखबार के फ्रंट पेज पर ये खबर लीड खबर के रूप में मिली। यानी, इस खबर के साथ किसी ने कोई छेड़छाड़ नहीं की थी। 

  • जब हमनें खबर के और सोर्स ढूंढ़े लेकिन ऐसी खबर न तो किसी न्यूज एजेंसी ने जारी की थी और न ही किसी दूसरे मीडिया हॉउस ने छापी थी। हालांकि हमें सरकारी एजेंसी PIB की ओर से उनके फैक्ट चेक ट्विटर हैंडल पर इस खबर को खारिज किए जाने की जानकारी मिली।



  • इसके साथ ही एक वीडियो भी पोस्ट किया गया है जिसमें सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल इस खबर को गैर जिम्मेदार बताते हुए पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं और लोगों से अपील कर रहे हैं कि इस वक्त हमें मिलकर कोरोना का सामना करना है।



  • इसके बाद हमें 11 मई का द एशियन एज का एक और लिंक मिला जिसमें अब धर्म के नाम पर नहीं बल्कि जियोग्राफी, लाइफ स्टाइल, कमाई, सामाजिक गतिविधियों, डेली रूटीन और परिवारजनों की संख्या के आधार पर कोरोना हॉटस्पॉट की पहचान की बात कही गई है। ये खबर भी  पत्रकार विक्रम शर्मा के नाम से है।



  • निष्कर्ष:  सोशल मीडिया पर धर्म आधार पर कोरोना हॉटस्पॉट की पहचान की खबर पूरी तरह निराधार है क्योंकि सरकार ने भी इसे खारिज किया है और स्वयं अखबार ने एक दिन बाद अपना स्टैंड बदल कर नए एंगल पर खबर की है।