न्यूयॉर्क टाइम्स से / लॉकडाउन के बाद बदली जिंदगी; सियोल के चर्चों में लोग प्रार्थना नहीं कर रहे, सिडनी के सैलून कस्टमर को मैगजीन नहीं दे रहे

न्यूयॉर्क टाइम्स से / लॉकडाउन के बाद बदली जिंदगी; सियोल के चर्चों में लोग प्रार्थना नहीं कर रहे, सिडनी के सैलून कस्टमर को मैगजीन नहीं दे रहे





दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के सबसे बड़े कैथोलिक चर्च में प्रार्थना के दौरान श्रद्धालु। यहां लोग प्रार्थना नहीं पढ़ रहे हैं, क्योंकि अभी कोरोना का डर बना हुआ है।






  • सियोल, हांगकांग, बीजिंग, ताइपे और सिडनी में लॉकडाउन खुलने से जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है

  • चर्च, स्कूल, रेस्त्रां, मूवी थियेटर, प्ले ग्राउंड खुलने शुरू हो गए हैं, लेकिन तमाम तरह के प्रतिबंध भी

  • महामारी के डर से लोगों के तौर-तरीके बदले, विशेषज्ञों ने इन बदलावों को क्वारैंटीन में जिंदगी नाम दिया


जेवियर सी. हर्नांडिज और सु-ह्यून ली. चीन, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, ताइवान और ऑस्ट्रेलिया में कोरोनावायरस पर करीब-करीब नियंत्रण पा लिया गया है। यहां के कई शहरों में लॉकडाउन पूरी तरह से हटा लिया गया है। इसके बाद चर्च, स्कूल, रेस्त्रां, मूवी थियेटर, प्ले ग्राउंड खुलने शुरू हो गए हैं। ऐसे में लोगों के लिए हालात तो सामान्य हो रहे हैं, लेकिन लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, स्वच्छता, मास्क, सैनेटाइजर जैसे तमाम प्रतिबंधों से गुजरना पड़ रहा है। कई शहरों में तो वायरस के बीच जीना भी सीख रहे हैं। विशेषज्ञों ने इस नए कल्चर को 'क्वारैंटीन में रोजमर्रा की जिंदगी’ का नाम दिया है। 



लॉकडाउन हटने के बाद सियोल, हांगकांग, बीजिंग, ताइपे और सिडनी से विशेष रिपोर्ट... 



  • सियोल के चर्च में प्रवित्र जल छिड़कने की प्रथा खत्म, पादरी हाथ सैनेटाइज करके ही करवा रहे प्रार्थना


दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के सबसे बड़े कैथोलिक चर्च में श्रद्धालु प्रार्थना पढ़ने से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं लार न टपक जाए। इसलिए लोग अब आमीन भी कहने से बच रहे हैं। यही नहीं समागम के दौरान पादरी अपने हाथों को सैनेटाइज करते हैं। चर्च से पवित्र जल छिड़कने की प्रथा भी बंद कर दी गई है, क्योंकि इससे भी संक्रमण फैलने का भय है। चर्च से पवित्र जल को भी हटा दिया गया है। 
सियोल में बेसबॉल खेल प्रशंसकों के बगैर खेले जा रहे हैं और खिलाड़ी मैदान पर थूक नहीं सकते। लोगों का कहना है कि उनके पास बदलावों को अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यहां अधिकारियों ने हाल ही में 68 पेज का एक दिशा-निर्देश जारी किया है, जिनमें फिल्म देखते समय चिल्लाने से बचने और अंत्येष्टि में जाने पर गले लगाने के बजाय सिर झुकाने की सलाह दी गई है।



  • बीजिंग के पैलेस म्यूजियम मेंं पहले 80 हजार दर्शक आते थे, अब सिर्फ 5 हजार लोगों को ही अनुमति


चीन में लोकप्रिय पर्यटन स्थल फिर से पर्यटकों के लिए खुल गए हैं, लेकिन भीड़ का आकार सीमित है। कोविड-19 के प्रकोप से पहले बीजिंग के पैलेस म्यूजियम में जहां 80,000 पर्यटकों को प्रतिदिन आने की अनुमति थी। वहीं अब केवल पांच हजार लोगों को ही आने की अनुमति है। इसी तरह ताइवान की राजधानी ताइपे में स्कूल में प्रवेश करने से पहले छात्रों का तापमान जांचा जा रहा है, जबकि कैफेटेरिया में मेजों को प्लास्टिक डिवाइडर से अलग-अलग कर दिया गया है। बिना मास्क छात्रों को स्कूल में एंट्री भी नहीं दी जा रही है।



  • ऑस्ट्रेलिया में बिना मास्क ट्रेन और बसों में यात्रा करने पर प्रतिबंध, आमने-सामने बातचीत की भी मनाही


दुनियाभर की सरकारें भले ही आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को फिर से शुरू कर चुके हैं, लेकिन वायरस से बचने की कोशिश भी जारी हैं। ऑस्ट्रेलिया में ट्रेनों और बसों में बिना मास्क यात्रा नहीं कर सकते। काम पर आमने-सामने बातचीत से बचने के लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। रेस्त्रां और मॉल के बाहर तापमान की जांच अनिवार्य कर दिया गया है। सिडनी में सैलून मास्क फिर खुल गए हैं। लेकिन इन सैलूनों में ग्राहकों को अब पढ़ने के लिए पत्रिकाएं नहीं दी जा रहीं। 



  • हांगकांग में लाइब्रेरी फिर से खुलीं, लेकिन विजिटर्स महज एक घंटे ही किताब पढ़ सकेंगे  


चीन से सटे हांगकांग कोरोना का प्रकोप नियंत्रण में है। महामारी से यहां केवल चार मौतें हुईं। यहां लाइब्रेरी फिर से खुल गई हैं, लेकिन विजिटर्स को एक बार में केवल एक घंटे ही भीतर रहने की इजाजत है। इसी तरह रेस्त्रां में मेज कम से कम पांच फिट की दूरी पर रखे जा रहे हैं। ग्राहकों को भोजन के दौरान अपना मास्क रखने के लिए बैग दिए जाते हैं। अधिकारी नए स्वच्छता और सामाजिक दिशा-निदेर्शों का पालन करवा रहे हैं। यहां सुपरमॉल में सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन रहे, इसलिए समय-समय पर पुलिस टीमें फ्लैग मार्च भी करती हैं।