न्यूयॉर्क टाइम्स से / कोरोना के बीच मां बनीं 5 महिलाओं के अुनभव, कहती हैं- बहुत बुरा लगा, जब डिलीवरी के वक्त उनके पास कोई नहीं था, कोई मिलने नहीं आया

न्यूयॉर्क टाइम्स से / कोरोना के बीच मां बनीं 5 महिलाओं के अुनभव, कहती हैं- बहुत बुरा लगा, जब डिलीवरी के वक्त उनके पास कोई नहीं था, कोई मिलने नहीं आया





कोरोना संकट और अस्पताल में डर के बीच डिलीवरी कराने वाली 5 मांएं। वे दूसरी प्रेग्नेंट महिलाओं को सकारात्मक रहने का सलाह दे रही हैं।






  • प्रेग्नेंट महिलाओं से अपील- जरूरी न हो तो अस्पताल में संक्रमण के खतरे को देखते हुए बच्चे को घर पर जन्म दें

  • महामारी के बीच मेडिकल सपोर्ट नहीं मिलने के कारण प्रेग्नेंट लेडी कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहीं


श्रेया सिन्हा. कोरोनावायरस और लॉकडाउन के चलते प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी डिलीवरी के लिए परिवार, दोस्तों की मदद पर निर्भर होना पड़ रहा है। उन्हें फिलहाल उस सपोर्ट की दरकार है, जो उनके नन्हें बच्चे को इस अनिश्चित दुनिया को समझने में मदद करेगा। हालांकि ऐसे भी कई कपल हैं, जो इस परेशानी से अकेले ही जूझ रहे हैं। जिनके इर्द-गिर्द कोई नहीं है। ऐसी ही पांच माएं इस संकट के वक्त में अपने बच्चों को दुनिया में लाने की कहानियां साझा कर रही हैं। वे अपने अनुभवों से उन तमाम माओं को सलाह भी दे रहीं हैं, जो इस वक्त ऐसी ही परेशानियों का सामना कर रही हैं। 


37 वर्षीय एमिली मैरिलैंड की कहानी- 


एमिली कहती हैं कि मुझे लगा कि अस्पताल जाना जोखिम भरा होगा। क्योंकि जिस तरह की सावधानियां अस्पताल बरत रहे हैं, उस हिसाब से मैं वहां अकेली हो जाऊंगी। मुझे अपने बच्चे से अलग होने की चिंता सता रही थी। मेरा पार्टनर स्पर्म डोनेर होने के कारण ज्यादा जोखिम में है, इसलिए वो बच्चे को देखने के लिए सुरक्षित नहीं है। 


मैं गर्भवती होने के पांच मिनट बाद ही घर में डिलीवरी का फैसला कर लिया था। जब मैं महामारी से पहले लोगों से इस बारे में बात कर रही थी, तो वे सुरक्षा को लेकर सवाल कर रहे थे। लेकिन अब सभी मेरा कॉन्टेक्ट मांग रहे हैं। मैंने घर में एरियल योग के लिए झूला बनाया। प्रसव पीड़ा के दौरान हम बात करते थे कि क्या हमें अस्पताल जाना चाहिए। अगर वे मुझे और बच्चे को देखते तो सी-सेक्शन देते और दाइयों ने मुझे होम्योपैथी का सामान दिया। दाइयों ने मुझे मां के साथ मिलकर स्क्वाट्स की कोचिंग दी। मुझे उनपर पूरा भरोसा था।


35 साल की कार्ली बक्स्टन की कहानी-


कार्ली कहती हैं कि मैं अपने बच्चे को जन्म देने के बाद दाई बन गई। मुझे दुख है कि मेरे माता-पिता नए बच्चे से केवल तीन बार ही मिल पाए। इसके अलावा मुझे सबसे ज्यादा ग्लानी है कि हमारे हालात बदतर हैं। हम घर का सामान ऑर्डर नहीं कर सकते हैं। हालांकि कई सारी चीजें ऐसी हैं, जिसके लिए हमें ईश्वर का आभारी भी होना चाहिए। लेकिन अभी यह लगातार डर बना हुआ है कि सबकुछ ठीक नहीं है। हम बच्चों को जन्म देने वाली मांएं इतिहास बना रही हैं।


33 साल की डैनियल गैलीनो की कहानी- 


डैनियल कहती हैं कि बच्चे के जन्म से पहले घबराहट थी और हमें कड़े निर्णय लेने थे। हमारा प्लान एकदम बदलने लगा। हम हमारी बेटी को अपने साथ अस्पताल नहीं ला सकते थे, इसलिए हमने पैरेंट्स को मदद के लिए बुलाया। हमारे डॉक्टर ने कहा कि कोविड 19 का सी सेक्शन बेहतर होगा। मास्क और सर्जिकल गियर के साथ बच्चे को जन्म देना थोड़ा अलग था। मैं डिस्चार्ज होने के बाद अपने बच्चे को छू पाई। मैं हर हफ्ते भर मास्क लगाकर डॉक्टर के पास जाती थी, जहां बाहर लोग अपनी गाड़ियों में टेस्ट करवा रहे होते थे। हमने ज्यादा से ज्यादा सामान स्टॉक करने की कोशिश की। हमने कुछ चीजें पहले ही खरीद कर रख लीं, लेकिन हम स्टॉक करने से भी बच रहे थे, क्योंकि हम जानते से सभी लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं।


33 साल की लिंडसे गोर्डन की कहानी- 


लिंडसे कहती हैं कि डॉक्टर ने कहा कि मुझे तय तारीख पर प्रेरित किया जाना चाहिए, क्योंकि वो महामारी को लेकर काफी चिंतित थीं। डिलीवरी के दौरान मैं अकेली थी। मुझे मेरी इच्छाओं के खिलाफ प्रेरित किया गया, लेकिन ऐसे वक्त में आप वहीं करते हैं, जो आपको डॉक्टर करने को कहते हैं। डिलीवरी होने पर सबसे पहले इस बात का दुख हुआ कि बच्चे के दादा-दादी उसे गोद में नहीं ले सकते। सब कुछ असली, डरावना और अजीब था। आप बच्चे से दूर भी नहीं रह सकते हो। ब्रेस्टफीडिंग में भी मुझे दिक्कत आ रही थी। मैंने अपने लेक्टेशन एक्सपर्ट से बात करने की बार-बार कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।


33 वर्षीय एमिली फाजियो की कहानी-


एमिली कहती हैं कि मुझे यह नहीं पता कि मेरी नर्स कैसी दिखती है। वे सभी पीपीई में थीं। वहां कोई आ-जा नहीं सकता था। मेरे पति साथ आ सकते थे। हमें आधी रात को ईआर को दिखाया गया। उन्होंने बिल्डिंग के बाहर हमारी जांच की, यह तय करने के लिए कि हमें कोरोना का कोई लक्षण तो नहीं है। डॉक्टर बेहद सावधानियां बरत रहे थे और मुझे सुरक्षित महसूस हो रहा था। हमें डिलीवरी के 24 घंटे बाद डिस्चार्ज कर दिया गया, जो कि आमतौर पर वे नहीं करते हैं।


बच्चे से कोई भी नहीं मिला और न ही मिलने आएगा। दादा-दादी भी दूर से देखकर निकल गए। बीते कुछ हफ्ते काफी परेशानी भरे रहे, लेकिन बच्चे के साथ जीवन हमेशा परेशानी भरा होता है। ज्यादा परेशानी इसलिए भी हुई, क्योंकि हमारे पास कोई नहीं था, जो आकर बच्चे के साथ रहे। डिलीवरी के बाद की रिकवरी अच्छी नहीं थी। शुरुआती दिनों में बच्चा दुखी था, क्योंकि मैं उसे गोद में नहीं ले सकती थी। दूसरे बच्चे के कारण मैगी खुद को नजरअंदाज महसूस कर रही थी।