लॉकडाउन में सेहत / जिम नहीं जाने से स्टेमिना-एनर्जी पर पड़ रहा असर, घर पर ही करें योग व एक्सरसाइज; एक्सपर्ट की सलाह- हम 70% डाइट और 30% फिजिकल एक्टीविटीज से मोटीवेट होते हैं
- दोबारा जिम में वापसी करने पर रखें सावधानियां, अपना निजी सैनिटाइज्ड सामान रखें साथ, टॉवेल भी ले जाएं
- थोड़े वक्त के लिए ही सही योग के लिए समय निकालें, शेड्यूल बनाकर करें सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करें
- जो लोग योग कर रहे हैं, वे लगातार करते रहें, क्योंकि इससे आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है
कोरोना महामारी से निपटने के लिए भारत में लॉकडाउन 4.0 की घोषणा हो चुकी है। हालांकि 18 से 31 मई तक चलने वाले इस लॉकडाउन में सरकार ने कुछ रियायतें भी दी हैं। लेकिन जिम जाने वाले फिटनेस प्रेमियों को अभी भी राहत नहीं मिली है। रोज घंटों जिम में वजन उठाकर वर्कआउट करने वाले बॉडीबिल्डर्स करीब 2 महीने से अपने रूटीन से दूर हैं।
इसके अलावा पार्क और स्टेडियम में योग करने वाले लोग भी खुली हवा में आसन नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में भोपाल में जिम का संचालन करने वाले ट्रेनर अमरीक सिंह और डायटीशियन-योग एक्सपर्ट डॉक्टर शैलजा त्रिवेदी स्वास्थ्य के प्रति चिंतित हो रहे लोगों को फिटनेस टिप्स दे रहे हैं।
लगातार जिम से दूरी होने से शरीर में एनर्जी कम हो रही है
- फिटनेस ट्रेनर अमरीक सिंह बताते हैं कि जो लोग पहले लगातार एक शेड्यूल के तहत वर्कआउट करते थे, वे सभी जिम से दूर हैं। ऐसे में उनके शरीर और स्वास्थ्य में होने वाले दुष्परिणाम तब सामने आएंगे, जब वे जिम जाना शुरू करेंगे। क्योंकि लंबे समय तक जिम से दूरी होने के कारण एनर्जी और स्टेमिना कम हो गई है। ऐसे में स्टेमिना दोबारा रिस्टोर करने में वक्त लगेगा।
- हालांकि सिंह, लॉकडाउन को फायदेमंद भी बता रहे हैं। उनका मानना है कि लगातार घर में रहने और खाने-पीने के बाद लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सजग हुए हैं। कोरोना के फैलाव को देखते हुए घर में रहना ही अच्छा है, क्योंकि जान है तो जहान है, लेकिन इसके बाद जब भी जिम खुलेंगे तो लोग ज्यादा एनर्जी के साथ एक्सरसाइज रूटीन में वापसी करेंगे।
शरीर में आलस पनपने के लिए 24 घंटे काफी
लॉकडाउन के बाद से ही जिम समेत सभी फिटनेस सेंटर्स बंद हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी वर्कआउट रूटीन वालों को उठानी पड़ रही है। क्योंकि जिम में थोड़ा गैप होने पर भी बुरे परिणाम सामने आते हैं। इसपर सिंह कहते हैं कि हम लगातार हफ्तेभर काम करते हैं, लेकिन रविवार को आराम करते हैं और शरीर को आलसी बनाने के लिए 24 घंटे यानी एक दिन ही काफी होता है। लेकिन अब लगातार फिजिकल एक्सरसाइज बंद है और डाइट शेड्यूल भी काफी बिगड़ गया है।
घर पर शरीर को दे थोड़ा वक्त
- अमरीक के अनुसार बाहर सबकुछ बंद है, ऐसे में आपके पास खुद के लिए पर्याप्त वक्त भी है। ऐसे में अपनी क्षमता के हिसाब से शरीर को मूवमेंट दें। सिंह घर में ही टहलने, सिट अप्स और पुश अप्स की सलाह देते हैं। इससे आपकी जिम में वर्कआउट और एक्सरसाइज की लय बरकरार रहेगी। इसके अलावा घर में दीवार के सहारे पुशअप्स, फ्लोर एक्सरसाइज और सीढ़ियों पर जल्दी-जल्दी चढ़ें और उतरें।
- डाइट को लेकर अमरीक बताते हैं कि अपने खाने की मात्रा कम कर दें और भोजन की गिनती बढ़ा दें। उदाहरण के तौर पर अगर आपकी डाइट 4 रोटियों की है और आप दिनभर में तीन बार खाना खाते हैं तो केवल दो रोटी खाना शुरू करें और भोजन 6 बार करें।
जिम में वापसी करें तो रखें कुछ सावधानियां
लॉकडाउन खुलने के बाद आप जब जिम में वापसी करेंगे तो अपनी और दूसरों की सुरक्षा का ख्याल भी रखना होगा। क्योंकि लॉकडाउन हटने का मतलब है, जिम के दरवाजे दोबारा खुलना न कि कोरोना का खत्म होना। इसलिए एक्सपर्ट्स ने कुछ सावधानियां रखने की सलाह दी है।
- जिम बैग में हो सुरक्षा का सामान: जिम जाते वक्त अपने बैग में हैंड सैनिटाइजर, सैनिटाइज्य टॉवेल और अपनी पानी की बोतल खुद रखें। किसी और की कोई भी चीज को इस दौरान इस्तेमाल करने से बचें। इस बैग में अपने मास्क, ग्लव्ज भी रखें।
- उपयोग करने से पहले और बाद में मशीनों को साफ करें: जब भी आप किसी एक्सरसाइज मशीन पर वक्त बिता रहे हैं तो सबसे पहले उसे साफ करें। वहीं, उपयोग करने के बाद भी अपनी तरफ से मशीन की सतह को साफ करें। किसी और की सफाई पर भरोसा न कर खुद भी सुरक्षित स्टेप्स लें।
- सेंटर में क्लीनिंग स्टाफ की मांग: जिम में एक बार में कई लोग वर्कआउट करते हैं और ऐसे में मशीनों को बार-बार अपने स्तर पर डिसइंफेक्ट करना आसान नहीं होता है। ऐसे में सेंटर पर पहुंचकर वहां के क्लीनिंग स्टाफ के बारे में जान लें।
- एसी में एक्सरसाइज करने से बचें: वो लोग जो जिम जाने की शुरुआत करने के बारे में सोच रहे हैं, वे नॉन एसी जिम को ही प्राथमिकता दें। इसके अलावा जिम में क्रॉस वेंटिलेशन की भी जांच कर लें। इससे आपको कई तरह से सुरक्षा मिलेगी।
- भीड़ में जाने से बचें: जिम जाने से पहले यह देख लें कि वहां एक वक्त पर कितने लोग शामिल हो रहे हैं। अगर वहां भीड़ है तो जाने से बचें। इसके अलावा आप ट्रेनर या सेंटर मालिक से बात कर अपना वक्त भी बदल सकते हैं। ऐसे वक्त का चयन करें, जब वहां कम संख्या में लोग पहुंच रहे हों।
योग रूटीन बिगड़ने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर होता है
डॉक्टर शैलजा त्रिवेदी के अनुसार योग रूटीन का बिगड़ना मानसिक तौर पर भी असर डालता है। जो लोग योग कर रहे हैं, वे इसे लगातार करते रहें, क्योंकि इससे आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे हम स्वस्थ्य बने रहते हैं। योग करने से हमारा शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संतुलन बना रहता है।
घर और बाहर योग करने में होता है फर्क
- डॉक्टर शैलजा बताती हैं कि घर और बाहर योग करने में बहुत फर्क होता है। क्योंकि बाहर आप एक समूह में योग करते हो, जिससे माहौल में एक उत्साह बना रहता है। वहीं, जब घर में योग की शुरुआत करते हो तो कई बार बोर होकर इसे बीच में ही छोड़ देते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि बाहर हमारे सामने मार्गदर्शन देने वाले गुरु होते हैं।
- इसके अलावा डॉक्टर योग के साथ-साथ डाइट को भी अहम पहलू मानती हैं। वे बताती हैं कि स्वास्थ्य का आधार आहार है- हम 70 फीसदी डाइट और 30 प्रतिशत हम फिजिकल एक्टीविटीज से मोटीवेट होते हैं। इसलिए खान-पान पर विशेष ध्यान दें और सीजनल फूड का उपयोग करें। अपने आहार में लिक्विड की मात्रा ज्यादा लें, क्योंकि पसीना निकलता है तो पानी की जरूरत पूरी होती रहे।
घर पर योग के लिए ऑनलाइन क्लासेज की मदद लें, लेकिन सावधान भी रहें
डॉ. शैलेजा कहती हैं कि आजकल कई सारी ऑनलाइन क्लासेज उपलब्ध हैं। इनकी मदद से आप योग की टिप्स ले सकते हैं और नए आसन सीख सकते हैं। लेकिन ऑनलाइन हेल्प लेने से पहले सावधान भी रहें। अगर आप कोई आसन ठीक तरह से नहीं कर पा रहे हैं, समझ नहीं पा रहे हैं तो उसे करने से बचें। क्योंकि गलत तरीका अपनाने पर आप स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
डॉक्टर के मुताबिक आप इन आसनों और प्राणायाम को घर पर भी कर सकते हैं
- ताड़ासन: दोनों हाथों को उपर उठाकर कान से सटाएं। फिर पंजे के बल खड़े होकर 15 सेकंड तक रुकें।
- तिर्यक ताड़ासन: दोनों पैरों के बीच दो फुट की दूरी रखें। हाथों की उंगलियों को लॉक कर लें और दोनों हाथों को ऊपर उठा लें। फिर कमर से दाहिने ओर क्षमतानुसार झुकें और 10 सेकंड रुकें। इसके बाद बायीं ओर झुकें।
- कटिचक्रासन: दोनों पंजों के बीच आधा मीटर की दूरी रखें। दाहिने हाथ को बाएं कंधे पर रखें और बाएं हाथ को कमर पर रखते हुए शरीर को बाएं ओर मोड़ें। 10 सेकंड रुकें फिर वापस आएं, फिर ऐसा ही दूसरी ओर से करें।
विशेष बात- यह खड़े होने वाले तीनों आसनों को सुबह खाली पेट पानी पीकर करने से कब्ज में लाभ मिलता है। ऐसा करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली बनती है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
पाचन तंत्र के लिए आसन
- वज्रासन: घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं और हाथों को घुटनों पर रखें। सिर और पीठ एक सीध में रखें। आंखें बंद कर तनाव रहित रहें।
- माण्डुकासन: वज्रासन में बैठें। दोनों मुट्ठी को नाभी के चार अंगुल दूर रखें। धीरे-धीरे सामने की ओर झुकें पेट पर दबाव बनाएं किंतु पीछे से नितंब न उठाएं। सिर ऊपर की ओर रखें।
- शशांकासन: वज्रासन में बैठें। दोनों हाथों को सिर के ऊपर लेकर जाएं। फिर धीरे-धीरे हाथों व सिर को सीध में रखते हुए सामने की ओर झुकें। हाथों और सिर को घुटने के सामने जमीन पर रखें। 15 सेकंड तक विश्राम की अवस्था में रहें।
विशेष बात- वज्रासन के समूह के आसन पाचन तंत्र के लिए लाभदायक हैं। कब्ज, गैस और एसिडिटी को दूर करने में मदद मिलती है। इससे मन शांत कर एकाग्रता मिलती है।
सावधानी- घुटनों का दर्द, हर्निया में यह आसन न करें।
मानसिक तनाव को नियंत्रण करने के लिए
- पर्वतासन: सुखासन में बैठ जाएं। दोनों हाथों को प्रणमासन में रखकर धीरे से सिर के ऊपर रखें और सीधा करें। आंखें बंद कर के ध्यान करें।
सावधानी- साइटिका, स्लिपडिस्क, कमर दर्द होने पर यह आसन न करें।
प्राणायाम
- अनुलोम-विलोम: किसी भी सुखदायक आसन में बैठ जाएं। आंखें धीरे से बंद कर दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें। बाएं नासिका से सांस लें। इसके बाद बायीं नासिका को बंद करें और दाहिने से सांस छोड़ें। दाहिने नासिका से गहरी सांस उठाएं फिर दाहिने नासिका को बंद करें, बायीं नासिका से सांस छोड़ें। इसे 10 बार दोहराएं।
- भस्त्रिका प्राणायाम: दोनों नासिका से धीमी गहरी सांस लें। फिर दोनों नासिका से सांस मध्यम गति से बाहर छोड़ें। इसे 5-7 बार दोहराएं।
लाभ- इससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। कार्बन डायऑक्साइड बाहर निकलती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। सांस संबंधी रोगों में मददगार है।
सावधानी- उच्च रक्तचाप, चक्कर आना, माइग्रेन व दिल के मरीज न करें।
- शीतली प्राणायाम: जीभ को नालीनुमा बनाकर बाहर निकालें। जीभ से ठंडी सांस लें। मुंह को बंद कर नाक से सांस बाहर निकालें। इसे 5 बार दोहराएं।
लाभ- उच्च रक्तचाप में लाभदायक है। हाइपर एसिडिटी, डकार, पेट में जलन में लाभ मिलता है। मन शांत होता है। गर्मियों में ठंडक मिलती है।
सावधानी- निम्न रक्तचाप और गंभीर अस्थमा रोगी न करें।
- प्रणव नाद: गहरी सांस लें और ॐ का उच्चारण करें। ऐसा पांच बार करें।
सावधानी- मानसिक तनाव, डिप्रेशन और तंत्रिका तंत्र के रोगों में मददगार है।