लॉकडाउन में फंसी जिंदगी / रिक्शा पर पत्नी और बच्चे को बैठाकर दिल्ली से 1350 किलोमीटर दूर युवक पहुंचा देवघर, बंगाल जाना है

लॉकडाउन में फंसी जिंदगी / रिक्शा पर पत्नी और बच्चे को बैठाकर दिल्ली से 1350 किलोमीटर दूर युवक पहुंचा देवघर, बंगाल जाना है





गणेश ने बताया कि अब कभी परदेस नहीं जाऊंगा। घर पर रहकर जैसे-तैसे काम करके गुजारा करेंगे। 






  • कहा- पांच हजार रुपए में खरीदा सेकंड हैंड रिक्शा


देवघर. लॉकडाउन की महामारी लोग ऐसे काम कर रहे हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लॉकडाउन से तंग आकर दिल्ली में पेशे से मैकेनिक गोविंद मंडल ने ऐसा कुछ किया है जिसकी कल्पना करना मुश्किल है। साढ़े तीन साल के बच्चे एवं पत्नी के लिए उन्होंने 1350 किलोमीटर रिक्शा तक खींच डाला। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के गोविंद मंडल मंगलवार को अपनी पत्नी एवं साढ़े तीन साल के बच्चे के साथ देवघर पहुंचे। देवघर के नगर थाना में कम्यूनिटी किचन में भूख से तड़प रही पत्नी एवं बच्चों को भोजन कराया। उनकी ओर लोगों की नजर पड़ते ही लोग उनसे बात करने लगे। इस दौरान सरी कहानी पता चली। 


गणेश मंडल ने बताया कि वे दिल्ली में लाजपत नगर में मैकेनिक का काम करते थे। लॉकडाउन के पहले गैराज मालिक ने 16 हजार रुपए दिए और काम पर आने से मना कर दिया। डेढ़ महीने तक किसी तरह इसी पैसे से परिवार के भरण-पोषण में लगे रहे। अंत में उनके पास मात्र पांच हजार बचे। फिर उनके सामने भूख से मरने की नौबत आ गई। तब उन्होंने अपने घर वापसी के लिए सोचा लेकिन लौटने का कोई साधन नहीं मिला। दिल्ली से बंगाल की दूरी लगभग 1500 किलोमीटर होने के कारण एक बार वे सोचने पर मजबूर हो गए लेकिन अपने बच्चे एवं पत्नी के लिए उन्होंने दिल्ली में ही एक व्यक्ति से 5000 में एक सेकंड हैंड रिक्शा खरीदा। 


रिक्शा बेचने वाले से काफी मिन्नत की तो उसने 200 कम किया और उसी 200 के साथ घर का सारा सामान लेकर रिक्शा में अपने पत्नी एवं बच्चे को लेकर गणेश दिल्ली से बंगाल के लिए चल पड़े। उन्होंने बताया कि घर से निकलते ही दिक्कतें शुरू हो गई। सामान लेकर थोड़ी दूर पहुंचा तो रिक्शा पंक्चर हो गया। दुकानदार ने इसके लिए उनसे 140 रुपए वसूले। अब गोविंद के पास सिर्फ 60 रुपए बचे। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और आगे निकलता रहा। 


गणेश ने बताया कि उत्तर प्रदेश पहुंचने पर पुलिस वालों ने उसे रोका लेकिन उसकी आपबीती सुनने के बाद पुलिस को भी उस पर रहम आया और पुलिस वालों ने छोटा गैस सिलेंडर भरवा कर उसे दिया। मंगलवार को 15 दिनों का सफर तय करने के बाद गोविंद देवघर पहुंचा। लेकिन, देवघर पहुंचते ही उसकी हिम्मत भी जवाब दे गई। भूख के कारण वह रिक्शा भी नहीं खींच पा रहा था और पत्नी एवं बच्चे को बिलखते देख मन को मसोस रहा था। इसी दौरान उसे सामने नगर थाने के कम्यूनिटी किचन के बारे में पता चला। फिर उसने पत्नी और  बच्चे को खाना खिलाया और कुछ खाना रास्ते के लिए लेकर निकल पड़ा। 


मंजिल अभी भी 300 किलोमीटर दूर
गणेश ने बताया कि उसे अभी 300 किलोमीटर की दूरी तय करनी है। उधर, कम्यूनिटी किचन के आसपास के लोगों ने गणेश की आपबीती सुनी तो उसके जुनून को देखकर वहां मौजूद सभी लोग दंग रह गए। उसने बताया कि अब कभी परदेस नहीं जाऊंगा। घर पर रहकर जैसे-तैसे काम करके गुजारा करेंगे।