लॉकडाउन का दर्द / बैलगाड़ी के लिए दूसरा बैल नहीं था तो महिला ने कंधे पर उठाया भार, परिवार को लेकर खींची गाड़ी

लॉकडाउन का दर्द / बैलगाड़ी के लिए दूसरा बैल नहीं था तो महिला ने कंधे पर उठाया भार, परिवार को लेकर खींची गाड़ी





परिवार के साथ इंदौर आ रही महिला ने परिवार की मदद के लिए भरी दोपहरी में बैलगाड़ी खींची।






  • महू से इंदौर के पत्थर मुंडला गांव जाने के लिए परिवार निकला था

  • मुंबई-आगरा हाईवे स्थित इंदौर बाइपास पर दिखा मार्मिक दृश्य


इंदौर. लॉकडाउन में फंसे लोगों की मजबूरी ऐसी कि घर तक पहुंचने के लिए कोई पैदल जा रहा है तो कोई जुगाड़ से दहलीज तक पहुंचने की कोशिश में है। जिसे जो साधन मिल रहा है, वह परिवार के साथ पूरा सामान लेकर सड़क पर निकल रहा है। ऐसा ही एक नजारा इंदौर बाइपास पर देखने को मिला। यहां लॉकडाउन में फंसे एक परिवार के पास बैलगाड़ी तो थी, लेकिन एक बैल नहीं था। इस पर कभी महिला को एक बैल का भार उठाना पड़ा तो कभी परिवार के अन्य सदस्यों को।


लॉकडाउन से महू में रोजी-रोटी छिनी तो इंदौर का एक परिवार बैलगाड़ी से घर जाने के लिए निकला। इसी बैलगाड़ी में गृहस्थी का पूरा सामान भी रख लिया। लेकिन, मुसीबत यह थी कि इनके पास बैलगाड़ी में जोतने के लिए दूसरा बैल नहीं था। परिवार ने तय किया कि सभी लोग थोड़ी-थोड़ी दूर तक बैलगाड़ी को खींचकर घर पहुंचेंगे। इसके बाद एक बैल के स्थान पर कभी महिला ताे कभी पुरुष जुत गए और बैलगाड़ी खींचने लगे।


इस परिवार के एक युवक ने बताया कि बैलगाड़ी में बैठे दो लोग उसकी भाभी और भाई हैं। वे लोग आज सुबह महू से इंदौर के पत्थर मुंडला गांव के लिए निकले थे। बैलगाड़ी खींचने को लेकर कहा कि उसके पास एक ही बैल है, ऐसे में उसने और परिवार के अन्य सदस्यों ने बैलगाड़ी खींची। पैदल घर जाने की बात पूछी तो बोला कि बैल को कहां छोड़ता। इसलिए पूरा परिवार समय-समय पर बैलगाड़ी खींचकर इंदौर से महू के बीच करीब 30 किलोमीटर के सफर पर निकला।