कोरोना काल / तपती धूप में घर वापसी, इंदौर सीमा पर बस से उतरने के बाद दूसरी बसों के लिए 2 से 3 किमी लंबी लाइन में लगने की जद्दोजहद
- इंदौर के आगे अभी 1200 किमी का फासला बाकी, 5 हजार से ज्यादा यात्रियों की कतार, अधिकतर बिहार और यूपी जाने वाले
- स्वयंसेवी संस्थाएं दे रही नाश्ता, भोजन, जूते-चप्पल, दवाइयां
इंदौर. (हरिनारायण शर्मा). एबी रोड पर राऊ से बायपास तक भले ही प्रदेश सरकार ने बसों की सुविधा शुरू कर दी है, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के साथ जारी जंग में इन मजबूर मजदूरों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। यह नजारा है इंदौर-देवास की सीमा शिप्रा के पार का। इंदौर की सीमा में प्रवेश करते ही बसें इन्हें बैठा रही है, 33 किमी के सफर में नाश्ता, भोजन, जूते-चप्पल, दवाइयां भी संस्थाएं दे रही हैं, लेकिन इनका संघर्ष फिर शुरू होता है शिप्रा में बस से उतरते ही।
दरअसल, देवास के लिए इन्हें अगली बसों में सवार होना था। बुधवार दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक करीब 5 हजार मजदूर अगली बस में बैठने के लिए लाइन में लगाए गए। लाइन भी छोटी नहीं 2 से 3 किलोमीटर लंबी। ऊपर से धूप, साथ में सामान और मन में घर जाने का सपना... इसी कारण लाइन जैसे ही आगे बढ़ती, इनका जोश फिर बढ़ता। अधिकतर मजदूर इनमें भी यूपी और बिहार के। इंदौर क्राॅस करने के बाद भी इनका 1100 से 1200 किलोमीटर का सफर बाकी है, वह भी तब जब चौथे लॉकडाउन को भी कुछ दिन बीत गए हैं।
मजदूर बोले- पता नहीं अभी कितने दिन लगेंगे घर पहुंचने में
- बिहार जाने के लिए महाराष्ट्र से यहां तक जैसे-तैसे लाइन में लगे किशोर वानखेड़े का कहना था अभी तो पता नहीं कितने दिन लगेंगे घर पहुंचने में। फिर देखेंगे आगे क्या करना है। काम तो वहां भी मुश्किल होगा, लेकिन एक बार घर चले जाए तो तीरथ नहा लेंगे।
- इसी तरह सूरत से आए विजय कुमार यूपी जाना चाहते हैं, उनका भी कहना था, पहले तो वहीं से निकल नहीं पाए। जैसे-तैसे निकले तो अभी अटक-अटककर जा रहे हैं। हालांकि, यहां एक मैदान में बसों के साथ टैंट की भी व्यवस्था है, लेकिन मजबूरी यह कि लाइन में नहीं लगे तो पता नहीं घर पहुंचने में और कितने दिन लग जाएंगे।