कोरोना काल में हीलिंग वाटर कैसे बनाये
- Yogi Yogendra
भारतीय संस्कृति में पानी को देवता मानकर उसकी पूजा का विधान किया गया है, हमारे वेद पानी को अमृत मानकर उससे किसी भी समस्या का निदान करने की महिमा से भरे पड़े है , हजारों वर्षों से हमारी पवित्र -पावन नदियां हमारी सभी समस्याओं के समय हमें सम्बल प्रदान करती रही है, आज भी गंगा जल से कोरोना के इलाज की बात की जा रही है | हमारी संस्कृति की विशेषताओं को वैज्ञानिक प्रमाणों से सिद्ध करके अनेक वैज्ञानिको ने विश्व भर में प्रसिद्धि प्राप्त की है, इनमे डॉ. ओट्टो वानबर्ग , डॉ। बेड़निरिच , डॉ. मसारू इमेटो के नाम प्रमुख है | डॉ. ओट्टो वानबर्ग ने अल्कलाइन पानी से कैंसर सहित अनेक बिमारियों पर विजय प्राप्त की | अल्कलाइन पानी जीवन का बहुत बड़ा स्त्रोत है। साधारण पानी पीने की तुलना में जब हम अल्कलाइन पानी पीते हैं तो यह शरीर में अम्लीय पदार्थ को प्रभावहीन करके उन्हें घुलनशील बना देता है जो मूत्र और पसीने के रूप में शरीर के बाहर निकल जाता है।यही कारण है कि अल्कलाइन पानी को लाख दुखों की एक दवा माना गया है कई बीमारियों का मुख्य कारण वह अम्लीय व्यर्थ पदार्थ होते हैं जिनका शरीर से निष्कासन नहीं हो पाता और वह शरीर के मुख्य भागों में जमा हो जाते हैं और फिर धीरे धीरे अपने आस पास की कोशिकाओं में भी फैलने लगते हैं , अम्लीय व्यर्थ पदार्थ के कारण कोशिकाओं को ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो जाती है , फलस्वरूप जीवित शरीर में प्राण ऊर्जा के बाधित होने से शरीर के अंगों की काम करने की क्षमता कम होने से वायरस के संक्रमण का खतरा ,कैंसर, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप , मधुमेह, गुर्दों की बीमारियां, गठिया, अर्थराइटिस, कब्ज,हैजा,मोटापा, सर दर्द, त्वचा रोग, त्वचा की एलर्जी, दमा और अंत में मृत्यु की प्रक्रिया शुरू हो जाती है ,इसलिए इस परिस्थिति को रोकने के लिए अल्कलाइन पानी पीकर अम्लीय व्यर्थ पदार्थ के जमा होने से हमें रोकथाम करनी चाहिए।सामान्यता अल्कलाइन पानी को विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे इत्यादि जिनका कारण अम्लीय व्यर्थ पदार्थ का बनना और शरीर में जमा होना है। स्वस्थ्य कोशिका क्षारीय और कैंसर कोशिका अम्लीय होती है। विश्व को भारत द्वारा भेजी जा रही दवा हड्रोक्लोरोक्वीन भी शरीर को अल्कलाइन बनाने का कार्य करती है, जिससे संक्रमण समाप्त हो जाता है | यहाँ हम आपको घर पर ही एल्कलाइन वाटर बनाने की प्रक्रिया बताने जा रहे है |
1. एल्कलाइन {डेटॉक्स } वाटर का निर्माण
आप प्रतिदिन कम से कम 15 दिन तक. डेटॉक्स वाटर पीकर शरीर से सारे विषैले तत्वों को बाहर निकाल कर अपने शरीर को एल्केलाइन बना सकते है |
सामग्री --
1 . एक लीटर पानी
2 . 50 ग्राम ककड़ी
3. आधा नींबू
4. छोटा टुकड़ा अदरक
5. सात तुलसी के पत्ते
6 . दस पत्ते पुदीना
7. दस पत्ते मीठी नीम
8 .. 20 ग्राम धनिया पत्ते सभी को रात में पानी में डालकर ढक कर रख दे, आठ घंटे बाद ये सब निकालकर फेंक दें, और पानी को घूँट घूँट कर दिन में तीन चार बार पीये , शुरू के कुछ दिन आपके शरीर, मल -मूत्र से दुर्गंध आ सकती है, यह शरीर के शुद्ध होने की निशानी है | डेटॉक्स बाटर कोई भी पी सकता है , यह समस्त प्रकार के रोगों से मुक्त होने का बहुत आसान और सस्ता तरीका है |
2 . तांबे के बरतन का पानी
तांबे के बरतन का पानी तीन दोषों वात , पित्त और कफ को संतुलित करता है | इस पानी का पूरी तरह से लाभ तभी मिलता है जब तांबे के बरतन में कम से कम 8 घंटे तक पानी रखा जाए |तांबे के बरतन का पानी पीने से निम्न लिखित लाभ होते है --
1. डाइजेशन सिस्टम करे दुरूस्त
2. तांबा पेट, लिवर और किडनी सभी को डिटॉक्स करता है. इसमें ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो पेट को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टिरिया , वायरस को मार देते हैं,
3. अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से दे राहत
4. लंबे समय तक रखें जवां
5. वज़न करे कम
6. घाव को करे जल्दी ठीकतांबे में मौजूद एंटी-वाइरल, एंटी- बैक्टिरियल और एंटी-इंफ्लेटरी प्रॉपर्टीज़ किसी भी तरह के संक्रमण , घाव और जख्म को जल्दी भरने में मदद करती है. ये इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉंग कर नये सेल्स बनाता है, जिस वजह से घाव जल्दी भर जाते हैं.
3. पानी को ऊर्जामय बनाना
जापान के वैज्ञानिक डॉ मसारू इमेटो ने अच्छे शब्दों का प्रयोग करके पानी की संरचना में परिवर्तन करके , अनेक रोगियों को ठीक करने में सफलता प्राप्त की , अगर हम पानी के सामने हाथ जोड़कर उसे पीने से पहले , ॐ मंत्र का जाप करे , या कोई प्रार्थना करें , या अच्छे शब्दों का प्रयोग करके उसे ग्रहण करें , तो उसके चमत्कारिक परिणाम तुरंत देखने को मिलेंगे | पानी जीवित वस्तु है, अगर हम पानी से जो भी प्रार्थना करते है, वह उसे पूरी अवश्य करता है | आप इसका प्रयोग खुद करके देख सकते है |