कोरोना का भय / अपने इकलौते बेटे को नहीं खोना चाहती थी महिला, पिता के जनाजे को कंधा देने से रोका; डॉक्टरों ने निभाया मानवता का धर्म
शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा में कार्डियो रेस्पिरेट्री सिस्टम फेल होने से हुई थी कोरोना संक्रमित की मौत
परिवार के लोगों ने ककराला कब्रिस्तान पहुंचकर शव को हाथ लगाने से किया था इंकार
ग्रेटर नोएडा. कोरोनावायरस महामारी के इस संकटकाल में खून के रिश्ते पराए हो रहे हैं। इसका उदाहरण शनिवार रात ग्रेटर नोएडा में देखने को मिला। यहां एक मां ने अपने इकलौते बेटे को उसके कोरोना पॉजिटिव पिता के जनाजे से हाथ लगाने से रोक दिया। मृतक जिस धर्म से तालुक रखता था, उससे जुड़े लोगों ने भी कंधा देने से इंकार कर दिया। ऐसे में लोग पशोपेश में पड़ गए कि शव का अंतिम संस्कार कैसे होगा? आखिरकार पुलिस के सहयोग से स्वास्थ्य कर्मियों ने एहतियात बरतते हुए शव को सुपुर्द-ए-खाक किया।
इन दो डॉक्टरों व फार्मासिस्ट ने निभाया मानवता का धर्म
परिजनों के इंकार के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बुजुर्ग के शव को दफनाने की जिम्मेदारी जिला क्वारैंटाइन प्रभारी एवं एसीएमओ डॉ. वीबी ढाका, दादरी सीएचसी प्रभारी डॉ. अमित चौधरी व फार्मासिस्ट कपिल चौधरी को सौंपी। जिन्हें निर्देश दिए गए कि वो मृतक के परिवार से बात कर उन्हें साथ लेकर प्रोटोकॉल के तहत शव का क्रियाकर्म कराने में मदद करें। अस्पताल से रात करीब 10 बजे बुजुर्ग के शव को नोएडा के ककराला गांव स्थित कब्रिस्तान पहुंचाया गया। वहीं मृतक की पत्नी, बेटे और बेटी समेत सभी परिवार के सदस्यों को भी गलगोटिया यूनिवर्सिटी क्वारैंटीन सेंटर से कब्रिस्तान लाया गया।
महिला ने कहा- पति को कोरोना ने छीना अब बेटे को खोना नहीं चाहती
जहां कब्र की खुदाई के बाद एंबुलेंस में बैठी मृतक की पत्नी, बेटे और बेटी से जनाजे को शव वाहन से निकालकर कब्र तक पहुंचाकर सुपुर्द-ए-खाक की कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया। लेकिन, पति की मौत का गम झेल रही पत्नी ने अपने बेटे और बेटी को कोरोना के डर से अंत समय में उनके पिता के जनाजे को हाथ लगाने से भी रोक दिया। उनका कहना था कि कोविड-19 ने उनके पति के जीवन को लील लिया है, अब वो अपने बच्चों को नहीं खोना चाहतीं।
बेटा बोला- मां के आंसुओं ने रोक दिया
बीएएमएस की पढ़ाई कर रहे उनके बेटे के अनुसार वो पिता के अंत समय में अपना फर्ज अदा करना चाहते थे। लेकिन, मां की आंखों के आंसूओं ने उन्हें रोक दिया। इसके चलते दो डॉक्टरों व फार्मासिस्ट ने ही उनके पिता के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को उनकी मौजूदगी में पूरा किया।