जगन्नाथ पुरी / मंदिर समिति का फैसला- इस बार रथयात्रा भक्तों और भीड़ के बिना निकाली जाए; सरकार से इजाजत मांगी

जगन्नाथ पुरी / मंदिर समिति का फैसला- इस बार रथयात्रा भक्तों और भीड़ के बिना निकाली जाए; सरकार से इजाजत मांगी





26 अप्रैल से रथ बनाने का काम शुरू होना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते ये शुरू नहीं हो पाया था। इसके बाद 8 मई को यह काम शुरू हुआ।






  • सरकार की अनुमति के बाद योजना तैयार की जाएगी

  • यात्रा में कितने लोग शामिल होंगे और कैसा स्वरूप होगा, इस पर फैसला बाकी


पुरी. भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा इस बार बिना भक्तों और भीड़ के निकल सकती है। शनिवार दोपहर श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने इस पर अपनी रजामंदी जताई है। अगर ओडिशा सरकार इस पर मुहर लगाती है तो रथयात्रा निकलने का रास्ता साफ हो जाएगा। मंदिर समिति ने इसका फैसला लिया है। 


समिति के चेयरमैन ओडिशा के गजपति महाराज दिव्यसिंह देब ने कहा है कि रथयात्रा का लाइव प्रसारण अलग-अलग चैनलों पर किया जाए। बिना भीड़ के सिर्फ मंदिर के सेवकों और पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में रथयात्रा निकाली जा सकती है। मंदिर में रथयात्रा के लिए रथ बनाने का काम भी तेजी से किया जा रहा है। रथयात्रा 23 जून को निकलनी है। 


कम से कम लोगों की मौजूदगी में यात्रा निकलेगी


रथयात्रा को लेकर लंबे समय से असमंजस की स्थिति चल रही है। 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया से रथ बनाने का काम शुरू होना था, लेकिन लॉकडाउन के चलते ये शुरू नहीं हो पाया था। इसके बाद 8 मई को केंद्र सरकार की इजाजत के बाद यह काम शुरू हुआ। लेकिन, इस दौरान पुरी जिले में कोरोना वायरस के 30 से ज्यादा केस निकल गए। साथ ही अम्फान साइक्लोन के कारण भी दो से तीन दिन काम नहीं हुआ। शनिवार दोपहर 1 बजे गजपति महाराज दिव्यसिंह देब की अध्यक्षता में हुई बैठक में आखिरकार समिति ने फैसला लिया है कि कम से कम लोगों की मौजूदगी में रथयात्रा निकाली जाएगी। 


पूर्णिमा स्नान की परंपरा भी मंदिर के अंदर ही होगी


5 जून को पूर्णिमा स्नान की परंपरा को भी मंदिर के अंदर ही मंदिर से जुड़े लोगों की मौजूदगी में ही पूरा किया जाएगा। रथयात्रा निकलने से करीब 15 दिन पहले होने वाला पूर्णिमा स्नान उत्सव काफी महत्वपूर्ण है। इसमें पवित्र त्रिमूर्ति (भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा) को सुगंधित जल से अभिषेक-स्नान कराया जाएगा। ये उत्सव रथयात्रा से जुड़ा है और इससे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। लेकिन, इस बार मंदिर समिति ने तय किया है कि कुछ ही लोगों की मौजूदगी में यह किया जाएगा।


इसी उत्सव में 108 घड़ों के पानी से स्नान के बाद भगवान की तबीयत खराब होती है और उन्हें कुछ दिन एकांत में रखा जाता है। औषधियां दी जाती हैं। इसके बाद जैसे ही भगवान ठीक होते हैं, उन्हें मौसी के घर गुंडिचा मंदिर ले जाता है। अपने-अपने रथों में सवार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा 8 दिन के लिए जाते हैं।



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