घाटी में घटता आतंकवाद / 2018 में 219 कश्मीरी आतंकी बने थे, 2019 में 119 आतंकी बने, इस साल 3 मई तक 35 ही आतंकी तंजीमों से जुड़े
- आतंकी संगठनों में भर्ती में कमी आने की वजह है- एनकाउंटर, इस साल अब तक 64 आतंकी मुठभेड़ में मारे गए
- मारे गए आतंकियों में 22 आतंकी हिज्बुल के थे, जबकि, 8-8 आतंकी लश्कर और जैश से जुड़े हुए थे
श्रीनगर. पिछले 30 साल से आंतकवाद झेल रहे कश्मीर में अब आतंकी तंजीमों की भर्ती में कमी आनी शुरू हो गई है। इसका सीधा-सीधा मतलब यही हुआ कि कश्मीर की जो नई पीढ़ी है, वो भी शांति ही चाहती है। सुरक्षा एजेंसियों से मिला डेटा बताता है कि, कश्मीर में 2018 के बाद से आतंकियों की भर्ती की संख्या कम हो रही है। 2018 में 219 कश्मीरी आतंकी बने थे। यानी, उस समय हर महीने औसतन 18 लोग आतंकी संगठन से जुड़ रहे थे। 2019 में इसकी संख्या घटी। पिछले साल 119 लोग आतंकी बने।
इस साल भी आतंकी तंजीमों की भर्ती में गिरावट आई है। इस साल के 3 मई तक के ही आंकड़े मौजूद हैं और इस समय तक कश्मीर में सिर्फ 35 युवा ही आतंकी तंजीमों से जुड़े। यानी, 2 साल पहले तक नए लोगों की आतंकी बनने का हर महीने का औसत जहां 18 था, वो अब घटकर 8 का हो गया है।
नए आतंकियों की भर्ती में कमी आने की वजह क्या?
इसका जवाब है सुरक्षाबलों की कार्रवाई। सूत्र बताते हैं कि स्थानीय आतंकियों की भर्ती में कमी आने की सबसे बड़ी वजह ये है कि ज्यादातर आतंकी संगठनों के टॉप कमांडरों को एनकाउंटर में मार दिया जा रहा है। आंकड़े बताते हैं, सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 2018 में 215 और 2019 में 152 आतंकी मारे गए थे। इसी साल 3 मई तक सुरक्षाबलों ने 64 आतंकियों को ढेर कर दिया है।
इस साल मारे गए 64 आतंकियों में से 22 आतंकी हिज्बुल और 8-8 आतंकी लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे। जबकि, 20 आतंकियों की पहचान नहीं हो सकी है। इसके अलावा तीन-तीन आतंकी अंसार गजवत-ए-हिंद और इस्लामिक स्टेट जम्मू-कश्मीर से जुड़े हुए थे।
अब आतंकी सोशल मीडिया पर लोगों को भड़का भी नहीं पा रहे
आतंकी संगठन में नई भर्ती में कमी आने की एक वजह सोशल मीडिया भी है। दरअसल, आतंकियों के कमांडर सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को भड़काने में करते हैं। इस ट्रेंड की शुरुआत बुरहान वानी ने की थी। बुरहान सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करता था। यही कारण था कि वो आतंक का पोस्टर बॉय बन गया था।
उसकी मौत के बाद भी कई आतंकियों ने यही ट्रेंड अपनाया। हाल ही में सुरक्षाबलों के हिज्बुल मुजाहिदीन के जिस टॉप कमांडर रियाज नायकू को मार गिराया है, वो भी सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करता रहता था। टीआरएफ भी आतंकी हमलों की जिम्मेदारी सोशल मीडिया पर ही लेता था। ताकि, ज्यादा से ज्यादा युवाओं को भड़काकर आतंकी बनाया जा सके। लेकिन, अब इस पर काफी हद तक रोक लगा दी गई है।
आईजी विजय कुमार बताते हैं, 'टीआरएफ टेलीग्राम पर लोगों को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए मैसेज करता था। लेकिन, आतंकी रियाज नायकू की मौत के बाद ऐसा नहीं हो पाया। क्योंकि, हमने सरकार की मदद से इस टेलीग्राम चैनल को ही ब्लॉक कर दिया।'
कश्मीर में आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है नया संगठन टीआरएफ
2 फरवरी को श्रीनगर के लाल चौक पर एक ग्रेनेड अटैक हुआ था। इस हमले में 2 सीआरपीएफ के जवान समेत 4 स्थानीय नागरिक घायल हो गए थे। ये पहली बार था, जब टीआरएफ ने किसी आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी।
2 मई को भी हंदवाड़ा में जब सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ चल रही थी, तब टीआरएफ के आतंकी सोशल मीडिया पर मैसेज पोस्ट कर रहे थे। इस एनकाउंटर में 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल आशुतोष शर्मा समेत 5 जवान शहीद हो गए थे। मुठभेड़ में दो आतंकी भी मारे गए थे।
इस एनकाउंटर के बाद टीआरएफ ने एक बयान जारी कर कहा कि, मारे गए दोनों आतंकी स्थानीय थे। लेकिन, कश्मीर के आईजी विजय कुमार इसे खारिज करते हैं। उनके मुताबिक, मारे गए आतंकियों में से एक हैदर पाकिस्तानी आतंकी था, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था।
पुलिस का कहना है टीआरएफ यानी टेररिस्ट रेसिस्टेंस फ्रंट लश्कर-ए-तैयबा का ही संगठन है और एनकाउंटर में मारे गए ज्यादातर आतंकी इसी टीआरएफ से जुड़े होने का दावा करते हैं। लेकिन, असल में टीआरएफ लश्कर और हिज्बुल से जुड़ा हुआ है।
टीआरएफ को स्थानीय आतंकियों का संगठन बताने की कोशिश में है पाक
असल में टीआरएफ नया नहीं है। पिछले साल 5 अगस्त को जब जम्मू-कश्मीक से अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था, तो पाकिस्तान ने टीआरएफ नाम से संगठन बनाया और इसे कश्मीर का स्थानीय संगठन दिखाने की कोशिश की।
सुरक्षाबलों के मुताबिक, 'टीआरएफ इसलिए बनाया गया, ताकि पाकिस्तान ये दिखा सके कि कश्मीर में आतंकी हमलों में उसका हाथ नहीं है। लेकिन, पाकिस्तान ये सब उस समय भी कर रहा था जब टीआरएफ के आतंकी मारे भी जा रहे थे और पकड़े भी जा रहे थे। ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे।' उनके मुताबिक, टीआरएफ में अब हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी को भी शामिल करने की कोशिश हो रही है।
इस साल 3 मई तक 1500 से ज्यादा बार सीजफायर तोड़ चुका है पाक
महीना | 2018 | 2019 | 2020 |
जनवरी | 203 | 203 | 367 |
फरवरी | 223 | 215 | 366 |
मार्च | 201 | 267 | 411 |
अप्रैल | 176 | 234 | 387 |
मई | 104 | 221 | 16 (3 मई तक) |
जून | 19 | 181 | |
जुलाई | 13 | 296 | |
अगस्त | 44 | 307 | |
सितंबर | 102 | 292 | |
अक्टूबर | 178 | 351 | |
नवंबर | 180 | 304 | |
दिसंबर | 174 | 297 | |
कुल | 1629 | 3168 | 1547 |