छत्तीसगढ़ / दिल्ली से लौटे युवकों का दर्द- वहां खाने की दिक्कत थी, मकान मालिकों ने परेशान किया, स्टेशन पर ढूंढते रहे घर जाने का साधन

छत्तीसगढ़ / दिल्ली से लौटे युवकों का दर्द- वहां खाने की दिक्कत थी, मकान मालिकों ने परेशान किया, स्टेशन पर ढूंढते रहे घर जाने का साधन




  • राजधानी एक्सप्रेस से रायपुर आए लोगों ने बताया देश की राजधानी का हाल 

  • जहां आमदिनों में जिन इलाकों में जाने का किराया 100 रुपए, अब 1 हजार रुपए तक वसूली


रायपुर. रायपुर में पहली स्पेशल ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस छत्तीसगढ़ के लोगों को लेकर आई। इसमें ज्यादातर लोग ऐसे थे जो रायपुर के ही रहने वाले थे। मगर, कुछ लोग बेमेतरा, कोंडागांव, दुर्ग और धमतरी जिले से भी थे। जिन्हें रायपुर के रेलवे स्टेशन से अपने घर जाना था। जिला प्रशासन ने दावा किया कि यात्रियों को शहर के विभिन्न स्थानों में छोड़ने के लिए नगर निगम की ओर से बस की व्यवस्था की गई थी। हालांकि दूसरे जिले जाने के लिए लोग परेशान होते रहे। दिल्ली से आए युवकों ने लॉकडाउन के दौरान वहां बिताए दिनों के बारे में बताया। 


वक्त पर चाहिए होता था मकान मालिक को किराया 


कोंडागांव के रहने वाले अहमद दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। दैनिक भास्कर से कहा कि हॉस्टल से स्टूडेंट लौटने लगे थे। मेस में खाना नहीं मिल रहा था। जो मिल रहा था उसकी क्वालिटी गिरती जा रही थी। काम चलाने के लिए ब्रेड या दूध लेने की सोची तो वो भी नहीं मिलता था। मकान मालिकों को वहां किराया टाइम पर ही चाहिए होता है। सरकार के कहने कोई असर नहीं दिखा। ये सब अरेंज करने में मुश्किल हुई। वहां के लोग भी जागरूक नहीं हैं। छत्तीसगढ़ को आदिवासी राज्य कहा जाता है, यहां के लोग बल्कि दिल्ली के पढ़े-लिखे लोगों के मुकाबले ज्यादा जागरूक हैं। वहां के हालात की वजह से हमें डर था कि हम भी संक्रमित ना हो जाएं।  


रायपुर से धमतरी जाने में लगते थे 100 रुपए, अब हजार रुपए मांग रहे


धमतरी के रहने वाले सौरभ सोनी ने बताया कि दिल्ली में रहकर वह प्राइवेट नौकरी कर रहे थे। लॉकडाउन के बीच घर लौटने का कोई मौका नहीं मिला तो दिल्ली में रुकने की सोची। मगर, पैसे खत्म हो गए। राशन नहीं था। जैसे-तैसे गुजारा किया। उम्मीद थी कि लॉकडाउन में कुछ ढील मिले तो घर लौटेंगे। इसलिए ट्रेन की शुरूआत हुई तो पहले ऑनलाइन टिकट बुक की। एक मकान की छत पर बने छोटे रूम में रहते थे, गर्मी की वजह से वहां रहना भी मुश्किल था। अब जब यहां आया हूं तो भी परेशानी ही है। मुझे धमतरी जाना है... 100 रुपए लगते थे पहले। आज ऑटो वाले 1 हजार रुपए मांग रहे हैं। बस भी नहीं है यहां.. कोई, इंतज़ाम नहीं हैं।



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