अयोध्या / श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने 28 साल बाद रामलला के दर्शन किए, समतलीकरण कार्य का जायजा लिया
- अस्थाई मंदिर में रामलला की शिफ्टिंग के वक्त महंत नृत्यगोपाल दास उपस्थित नहीं थे
- महंत नृत्य गोपालदास ने विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद रामलला के दर्शन नहीं किए थे
अयोध्या. धार्मिक नगरी अयोध्या में भगवान राम के भव्य निर्माण की घड़ी अब नजदीक है। यहां मंदिर निर्माण के लिए 67.7 एकड़ भूमि को समतल बनाया जा रहा है। इसी बीच सोमवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास ने सुबह 10 बजे यहां 28 साल बाद रामलला के दर्शन और पूजन किया। उन्होंने समतलीकरण कार्य का भी जायजा लिया। महंत ने कहा- राम मंदिर निर्माण का कार्य अब जारी रहेगा। समतलीकरण के साथ मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।
महंत नृत्य गोपाल दास ने सोमवार को अचानक रामलला के दर्शन का कार्यक्रम बनाया। यहां अस्थाई मंदिर में विराजमान भगवान राम के बाल स्वरूप के दर्शन किए। बताया जा रहा है कि विवादित ढांचा के ढहाए जाने के बाद पहली बार वे रामलला परिसर पहुंचे थे। बीते दिनों अस्थाई मंदिर में रामलला को शिफ्ट करने के दरम्यान जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद थे, तो वे अनुपस्थित थे। हालांकि, कोर्ट के आदेश के बाद ट्रस्ट के सदस्यों ने यहां के दर्शन और पूजन में बराबर भागीदारी की। ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद भी अब तक महंत नृत्यगोपाल दास रामलला के दर्शन करने नहीं गए थे।
वीएचपी के अनुरोध पर दर्शन के लिए तैयार हुए
विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि रविवार को वे महंत नृत्यगोपाल दास से आशीर्वाद लेने उनके मठ पर गए थे। उसी समय उन्होंने उनसे रामलला के दर्शन और परिसर में ट्रस्ट के द्वारा समतलीकरण और अन्य कार्यों का निरीक्षण करने का अनुरोध किया। उन्होंने महंतजी से कहा कि ट्रस्ट का अध्यक्ष होने के नाते यह उनके दायित्व में शामिल है। इस पर वे रामलला के दर्शन करने के लिए तैयार हो गए।
11 मई से चल रहा समतलीकरण, कई पुरावशेष मिलेबीते 11 मई से श्रीराम जन्मभूमि परिसर का समतलीकरण का काम चल रहा है। जिसमें एक दर्जन से अधिक पाषाण स्तंभ पर बनी मूर्तियों के अलावा बड़ी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, नक्काशीदार शिवलिंग और चौखट आदि मिले हैं। जिस स्थान पर ढांचे के तीन गुंबद थे, उनमें से एक के नीचे कुआं भी मिला है। इसके अलावा कई स्थानों से चांदी के छत्र, सिंहासन और रामदरबार से जुड़े कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। इस संबंध में श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट आने वाले दिनों में विस्तृत जानकारी देगा। पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने इन अवशेषों को 8वीं शताब्दी का बताया है।