लॉकडाउन में 5 बारातियों की मौजूदगी में लिए सात फेरे


- माता-पिता ने वर-वधू को आशीर्वाद के साथ दिया सेनेटाइजर

 मुलताई। लॉकडाउन के बीच ग्राम हिवरखेड़ में बगैर बैंड बाजा केवल 5 बारातियों की मौजूदगी में विवाह सम्पन्न हुआ। सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए दूल्हा-दुल्हन के अलावा दुल्हन के माता-पिता, दूल्हे की मां, गांव की सरपंच और एक अन्य ग्रामीण ब्याह में बाराती बनकर शामिल हुए। माता-पिता ने वर-वधू को आशीर्वाद के साथ सेनेटाइजर भी भेंट दिया। इसी के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी आयोजन में किया गया। 
लॉकडाउन के पहले ग्राम हिवरखेड़ निवासी मयूर करोले का विवाह बानूर निवासी निकिता के साथ 17 अप्रैल को तय हुआ था। दोनों पक्षों ने 17 अप्रैल को विवाह की तिथि निर्धारित की थी। इसके बाद लॉकडाउन हो गया। मयूर के नाम से विवाह की एकमात्र तिथि थी। इसके बाद एक साल तक मयूर के नाम से विवाह नहीं बन रहा था। लॉकडाउन की वजह से बारात ले जाना संभव नहीं था, इस पर मयूर की मां उर्मिला बाई चिंतित थीं, क्योंकि मयूर के पिता नहीं हैं। ऐसे में दोनों पक्षों ने बिना तामझाम के घर में ही विवाह कराने का निर्णय लिया। दुल्हन को लेकर पिता रामचंद्र पत्नी के साथ ग्राम हिवरखेड़ पहुंचे, जहां दूल्हे मयूर के घर में मां उर्मिला बाई ने गांव की सरपंच भागीरथी बाई, ग्रामीण चंद्रशेखर माकोड़े को बुलाया। गायत्री परिवार के सुभाष कुंभारे ने मयूर और निकिता का विवाह संपन्न कराया। 
दूल्हा-दुल्हन ने मास्क पहना
सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए दूल्हा-दुल्हन ने मुंह पर मास्क लगाया। विवाह संपन्न होने के बाद पांचों बारातियों ने आशीर्वाद स्वरूप दूल्हा-दूल्हन को सेनेटाइजर दिया। चंद्रशेखर माकोड़े ने बताया कि पहली बार गांव में इस प्रकार का विवाह हुआ है। 
वहीं घोड़ाडोंगरी तहसीलदार मोनिका विश्वकर्मा के अनुसार चोपना क्षेत्र के सालीवाड़ा बंगाली कैंप में खोकनबाला के घर पर आयोजित वैवाहिक कार्यक्रम की विधिवत अनुमति लेकर परिवार के 10 लोगों की मौजूदगी में शादी कराई गई है। इस दौरान लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। चोपना क्षेत्र में बंगाली समाज के लोग निवास करते हैं।