- विष्णुदत्त शर्मा
प्रदेश में श्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बने या यूं कहें इस प्रदेश को कांग्रेस की कमलनाथ सरकार से मुक्त हुए लगभग एक महीना पूरा हुआ है। इतना समय किसी सरकार के कामकाज, उसकी उपलब्धियों के आंकलन के लिए पर्याप्त नहीं होता। लेकिन भाजपा की इस सरकार के ये 30 दिन कई मायनों में अनूठे रहे हैं। इन 30 दिनों में सरकार, पार्टी संगठन और समाज ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में आपसी समन्वय का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह अद्वितीय है। सरकार ने बिना समय गवांए कमांडो शैली में कार्रवाई की, तो समाज पूरी उदारता के साथ प्रभावितों, जरूरतमंदों की सहायता के लिए आगे आया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी पीड़ितों की मदद के लिए नियोजित प्रयास किए। इन सम्मिलित प्रयासों ने न सिर्फ कोरोना महामारी के बढ़ते कदमों को थाम लिया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि भविष्य में आने वाली किसी भी चुनौती से मुकाबले के लिए यह एक कारगर रणनीति हो सकती है।
शून्य से शुरू हुआ सरकार का काम
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह ने जब कार्यभार ग्रहण किया, तो देखा कि प्रदेश में इस महामारी से निपटने के लिए कोई कार्य योजना नहीं बनाई गई थी, कोई आधारभूत सुविधाएं नहीं जुटाई गई थीं और न ही इस संकट से मुकाबले के लिए कोई तंत्र था। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि काम शुरू कहां से किया जाए, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने अभूतपूर्व तेजी और चुस्ती के साथ कमांडो शैली में काम करना शुरू किया। आनन-फानन में 450 कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर कंट्रोल रूम शुरू किया गया, वहीं राज्य स्तर पर अधिकारियों की कोर टीम बनाई गईं। शिवराज सरकार ने अस्पताल, आईसीयू बेड जुटाने से लेकर मास्क, सैनिटाइजर, टेस्ट किट और ईपीई किट तक जुटाने का काम शुरू किया। कोरोना टेस्टिंग के लिए प्रदेश में ही सुविधाएं जुटाई गईं। अब प्रदेश में ही रोजाना 10 हजार से अधिक ईपीई किट बनाई जा रही हैं, जिससे चिकित्सा और पुलिसकर्मियों को सुरक्षा उपलब्ध हो सकी है। प्रदेश सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में किस तेजी से काम किया है, उसका अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि एक माह से भी कम समय में प्रदेश में कोरोना टेस्ट करने वाली लैबों की संख्या बढ़कर 11 हो गई। प्रदेश में 20,243 आइसोलेशन बेड तथा 783 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। इसके अलावा 690 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं तथा प्रदेश में 23 अस्पताल सिर्फ कोरोना के उपचार के लिए ही निर्धारित किए जा चुके हैं। श्री चौहान की सरकार ने एक तरफ ये सुंविधाएं जुटाकर कोरोना महामारी पर सीधा प्रहार किया, तो दूसरी तरफ गरीबों, निराश्रितों, श्रमिकों, किसानों और आदिवासियों के लिए विशेष उपायों की घोषणा करके इन वर्गों को इस लड़ाई के अप्रत्यक्ष परिणामों से सुरक्षा दी।
उदारता से आगे आया समाज
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर बीते 22 मार्च को जनता कर्फ्यू को उम्मीदों से अधिक सफल बनाकर समाज ने यह जता दिया था कि वह न सिर्फ प्रधानमंत्री जी की भावनाओं को समझ रहा है, बल्कि इस लड़ाई में उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को भी तैयार है। यही वजह है कि लॉकडाउन के दौरान आ रही मुश्किलों को झेलते हुए भी हमारा समाज उसे सफल बनाने में जुटा हुआ है। यही नहीं बल्कि समाज ने इस लड़ाई में पीड़ितों और जरूरतमंदों की सहायता के काम में भी काफी उदारता दिखाई है। पीड़ितों की मदद करने के प्रधानमंत्री के आह्वान ने किस गहराई तक लोगों को छुआ, इसका अनुमान उन बच्चों के त्याग से लगाया जा सकता है, जिन्होंने पीएम केअर फंड में दान देने के लिए अपनी गुल्लक तोड़ दी या साइकल खरीदने के लिए एक-एक रुपया करके जोड़े हुए पैसे दान कर दिये। बड़ी संख्या में आगे आए सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने सिर्फ पीएम केअर फंड और मुख्यमंत्री सहायता कोष में उदारतापूर्वक दान ही नहीं दिया, बल्कि ये जरूरतमंद लोगों को भोजन और राशन उपलब्ध कराने में भी पीछे नहीं रहे।
पार्टी संगठन ने निभाई सामाजिक जिम्मेदारी
कोरोना महामारी से मुकाबले के बीते तीस दिनों में एक तरफ जहां प्रदेश सरकार ने इस महामारी पर सीधे प्रहार किये तो, पार्टी के करीब 05 लाख समर्पित कार्यकर्ताओं की फौज पार्टी संगठन द्वारा तैयार की गई एक सुविचारित रणनीति के तहत इस महामारी के दुष्प्रभावों से लोगों को बचाने के लिए काम करती रही। चाहे घर लौट रहे प्रवासी मजदूर हों, बेसहारा बुंजुर्ग हों या जरूरतमंद गरीब परिवार, पार्टी कार्यकर्ताओं ने हर किसी की मदद की। केंद्रीय नेतृत्व की मंशा को ध्यान में रखते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं ने समाज के सहयोग से कम्युनिटी किचन स्थापित किए, ताकि कोई भूखा न सोए। कार्यकर्ताओं ने अपने घरों में भोजन तैयार कराकर जरूरतमंदों तक पहुंचाया और पार्टी कार्यकर्ता अब तक लगभग 01 करोड़ 10 लाख भोजन पैकेट जरूरतमंदों तक पहुंचा चुके हैं। शासन और प्रशासन के साथ समन्वय करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं ने हजारों प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन, आवास और चिकित्सा की व्यवस्था की। गरीब बस्तियों में जाकर 60 लाख से अधिक मास्क और सैनिटाइजर बांटे, तो लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व भी बताया। जरूरतमंद परिवारों के बीच पार्टी कार्यकर्ता अब तक 14 लाख, 43 हजार राशन किट वितरित कर चुके हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इससे भी अधिक महत्वपूर्ण काम किया कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए संसाधन जुटाने का। पार्टी के 02 लाख 74 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं ने स्वयं तो पीएम केअर फंड में दान दिया ही है, उन्होंने अपने सामाजिक नेटवर्क के जरिए लगभग 08 लाख, 81 हजार लोगों को भी इस फंड में दान देने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा पार्टी नेतृत्व द्वारा प्रदेश के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें वरिष्ठ नेता शामिल हैं। टास्क फोर्स के सदस्य सरकार और जनता के लगातार संपर्क में हैं। मुख्यमंत्री के साथ टास्क फोर्स की नियमित रूप से बैठक हो रही है, जिसमें टास्क फोर्स के सदस्य उन्हें फीडबैक देते हैं। कुल मिलाकर बीते एक महीने में पार्टी संगठन ने जहां एक कुशल योजनाकार की भूमिका निभाई, तो कार्यकर्ताओं ने अपने आचरण से यह बता दिया कि देश और समाज के प्रति जिम्मेदार राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं को कैसा होना चाहिए।
- लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हैं