कोरोना में उम्मीद / वैक्सीन का ट्रायल-उत्पादन एक साथ शुरू करेगी पुणे की कंपनी, ट्रायल सफल हुआ तो अक्टूबर तक बाजार में आ सकती है दवा

कोरोना में उम्मीद / वैक्सीन का ट्रायल-उत्पादन एक साथ शुरू करेगी पुणे की कंपनी, ट्रायल सफल हुआ तो अक्टूबर तक बाजार में आ सकती है दवा




  • पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कंपनी 165 देशों को 20 अलग-अलग तरह की वैक्सीन सप्लाई करती है।पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कंपनी 165 देशों को 20 अलग-अलग तरह की वैक्सीन सप्लाई करती है।





  • कंपनी जून से कोरोना की वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित प्लांट से शुरू कर सकती है

  • इस वैक्सीन को कंपनी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार कर रही है 

  • खास बात यह है कि इसका ट्रायल कंपनी की ओर से मई या जून में शुरू किया जाएगा




 



पुणे. कोरोना संकट के बीच उम्मीद की एक किरण नजर आई है। पुणे की दवा कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया मई-जून में कोरोना के इलाज में कारगर एक वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल और उत्पादन एक साथ शुरू कर सकती है। कंपनी इस वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित प्लांट से शुरू करेगी। अगर ट्रायल सफल रहा तो दवाई सितंबर-अक्टूबर के बीच में उपलब्ध हो जाएगी।


'देश की मौजूदा स्थिति देखते हुए कंपनी ले रही रिस्क'


हालांकि, बिना ट्रायल सफल हुए कंपनी दवा का उत्पादन क्यों शुरू कर रही है? इस सवाल के जवाब में कंपनी की ओर से कहा गया कि कंपनी देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए एक बड़ा रिस्क ले रही है। इसलिए, ट्रायल और इसे बनाने की प्रक्रिया लगभग एक साथ शुरू करने जा रही है। अगर ट्रायल सफल रहा तो दवाई सितंबर-अक्टूबर के बीच में उपलब्ध हो जाएगी। इस वैक्सीन को कंपनी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाएगी। दवा कंपनी सीरम दुनियाभर में सबसे अधिक टीके और उसके डोज बनाने के लिए जाने जाती है।


एक हजार रुपए हो सकती है वैक्सीन की कीमत
कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया, 'हमें मई से भारत में ट्रायल शुरू कर देने की उम्मीद है। ट्रायल के सफल रहने पर सितंबर-अक्टूबर तक काफी संख्या में वैक्सीन तैयार हो जाएगी। हम भारत में एक हजार रुपए की अफॉर्डेबल कीमत पर इस वैक्सीन को तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं।'


सितंबर तक 2 से 4 करोड़ वैक्सीन का लक्ष्य
पूनावाला ने बताया, 'कोविड-19 के लिए पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध हो जाए, इसलिए उत्पादन शुरू करने का निर्णय लिया गया है। क्लीनिकल ट्रायल सफल होने की स्थिति में हम पहले छह महीनों तक 40 से 50 लाख डोज हर महीने तैयार करने के लक्ष्य के साथ काम करेंगे। उसके बाद उत्पादन एक करोड़ कर दिया जाएगा। इस हिसाब से सितंबर-अक्टूबर तक 2 से 4 करोड़ वैक्सीन की डोज तैयार हो जाएगी।'


अन्य वैक्सीन का उत्पादन होगा बंद
उन्होंने बताया, 'यह वैक्सीन पुणे स्थित सीरम कंपनी में ही तैयार की जाएगी। नया प्लांट तैयार करने में 3 हजार करोड़ और 2 साल का समय लगेगा। इसके लिए हम यहां बाकी सभी वैक्सीन का उत्पादन बंद कर देंगे। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर इस प्रॉजेक्ट में 15 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा। हमें उम्मीद है कि सरकार भी पार्टनर बनेगी, जिससे कि हम खर्चे को रिकवर कर सकेंगे।'


दुनिया में सबसे ज्यादा 1.5 अरब डोज सीरम इंस्टीट्यूट में बनते हैं
वैक्सीन के डोज के उत्पादन और दुनियाभर में बिक्री के लिहाज से सीरम इंस्टीट्यूट, पुणे दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन कंपनी है। 53 साल पुरानी यह कंपनी हर साल 1.5 अरब डोज बनाती है। कंपनी के दो बड़े प्लांट पुणे में हैं। हालांकि, कंपनी के नीदरलैंड्स और चेक रिपब्लिक में भी छोटे प्लांट्स हैं। इस कंपनी में करीब 7,000 लोग काम करते हैं।


165 देशों को दवा सप्लाई करती है
सीरम कंपनी डेंगू और निमोनिया जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए वैक्सीन बना चुकी है। इसके अलावा कंपनी 165 देशों को करीब 20 तरह की वैक्सीन की सप्लाई करती है। यहां निर्मित कुल वैक्सीन का करीब 80% हिस्सा निर्यात किया जाता है।