कोरोना लॉकडाउन / 12 ज्योतिर्लिंगों में श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगी तो भगवान खुद भक्तों तक पहुंच रहे, लोगों को खाना खिलाने से लेकर राहत कोष तक में योगदान

कोरोना लॉकडाउन / 12 ज्योतिर्लिंगों में श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगी तो भगवान खुद भक्तों तक पहुंच रहे, लोगों को खाना खिलाने से लेकर राहत कोष तक में योगदान




  • देश के 12 ज्योतिर्लिंग भक्तों की आस्था के केंद्र हैं, लेकिन कोरोनावायरस की वजह से देशभऱ मे लगाए गए लॉकडाउन के दौरान ये सभी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं। हालांकि भगवान की पूजा-अर्चना नियमित रूप से हो रही है।देश के 12 ज्योतिर्लिंग भक्तों की आस्था के केंद्र हैं, लेकिन कोरोनावायरस की वजह से देशभऱ मे लगाए गए लॉकडाउन के दौरान ये सभी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं। हालांकि भगवान की पूजा-अर्चना नियमित रूप से हो रही है।





  • लॉकडाउन के दौरान मंदिरों में सभी धार्मिक रस्मों का पालन किया जा रहा है, लेकिन श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है

  • उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर हर दिन 4 हजार भोजन के पैकेट पहुंचा रहा, त्र्यंबकेश्वर मंदिर ने राहत कोष में 51 लाख रुपए दिए




 



दिल्ली. देश के जिन 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में रोज भक्तों की भीड़ पहुंचकर भगवान को भोग लगाती थी, अब उन मंदिरों से उनके घर भोजन प्रसाद के रूप में पहुंच रहा है। सात ज्योतिर्लिंग मंदिर अपने क्षेत्र के जरूरतमंदों तक भोजन-अन्न पहुंचा रहे हैं। मंदिरों की ओर से सरकार को राहत कोष में दान भी दिया है। मंदिरों के पट केवल पूजन-आरती के लिए ही खोले जाते हैं। पुजारी भगवान की नियमित सेवा कर रहे हैं।


मंदिर प्रबंधन की तरफ से जरूरतमंदों के लिए अन्नसेवा की बात करें, तो उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से हर दिन चार हजार भोजन पैकेट शहर में पहुंचाए जा रहे हैं। ओंकारेश्वर मंदिर से 1 हजार 500, श्रीशैल मल्लिकार्जुन से एक हजार, घृष्णेश्वर मंदिर से 500, काशी विश्वनाथ मंदिर से 1 हजार 500, भीमाशंकर मंदिर से गांवों के गरीब परिवारों को अन्नदान किया गया। वहीं त्र्यंबकेश्वर मंदिर से 51 लाख रुपए राहत कोष में दिए गए हैं।


देश के 12 ज्योतिर्लिंग के हाल:



  • ओंकारेश्वर, खंडवा (मप्र): सुबह 5 बजे पट खुलते हैं। मंगला आरती, भोग आरती और शयन आरती की जाती है। यहां केवल पुजारी ही भगवान की सेवा के लिए प्रवेश करते हैं

  • महाकालेश्वर, उज्जैन (मप्र): पट सुबह 4 बजे खुलते हैं। भस्मारती के बाद दिन में सुबह 7 से रात 10.30 बजे तक नियमित पूजन-आरती होती है। रात 11 बजे पट बंद होते हैं। 

  • घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र): मंदिर के बाहर और भीतर सन्नाटा है। पुजारी रवि पुराणिक बताते हैं- सुबह 5 बजे, दोपहर 12 बजे व रात 8 बजे आरती के बाद मंदिर बंद होता है।

  • ओढा नागनाथ, द्वारिका के पास (गुजरात): सुबह 4.30 बजे आरती, दोपहर 12 बजे भोग, 4 बजे शृंगार और रात 8.30 बजे शयन आरती के बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है।

  • विश्वनाथ (वाराणसी): पुजारी विवेक गोडसे बताते हैं तड़के 3 बजे मंदिर खुलने के साथ पूजन-आरती का क्रम शुरू हो जाता है। मंगला, शृंगार, शयन व भोग आरती होती है।

  • भीमाशंकर (महाराष्ट्र): सुबह 4.30 बजे मंदिर खुलने के बाद रात 9.30 बजे तक पूजन-आरती हो रही है। मेन गेट बंद रखते हैं। शयन आरती के बाद गर्भगृह बंद होता है। 

  • रामेश्वरम् (तमिलनाडु): पुरोहित रवींद्र सतपुत्रे पंडा के अनुसार मंदिर में श्रद्धालु प्रवेश नहीं करते हैं। नियमित पूजा-अर्चना हो रही है। दक्षिण के मंदिरों में यही स्थिति है।

  • सोमनाथ (गुजरात): पुजारी कीर्तिदेव शास्त्री कहते हैं भगवान की नियमित सेवा, पूजन-आरती की जा रही है। संकट में भगवान की शरण लेते हैं। निदान के लिए अनुष्ठान होना चाहिए।

  • त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र): मंदिर में केवल त्रिकाल पूजन हो रहा है। सोमवार शाम निकलने वाली पालकी में भी केवल 5 लोग होते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पालकी निकालते हैं।

  • मल्लिकार्जुन (आंध्रप्रदेश): एक माह से कोई श्रद्धालु नहीं पहुंचा। मंदिर के चारों तरफ पुलिस तैनात है। शाम 7.30 बजे शयन आरती के साथ मंदिर के पट बंद किए जाते हैं।

  • केदारनाथ (उत्तराखंड): केदारनाथ के पट 29 अप्रैल को खुलेंगे। श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद रहेगा। 25 अप्रैल को मठ से डोली निकलेगी। पट खोलने के दौरान 15 लोग मौजूद रहेंगे।

  • बैद्यनाथ (झारखंड): सुबह 4 बजे मंदिर का पट खुलने के बाद कांचा जल एवं सरकारी पूजा के बाद मंदिर के पट बंद होते हैं। पूजा के समय पुजारी, दरोगा सहित 5 से 10 लोग रहते हैं।