डब्ल्यूएचओ की वॉर्निंग / विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा- कोरोना का सबसे बुरा दौर आना बाकी क्योंकि सिर्फ 3% लोगों में वायरस के प्रति इम्यूनिटी

डब्ल्यूएचओ की वॉर्निंग / विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा- कोरोना का सबसे बुरा दौर आना बाकी क्योंकि सिर्फ 3% लोगों में वायरस के प्रति इम्यूनिटी




  • संगठन के निदेशक डॉ. टेड्रॉस ने कहा- हालात बहुत खतरनाक हैं और 1918 के फ्लू की तरह बन रहे हैं

  • अमेरिका को लेकर टेड्रोस ने कहा- डब्ल्यूएचओ में कोई रहस्य नहीं है, हमने किसी से कुछ नहीं छुपाया


जेनेवा. अमेरिका और चीन के बीच आरोप-प्रत्यारोप और फंडिंग को लेकर पिस रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोनावायरस महामारी को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रॉस गीब्रियेसस ने कहा है कि इससे भी बुरा वक्त अभी आने वाला है और ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं कि दुनिया कोविड-19 महामारी का और ज्यादा बुरा रूप देखेगी।


उनकी चेतावनी के पीछे नए डेटा को आधार बताया जा रहा है जिसके मुताबिक पूरे विश्व में सिर्फ 2 से 3 फीसदी आबादी में ही इस वायरस की इम्यूनिटी है और बिना वैक्सीन के स्थितियां लगातार बिगड़ रही हैं।


लॉकडाउन में ढील से हालात बिगड़ेंगे


जेनेवा में मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने दुनिया के सभी देशों से अपील की है कि वे लॉकडाउन हटाने का फैसला लेने जल्दबाजी न करें क्योंकि ढील देने से स्थितियां बिगड़ सकती हैं। टेड्रोस ने कहा, "यह बहुत खतरनाक स्थिति है और मौजूदा हालात 1918 के फ्लू की तरह बन रहे हैं, जिसमें 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। लेकिन, अब हमारे पास टेक्नोलॉजी है और इसकी मदद से हम इस आपदा से बच सकते हैं।’’


वायरस अभी भी अबूझ पहेली


टेड्रोस ने कहा, ‘‘हम पर विश्वास करें। इस आपदा को रोकने में आगे आएं क्योंकि यह ऐसा वायरस है जिसे अभी भी लोग समझ नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ”हम पहले दिन से चेतावनी दे रहे हैं कि यह ऐसा शैतान है जिससे हम सभी को मिलकर लड़ना है।’’ अमेरिका से बिगड़े रिश्तों के बारे में टेड्रोस ने कहा कि डब्ल्यूएचओ में कोई रहस्य नहीं है और कोरोनावायरस के संबंध में पहले दिन से ही अमेरिका से कुछ भी छुपा हुआ नहीं है।


सिर्फ 3% इम्यूनिटी होना बड़ा डर
डब्ल्यूएचओ की टेक्निकल हेड डॉ मारिया वान केरखोव ने माना है कि संक्रमण की दर हमारी सोच से ज्यादा होगी। उन्होंने कहा कि कई स्टडीज से पता चला है कि पूरे विश्व की आबादी का केवल दो से तीन प्रतिशत हिस्सा ऐसा है जिसमें इस वायरस से लड़ने की एंटीबॉडीज हैं। अब यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये स्टडीज कैसे की गई हैं।" डब्ल्यूएचओ अब इन व्यक्तिगत प्रयोगों के लिए परीक्षण की स्थिति और तरीकों को परखेगा और किसी भी आधिकारिक आंकड़े जारी करने से पहले सटीकता के लिए उनकी जांच करेगा।


अमेरिका रोक चुका है फंडिंग


अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की फंडिंग पर 6 दिन पहले रोक लगा चुका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डब्लूएचओ पर आरोप लगाया था कि संगठन ने चीन में फैले कोविड-19 (कोरोनावायरस) की गंभीरता को छिपाया। अगर संगठन ने बुनियादी स्तर पर काम किया होता तो यह महामारी पूरी दुनिया नहीं फैलती और मरने वालों की संख्या काफी कम होती। इसके बाद चीन और अमेरिका के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। अमेरिका हर साल डब्लूएचओ को 400-500 मिलियन डॉलर फंड देता है, जबकि चीन का योगदान सिर्फ 40 मिलियन डॉलर है।


कौन हैं डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ टेड्रोस
डॉ. टेड्रोस एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं और इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री भी रहे चुके हैं। हालांकि उन पर चीन के प्रयासों की वजह से ये सर्वोच्च पद मिलने के आरोप लगते रहे हैं। वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उनके "राजनीतिक नेतृत्व' के लिए प्रशंसा कर चुके हैं। हालांकि, उन्होंने ट्रम्प की भी उनके "अच्छे कामों' के लिए प्रशंसा की है।



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