भोपाल में अस्पताल से डिस्चार्ज हुए 19 कोरोना संक्रमित

भोपाल में अस्पताल से डिस्चार्ज हुए 19 कोरोना संक्रमित;

 

आईएएस गिरीश बोले- लड़ाई दिमाग और आपके के बीच, दिमाग को शांत रखें, जीत जाएंगे



 रविवार को यहां 19 लोगों को स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया। घर जाने की खुशी उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी। - अनिल दीक्षित




  • 24 अप्रैल को यहां से 56 लोग स्वस्थ होकर अपने घर लौटे थे, राजधानी में अब तक 153 लोगों ने कोरोना संक्रमण को मात दी 

  • चिरायु अस्पताल के स्टॉफ ने स्वस्थ हुए मरीजों को दी भावभीनी विदाई, उन्हें अपने हाथों से बनाए कार्ड्स दिए, सम्मान में ताली बजाई



 


भोपाल. मध्य प्रदेश में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच अच्छी खबर आई है। रविवार को भोपाल में कोरोना संक्रमण को मात देकर 19 कोरोना मरीज घर लौट गए। स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने वालों में एक आईएएस अफसर गिरीश शर्मा और उनका बेटा, डिप्टी डॉयरेक्टर स्वास्थ्य डॉ. सौरभ पुरोहित की पत्नी डॉ. विभा पुरोहित और उनके दो नन्हें बच्चे शामिल हैं। यह चौथी बार है जब कोविड-19 के लिए डेडीकेटेड चिरायु हॉस्पिटल से एक साथ 19 कोरोना मरीज स्वस्थ होकर अपने घरों के लिए रवाना किए गए।


इसके पहले 24 अप्रैल को 56, 22 अप्रैल को 44 कोरोना मरीज और 18 अप्रैल को दो आईएएस पल्लवी जैन गोविल और जे विजय कुमार समेत 30 मरीजों ने कोरोना को हराकर अपने घर लौट चुके हैं। भोपाल में अब तक 153 लोग स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। आज डिस्चार्ज होने वाले सभी मरीजों को 14 दिन होम क्वारैंटाइन रहना होगा।


तालियां बजाईं, फूलों का गुलदस्ता दिया


कोरोना को हराकर बाहर आए सभी स्वस्थ्य हुए मरीजों के सम्मान में मेडिकल स्टाफ ने तालियां बजाईं। उन्हें फूलों का गुलदस्ता दिया गया। इसके बाद सबने अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन के प्रयासों के लिए शुक्रिया कहा। मेडिकल स्टॉफ ने सभी मरीजों को सफेद गुलाब के फूलों साथ हाथ से बनाए कार्ड्स भी दिए, जिसमें लिखा था आप कोरोना वारियर हैं और आगे अच्छे से रहे और खुश रहें। फूलों के साथ सभी कोरोना वारियर्स को भावभीनी विदाई दी गई।





अपना और दूसरों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत: आईएएस गिरीश शर्मा
सुशासन संस्थान के प्रमुख सलाहकार आईएएस अधिकारी गिरीश शर्मा ने बताया- अच्छी देखभाल और धैर्य बनाए रखकर इस बीमारी का मुकाबला किया जा सकता है। चिरायु हॉस्पिटल में हमारी बहुत अच्छी देखभाल हुई। वहां हाईली प्रोफेशनल मेडिकल स्टॉफ है। कोरोना के संक्रमण को जीता जा सकता है, बस अपना मनोबल बनाएं रखें और दूसरों का भी मनोबल बढ़ाते रहें। डॉक्टरों की सलाह मानें, दिमाग को शांत रखने के लिए मेडिटेशन और योगा करते रहें। क्योंकि ये लड़ाई दिमाग और आपके बीच है। इसलिए दिमाग को शांत रखेंगे तभी जीत हासिल होगी। मेरा 18 साल का बेटा भी था। उसका समय पेंटिग्स बनाते, मोबाइल पर फिल्में देखने और दोस्तों से बातचीत में गुजर जाता था। मेरा कुछ पढ़ते लिखते और ऑफिस का काम भी चलता था। वाट्सएप और ऑनलाइन करता था।





डर को अपने आसपास न आने दें : डॉ. विभा
एलएन मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विभा पुरोहित ने कहा कि डर को अपने आसपास न फटकने दें। डॉक्टरों की सलाह और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करें। पूरे विश्वास से कह सकती हूं कि आप जल्दी ठीक हो जाएंगे। मैंने यही किया, मेरे पति स्वास्थ्य संचालनालय में डिप्टी डायरेक्टर हैं। उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ तो हम भी संक्रमित हो गए, लेकिन वो भी डॉक्टर और मैं भी। इसलिए हमने अस्पताल में डॉक्टरों की सलाह को माना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और देखिए आज हम डिस्चार्ज हो गए। कोरोना संक्रमण होने पर बिलकुल भी न घबराएं, बीमारी को अपने मन में हावी न होने दें। यह मामूली संक्रमण की तरह ही है, बस डॉक्टर जैसा कहे, वैसा करें। थोड़ी चिंता बच्चों की लगी रहती थी। अस्पताल में इलाज के दौरान दिनचर्या तय थी, सुबह की शुरुआत योगा और प्राणायाम से करते थे, इसके बाद दवा और फिर दूसरे अन्य काम।





परिवार को अस्पताल में छोड़कर आने का मन नहीं था: डॉ. सौरभ पुरोहित
डॉक्टर सौरभ पुरोहित यूं तो 18 अप्रैल को डिस्चार्ज हो गए थे, लेकिन रविवार का दिन उनके लिए ज्यादा खुशी लेकर आया। जब उनकी पत्नी डॉ. विभा पुरोहित और दो और एक साल के दो बच्चे स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज हो गए। डॉ. पुरोहित ने भास्कर को बताया कि मैं डिस्चार्ज होने के बाद घर नहीं जाना चाहता था। मुझे पत्नी और बच्चों की चिंता थी, लेकिन मेरी पत्नी ने मुझे हिम्मत दी और कहा कि आप घर जाइए। मैं यहां पर बच्चों को मैनेज कर लूंगी। इसके बाद भी मैं घर जा सका।


डॉ. पुरोहित ने बताया कि एडमिट रहने के दौरान मैंने कभी भी कोरोना को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। चूंकि मैं और मेरी पत्नी दोनों डॉक्टर हैं। इसलिए हमने बिना घबराए डॉक्टरों की बताई लाइफ स्टाइल को फॉलो किया। स्ट्रेस को दूर करने के लिए हम लोग हर रोज ध्यान और प्राणायाम करते थे। ज्यादा से ज्यादा पानी पीते थे। मैं तो वहां पर सुबह के बाद दिन में ऑफिस के छोटे-मोटे काम भी करता था।