सफलता व्यक्ति के जीवन में एक उत्सव है


-  प्रो. संजय द्विवेदी
वह बोलता है तो लगता है कि सुनते ही जाएं। ऐसा लगता है कि दिल से बोलता है। उसकी आवाज में असर है। कहते हैं, 'गालिब का है अंदाजे बयां औरÓ। ऐसी तमाम बातें हमने अच्छी बातचीत करने वालों, बेहतर भाषण देने वालों के बारे में सुनी हैं। ऐसा क्या है कि आपका अंदाजे बयां खास हो जाता है और यही शैली आपको लोकप्रिय बना देती है। यही कम्युनिकेशन आपको आम से खास बना देता है। शायद इसीलिए हमारे लोकजीवन में यह कहावत बहुत प्रचलित है, - 'बातहिं हाथी पाइए बातहिं हाथी पांवÓ। जिसका मतलब है कि आप राजदरबार में हैं और अपनी बातचीत से राजा को खुश कर देते हैं तो हाथी भी पा सकते हैं, इसके विपरीत आपके संवाद से नाराज राजा आपको हाथी के पैरों से कुचलवा भी सकता है।  संवाद और संचार की शक्ति को अगर हम समझ जाते हैं, तो हमारी सफलताओं के महामार्ग खुद खुलते चले जाते हैं। दुनिया में हर क्षेत्र में ज्यादातर वही लोग सफल होते हैं जो अपनी बात लोगों को समझा पाते हैं। बातचीत में, वक्तव्यों में असर लाकर ही हम उन ऊंचाइयों पर जा सकते हैं, जिनका हमने सपना देखा है। सफलता व्यक्ति के जीवन में एक उत्सव की तरह है और हर व्यक्ति इसकी प्रतीक्षा करता है। कई लोग जल्दी सफल हो जाते हैं तो कुछ को प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इस इंतजार की घड़ी को कम किया जा सकता है अगर हमें खुद को व्यक्त करना आता है।
कीजिए खुद पर भरोसा: हम चार तरह से कम्युनिकेट करते हैं। लिखकर, बोलकर, इशारों-संकेतों और देहभाषा (बाडी लैंग्वेज) से। यह चारों चीजें हमारी संचार (कम्युनिकेशन) की दुनिया को खास बनाती हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है खुद पर भरोसा होना। अगर हम खुद पर विश्वास करते हैं तो इससे बड़ी कोई चीज नहीं है। कहा जाता है हमारे विचार ही हमें बनाते हैं। हमारा खुद पर भरोसा ही हमें विजेता बनाता है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि हम जो सोचते हैं, उसे पूरे आत्मविश्वास से कहें। कम्युनिकेशन स्किल एक विधा है जो साधी जा सकती है, सीखी जा सकती है। ऐसा छात्र जिसके पहली बार वाद-विवाद प्रतियोगिता में पैर कांप रहे थे, जो अपना भाषण भूल गया था। वही आगे चलकर श्रेष्ठ वक्ता बन जाता है। यानी वह वक्ता नहीं था, उसने उस विधा को साध लिया। अभ्यास से, आत्मविश्वास से उसे वह हासिल हुआ, जो उसके पास नहीं था। 
अभ्यास से मिलेगी सफलता: किसी भी प्रकार की प्रदर्शन कला संगीत, नृत्य, लेखन, भाषण, कलाएं सिर्फ सतत अभ्यास और रियाज से हासिल हो सकती हैं। अभ्यास से हर कला आपकी जिंदगी का हिस्सा बन जाती है। सिर्फ आत्मविश्वास हो किंतु रियाज या अभ्यास न हो तो हम अपनी कला को बेहतर नहीं बना सकते। कम्युनिकेशन की कला भी एक परफार्मिंग आर्ट की तरह है, जिसके लिए सतत अभ्यास जरूरी है। कई बार लोग कहते हैं कि कम्युनिकेशन स्किल जन्म से ही आती है। ऐसा नहीं होता। हम जब पैदा हुए तो हमें सिर्फ रोना आता था। किंतु हमने भाषाएं सीखीं, शब्द सीखे, वाक्य सीखे और उनके प्रयोग सीखे, यानी इसके लिए अभ्यास किया। कम्युनिकेशन स्किल की प्रैक्टिस या अभ्यास बहुत जरूरी है। हमें इसे सरल प्रयासों से सीखना होगा। बातचीत करते हुए हम प्रयास करें कि आंखों से कांटेक्ट कर बात करें। कई बार हम बात करते हुए सामने वाले से आंखें नहीं मिलाते, इधर-उधर या मोबाइल पर आंखें गड़ाए हुए बातें करते हैं तो स्वाभाविक है कि आपकी बात का असर कम होगा क्योंकि सामने वाले को लगेगा कि आपकी उसमें रुचि नहीं हैं या आप बहुत कैजुअल हैं। चेहरे पर भावनाओं का लाना जरूरी है। समय-स्थान और परिस्थिति के अनुसार सिर्फ संवाद और शैली ही नहीं चेहरे के भाव भी होने चाहिए। 
जीत सकते हैं आप: कई बार लगता है कि आखिर मैं ऐसा कैसे कर पाऊंगा। मूल बात है कि हम सोच लें तो हम कर सकते हैं। आप तय करें कि मुझे अपनी कम्युनिकेशन स्किल पर काम करना है। आप कर पाएंगे भरोसा कीजिए। पहला काम आप खुद पर भरोसा रखें। आत्मविश्वास हर ताले की चाबी है। ज्यादा लोगों से मुलाकात कीजिए, बातचीत कीजिए। इससे आपकी हिचक टूटेगी। आपको अनुभव आएगा कि विभिन्न प्रकार के लोगों से बात कैसे कर सकते हैं। अभ्यास से कम्युनिकेशन बेहतर होगा। बाडी लैंग्वेज सुधारने के लिए, आप जो कहने जा रहे हैं उसका एक आईने के सामने अभ्यास कीजिए। अनेक बड़े लोगों ने ऐसा किया है। कम्युनिकेशन की कला तो आपके भीतर है उसे निकालना भर है। भरोसा कीजिए और जीतने का मन बनाइए। ये दुनिया बांहें फैलाए आपके स्वागत में खड़ी है। आप बोल रहे होंगे और वह तालियां बजा रही होंगी। तालियों की आवाज अभी से आपके कानों में गूंज रही है न? सफलता आपकी प्रतीक्षा में है। 


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