एक्ट लागू होने पर भी नहीं बदलेगी दादाजी आश्रम में पूजन पद्धति, फिलहाल ट्रस्ट ही करेगा संचालन



खंडवा। विधानसभा में मप्र विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक पारित होने के बाद प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के साथ ही दादाजी आश्रम में भी यह लागू होगा। इसके बाद गठित इंदौर के खजराना गणेश मंदिर व उज्जैन के महाकाल की तर्ज पर यहां विकास कार्य होंगे। एक्ट लागू होने के बावजूद पूजन पद्धति में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। मध्यप्रदेश के राजपत्र में प्रकाशन होने के बाद यह एक्ट लागू हो जाएगा। फिलहाल श्री धूनी वाला आश्रम ट्रस्ट ही यहां की व्यवस्थाओं का संचालन करेगा।
यहां दर्शन करने वाले भक्त तीन पक्षों से जुड़े हुए हैं। पहला पक्ष मंदिर ट्रस्ट, दूसरा पटेल सेवा समिति और तीसरा पक्ष छोटे सरकार के समर्थक है। विधानसभा में एक्ट पारित होने के बाद ट्रस्टी सुभाष नागोरी का कहना है यह व्यवस्थित आश्रम है। इसी साल फरवरी में सीएम ने इसे बेस्ट टूरिस्ट का अवार्ड दिया। प्रदेश में कोई समाधि स्थल अभी तक अधिगृहित किया हो, ऐसा भी नहीं है। छोटे सरकार के प्रतिनिधि आर के टंडन के अनुसार अधिनियम आने से यहां की व्यवस्था यथावत रहेगी। व्यवस्थापक बदल जाएगा। जो भी नई व्यवस्था आएगी उसे मंदिर निर्माण के लिए निवेदन करेंगे। डिजाइन सरकार अप्रूव करें, उसमें कोई आपत्ति नहीं है। इसी तरह पटेल सेवा समिति के अध्यक्ष मदन ठाकरे ने कहा कि मंदिर की आय और चढ़ावे से हमें कोई लेना-देना नहीं है। समिति के सदस्य दादा दरबार में सेवा करते हैं। इससे सैकड़ों लोग जुड़े हुए हैं। छोटे दादाजी ने आश्रम के नियम मंदिर के मुख्य द्वार पर 1935 लगवाए थे। इसमें लिखा था कि दादा दरबार पब्लिक सारे आम की जायजाद नहीं है। बल्कि एक मात्र श्री दादाजी भक्तों का प्रधान गुरुद्वारा है। दरबार की सीमा के भीतर जो मंदिर, बाग, जलाशय, मकान व स्थान आदि हो या होंगे वे सब श्री दादाजी की खास जायजाद समझे जावेंगे। यह नियम परंपरा तक जारी रखना लाजिमी होगा।


पहला पक्ष: श्री धूनी वाला आश्रम ट्रस्ट
बड़े दादाजी श्री केशवानंद महाराज द्वारा समाधि लेने के बाद 22 एकड़ जमीन 1930 में छोटे दादाजी ने खरीदी थी। उन्होंने प्राइवेट आश्रम संचालन के नियम 16 जुलाई 1932 को बनाए। छोटे दादाजी की समाधि के बाद 1961 तक प्राइवेट ट्रस्ट के रूप में संचालन स्वामी चरणानंद महाराज ने किया। स्वामीजी ने अपनी इच्छा से पब्लिक ट्रस्ट बनाया। इसका संचालन छोटे दादाजी के बनाए नियमों के आधार पर होता है। इसमें 11 सदस्य है।



दूसरा पक्ष: यह है पटेल सेवा समिति
दादाजी आश्रम में पटेल सेवा समिति कई सालों से सेवा दे रही है। इस समिति का संचालन फिलहाल मदन भाऊ ठाकरे द्वारा किया जा रहा है। समिति के पूर्व अध्यक्ष स्व.कोमलभाऊ आखरे दादाजी के साथ सांई खेड़ा से आए थे। छोटे दादाजी द्वारा समाधि लेने के बाद यह समिति बनी। समिति सुबह 10 बजे नियमित नवैध लगाती है। भंडार भी होता है। इसका पंजीयन 1999 में हुआ है। समिति की दो धर्मशालाओं में 70 से अधिक कमरे हैं।


तीसरा पक्ष : छोटे सरकार के समर्थक
दादाजी भक्त रामदयाल महाराज छोटे दादाजी के समय हरिहर भवन में रहते थे। वे दादाजी के साथ सांईखेड़ा से आए थे। भक्तों ने उन्हें बड़े सरकार नाम दिया। वे हरिहर भवन में 1948 तक रहे। इसके बाद इंदौर चले गए। गुरु शिष्य परंपरा में छोटे सरकार (रामेश्वर दयाल महाराज) ने इंदौर के आश्रम की व्यवस्था संभाली। यहां संगमरमर का मंदिर बनाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए 90 ट्रक मार्बल भी लाकर रखा है।


    किसी न्यायालय की डिक्री या आदेश में या किसी प्रथा या संविदा, सनद, लिखित, विलेख या वचनबद्ध से अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी मंदिर और उसके विन्यासों का कब्जा प्रशासन, नियंत्रण तथा प्रबंधन विनिर्दिष्ट समिति में निहित होगा।



सीधी बात तन्वी सुंद्रियाल, कलेक्टर
1. विधानसभा में मप्र विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक पारित हुआ, इसमें दादाजी मंदिर भी शामिल है
हमारे पास इस संबंध में लिखित में कुछ नहीं आया, इसलिए अभी कुछ नहीं कह सकते हैं।
2. इसमें आगे क्या होगा
सरकार की ओर से जो दिशा-निर्देश मिलेंगे, उसी के अनुरूप काम करेंगे। क्या नियम तय किए गए हैं, उसे फॉलो करेंगे।
3. गत दिनों मुख्यमंत्री से मीटिंग में क्या चर्चा हुई, तीनों पक्षों से बात हुई क्या
प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने चर्चा की है। मैंने जानकारी भी मांगी थी। हालांकि अभी मिली नहीं है। जल्द ही मिल जाएगी।



आगे क्या
मप्र विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक 2019 पारित तो हो गया है। इसके बाद अधिसूचना जारी की जाएगी। इसके बाद ट्रस्ट स्वत: समाप्त हो जाएगा। उज्जैन के महाकाल और इंदौर के खजराना गणेश मंदिर की तर्ज पर दादाजी मंदिर का विकास तेजी से होगा। इसके लिए खंडवा में समिति बनेगी। जब तक अधिसूचना जारी नहीं होती, तब तक ट्रस्ट अस्तित्व में रहेगा। एक्ट कब से लागू होगा, कितना वक्त लगेगा, यह सरकार पर निर्भर करता है। यदि वह चाहे तो 15 दिन में ही प्रक्रिया पूर्ण कर इसे लागू कर सकती है।