पर्वतपुरा हाईस्कूल में 20 साल से कोई नहीं हुआ पास

- 90 प्रतिशत बच्चे फेल होते ही स्कूल छोड़ देते हैं
- महिला प्राचार्य के भरोसे चल रहा स्कूल
- इस बार भी 44 बच्चों का भविष्य अंधकार में
- संभागीय उपायुक्त ने कहा कि ऐसा लगता है, यह स्कूल हमारी सूची में है ही नहीं

धार। जिले के तिरला विकासखंड के पर्वतपुरा हाईस्कूल में 20 साल में एक भी छात्र बोर्ड परीक्षा में पास नहीं हुआ। यानी इतने सालों में परीक्षा परिणाम शून्य ही रहा। यहां के 90 प्रतिशत बच्चे फेल होने के बाद स्कूल छोड़ देते हैं। सबसे बड़ी विसंगति तो यह है कि जिला मुख्यालय पर ही आदिवासी सहायक आयुक्त की नियुक्ति है, इसके बावजूद उन्होंने कभी इस स्कूल की ओर झांककर नहीं देखा। हाईस्कूल को बने हुए भी 20 साल हो चुके हैं।
हाईस्कूल स्तर के स्कूलों के लिए अध्यापक (वर्ग दो) श्रेणी के 6 शिक्षक और एक प्राचार्य समेत 7 लोगों का स्टाफ स्वीकृत होता है। वर्तमान में यह स्कूल महिला प्राचार्य के भरोसे चल रहा है। इस बार भी यहां दर्ज 44 बच्चों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। हाईस्कूल पर्वतपुरा की प्राचार्य गुलाब बाई भिडे और प्रधानाध्यापिका समेत कई स्कूलों के प्रधानपाठकों-अधीक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। धार के सहायक आयुक्त बृजेश पांडे का कहना है कि पर्वतपुरा में शिक्षकों के साथ मारपीट हो चुकी है। बाहर से कोई शिक्षक नहीं आ रहे, जल्द ही अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करेंगे। तिरला विकासखंड के दौरे पर आए संभागीय उपायुक्त (इंदौर) गणेश भाभर पर्वतपुरा हाईस्कूल पहुंचे तो यहां की स्थिति देख चौंक गए। उन्होंने प्राचार्य गुलाबबाई भिडे से प्रगति रिपोर्ट मांगी तो पता चला कि स्कूल में 20 साल में कोई भी छात्र पास नहीं हुआ। स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति भी नहीं की गई। भाभर ने कहा कि यहां देखकर ऐसा लगता है, जैसे यह स्कूल हमारी सूची में है ही नहीं। परीक्षा परिणाम शून्य होने का मुख्य कारण यहां हिंदी विषय के शिक्षक द्वारा गणित, अंग्रेजी और विज्ञान पढ़ाना है। संभागीय उपायुक्त कार्यालय (आदिवासी विकास तथा अनुसूचित जाति विकास, इंदौर) द्वारा 2019 में करीब 500 शिक्षकों का ट्रांसफर किया गया। इन्हें सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, धार में संचालित संस्थाओं में पदस्थ करने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद जिला कार्यालय धार ने पर्वतपुरा हाईस्कूल में एक भी शिक्षक को भेजना उचित नहीं समझा। इतना ही नहीं 20 साल से निर्माण की स्वीकृति के लिए भी जिला स्तर से प्रयास नहीं किया गया। पर्वतपुरा, चाकलिया, अंबा समेत अन्य गांवों में आज भी आपराधिक गतिविधियों के चलते लोग जाने में डरते हैं। शिक्षकों के लिए स्कूल के समय के बाद शाम को लौटने और सुबह जाने के लिए बस नहीं मिलती। पर्वतपुरा से पहले खिड़किया घाट आता है। तीन किमी में 22 मोड़ हैं। अपने ही वाहन से जाने में खतरा होता है, इसलिए शिक्षक यहां नहीं जाना चाहते।


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