लोकार्पण

लोकार्पण: करवट बदलती सदी, आमची मुम्बई का
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     भोपाल 23 नवंबर। हिंदी भवन के महादेवी वर्मा कक्ष में सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती संतोष श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक "करवट बदलती सदी, आमची मुम्बई"  का लोकार्पण किया गया। कॉर्यक्रम की अध्यक्षता डा जवाहर कर्णावत ने की, मुख्य अतिथि पदमश्री रमेश शाह,  विशिष्ठ अतिथि डा स्वाति तिवारी, सारस्वत अतिथि द्वय श्री मुकेश दुबे, सुरेंद्र रघुवंशी एवं लेखिका श्रीमती संतोष श्रीवास्तव भी मंचासीन रहे। संचालन श्रीमती शशि बंसल ने किया। स्वागत भाषण श्रीमती जया केतकी ने किया। श्रीमती सुनीता ने सुरीली सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
     श्रीमती संतोष श्रीवास्तव ने पुस्तक की जानकारी देते हुए बताया कि पति शायर रमेश चंद्र श्रीवास्तव एवम कलाकार, रिपोर्टर, शायर पुत्र हेमंत के साथ, मुम्बई ने मुझे जिंदगी का फलसफा समझाया। मैंने बदलती हुई मुम्बई को बड़े करीब से देखा है, मैं 18 महीने से भोपाल में हूँ तो मुम्बई मुझसे नाराज होगी। सुरेंद्र रघुवंशी ने पुस्तक के बारे में बोलते हुए कहा, कि पुस्तक को पढ़ते हुए लगता है कि एक झरोखे से हम मुम्बई दर्शन कर रहे हैं, मुम्बई के इतिहास, गोपन कला, स्थापत्य, साहित्य, संस्कृति का युवाओं के संघर्ष का, कलाकारों, साहित्यकारों का इसमें विस्तार से वर्णन है। बहुत सारी जानकारियां मुम्बई के बारे में यह किताब देती है। डा स्वाति तिवारी का विचार था कि पुस्तक को पढ़ते हुए हम मुम्बई के अतीत में खोकर, वर्तमान में लौट आते हैं, पुस्तक में उनके संघर्ष की चुभन भी है। गूगल से प्राप्त मुम्बई की जानकारी और इनकी पुस्तक द्वारा दी गई जानकारी में अंतर है कि हम पुस्तक में इनकी धड़कनों और भावनाओं को महसूस कर सकते हैं। मुकेश दुबे ने कहा कि कोई शहर चंद लाइनों या नक्शों में कैद एक शहर नहीं होता, वरन एक जीवंत धड़कता स्थान होता है। मुम्बई के ऊपर दर्जनों किताबें लिखी गई पर वे अंग्रेजी में और अपूर्ण जानकारी युक्त लिखी गई। इस पुस्तक ने पहली बार समूची जानकारी हिंदी में प्रस्तुत की है। पुस्तक का एक वाक्य की "ब्रिटिश और बिल्ली, मुम्बई में नहीं आ सकते" एक विलक्षण वाक्य है। फिल्म निर्माण, भिन्डी बाजार, और पुरानी मुम्बई के मछेरों को, पारसी समुदाय, डिब्बे वालों , व्ही आई पी कल्चर और पर्यटन स्थलों को भी अपने पन्नों में जगह दी है। अध्यक्षता कर रहे डा जवाहर कर्णावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब कोई मुम्बई में रहकर उसको आत्मसात करता है तभी ऐसी सम्पूर्ण जानकारी युक्त पुस्तक लिख सकता है। यह मुम्बई के लिए सम्पूर्ण सन्दर्भ पुस्तक है। मुख्य अतिथि रमेशचंद शाह ने कहा कि पुस्तक में जबरदस्त पाठकीय आकर्षण है और पाठक इसको पूरा पढ़ने के लिए मजबूर हो जाता है। मैं अपने अनुभव से बता सकता हूँ की पुस्तक में दी गई जानकारी एकदम प्रामाणिक है। इसको पर्यटक साहित्य के अंतर्गत भी रखा जा सकता है। 
लघुकथा शोध केंद्र की और से सुनीता प्रकाश, सुमन ओबेराय, गोकुल सोनी, महिमा वर्मा, उषा सोनी, एवं उषा जायसवाल, क्षमा पांडे, अनीता श्रीवास्तव, कलामंदिर की और से डा गौरीशंकर शर्मा गौरीश, युगेश शर्मा, महेश सक्सेना पुरुषोत्तम तिवारी साहित्यार्थी, अशोक धमैनियाँ, डा रामवल्लभ आचार्य, आदि साहित्यकारों ने भी बधाई दी।
     अंत में विनीता राहुरिकर ने सबका आभार माना।