लोक अभियोजन अधिकारियों की न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। लोक अभियोजन अधिकारी प्रकरण प्रस्तुत करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि निर्दोष व्यक्ति को सजा न हो, जबकि दोषी छूटे नहीं। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री आनंद पाठक ने मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान परिसर सिटी सेंटर ग्वालियर में अभियोजन विभाग की संभागीय कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर यह विचार व्यक्त किए। न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।
कार्यशाला में एडीजे अशोक शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक रीजनल फोरेंसिक लैब डॉ. विनोद ढींगरा, डिप्टी कमाण्डेंट 13वीं बटालियन प्रतिभा मैथ्यू, एडवोकेट विजय दत्त शर्मा, जेएमएफसी एम एन एच रिजवी सहित मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी एम एस मीणा, विभिन्न जिलों के जिला लोक अभियोजन, अतिरिक्त लोक अभियोजन एवं सहायक लोक अभियोजन अधिकारी आदि उपस्थित थे।
पाठक ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं के माध्यम से अधिकारियों के ज्ञान का जहां विस्तार होगा वहीं अधिकारी और बेहतर तरीके से अपना कार्य संपादित कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि अभियोजन अधिकारी सामाजिक नाड़ी के रूप में हैं। ये समाज से सीधा संपर्क कर समाज में ऐसा माहौल पैदा कर सकते हैं कि छोटे-मोटे विवादों का निराकरण आपसी सुलह एवं समझौते से निपटाए जा सकें और इस प्रकार के प्रकरणों में एफआईआर दर्ज करने की नौबत ही न आए। इसके लिए समाज के बीच में विधिक साक्षरता शिविरों का भी आयोजन किया जाए। श्री पाठक ने कहा कि शारीरिक एवं मानसिक रूप से फिट रहेंगे तो कार्य की क्षमता बढ़ेगी। जिससे बेहतर तरीके से अपना कार्य कर सकेंगे। अत: जो भी कार्य करें, शांति के साथ करें।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश जाकिर हुसैन ने कहा कि लोक अभियोजन अधिकारी का कार्य कठिन एवं दुर्लभ है, लेकिन यह कार्यशाला अधिकारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक होगी।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ ने कहा कि कार्यशाला में दी गई जानकारी अनुसंधान करने वाले अधिकारियों के कार्य करने में काफी मददगार साबित होगी।
एडीजे अशोक शर्मा ने पोस्को एक्ट के प्रकरण में साक्ष्य का प्रस्तुतिकरण एवं नवीनतम न्याय दृष्टांक पर प्रकाश डाला। रीजनल फोरेन्सिक लैब के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद ढींगरा ने डीएनए, पीएम, एमएलसी, बैलेस्टिक आदि विषयों पर जानकारी दी। 13वीं बटालियन की डिप्टी कमाण्डेंट श्रीमती प्रतिभा मैथ्यू ने प्रभावशाली नेतृत्व क्षमता, समूह प्रबंधन कौशल, निर्णय लेने की क्षमता एवं समस्या सुलझाने का कौशल जैसे विषयों पर अपने विचार रखे।
एडवोकेट विजय दत्त शर्मा ने ब्रीफ आरोपतर्क अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, जेएमएफसी ग्वालियर एमएनएच रिजवी ने इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य का प्रस्तुतिकरण एवं साक्षियों के परीक्षण पर जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन अतिरिक्त लोक अभियोजन अधिकारी अनिल मिश्रा ने किया। जबकि कार्यक्रम के प्रारंभ में जिला अभियोजन अधिकारी श्री अब्दुल नसीम ने कार्यशाला के उद्देश्यों एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अभियोजन संचालनालय द्वारा निर्णय लिया गया कि संभाग स्तर पर अभियोजन अधिकारी, अतिरिक्त एवं सहायक अभियोजन अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित की जाए। इसी कड़ी में आज ग्वालियर संभाग स्तर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें 35 अभियोजन अधिकारियों ने भाग लिया।