हाय, संस्कार हो गए प्रदूषित
लड़के करते हम कैसे पोषित
शिक्षा देना हो रहा है व्यर्थ
चरित्र का,लड़के ना समझें अर्थ
बालक अबोध से,बनते वो युवा
बनते अपराधी ,खेलते जुआ
करते ना महिला,युवती सम्मान
उन्हें न परिवार,समाज का ज्ञान
घर घर मे टी वी,दर्शाते अपराध फैशन सा, लड़के लेना चाहें हर स्वाद
धन अभाव में करते चोरी,हिंसा
करते ना वो कानून की चिन्ता
समय बढ़ गया बहुत है आगे
कैसे उनमें अब संस्कार जागे
मां पिता की बढ़ी अब जिम्मेदारी
ये अलग है पीढ़ी,है नहीं हमारी
केवल कानून क्या कर सकता
वो संस्कार है नहीं भर सकता
हम लड़कों को संभल के पालें भाई बहन के सच्चे संस्कार डालें
हों ना बलात एक भी अपराध
समझे समाज अब उठे वो जाग
लड़के पायें सब उचित ही शिक्षा
माँ-पिता दें सब कड़ी ये दीक्षा
लड़की पालन भी मांगे ध्यान
मिले उसे भी शिक्षा,भाई समान
बचा सके निज लाज सम्मान
वो हमलावर से हो सावधान
कमजोर न समझे लड़की खुद को
रहे तैयार वो अकस्मात युद्ध को
बलात्कारी को अब मरना होगा
ब्रज उसे अब कानून से,डरना होगा
डॉ ब्रजभूषण मिश्र
30 नवम्बर 19