फुटबॉल बने पटाखा व्यापारी


 बैतूल शहर के पटाखा व्यापारी पिछले तीन-चार दिनों से पटाखा बाजार को लेकर यहां से वहां भटक रहे है। कभी जनप्रतिनिधि के पास जाते है तो कभी प्रशासनिक अफसरों के पास। इसके बावजूद ना उनकी मांग पूरी हो रही है ना ही उनकी समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है। आखिरकार उन्होंने हड़ताल करने का ऐलान कर दिया और उद्योग ऑफिस के सामने अपना तंबू भी गाड़ दिया है। दरअसल इन पटाखा व्यापारियों को उम्मीद थी कि प्रशासन के अनुसार उन्हे ऑडिटोरियम में दुकाने लगाने का मौका मिल जाएगा, लेकिन जिस ठेकेदार ने ऑडिटोरियम बनाया है, उसने हाथ खड़े कर दिए और ऑडिटोरियम पटाखा बाजार के लिए देने से मना कर दिया। बाद में उन्हें जेएच कॉलेज में बाजार लगाने का प्रपोजल दिया गया, पुराने रोजगार कार्यालय का भी लॉलीपॉप दिया गया। जब व्यापारियों को समझ आया कि उनके साथ केवल खेल खेला जा रहा है, प्रशासन का पूरा फोकस इस बात पर है कि हर हाल में बाजार न्यू बैतूल ग्राउंड में ही इनसे लगवाया जाए, इसलिए व्यापारी शाम होते तक आंदोलन के मूंड में आ गए और उन्होंने हड़ताल का ऐलान कर दिया। हालांकि देखना यह है कि यह सब भी कोई सियासी ड्रामा ना हो कि पहले माहौल बनाया जाए फिर कोई हीरो बनकर बीच में आए और स्टेडियम दिलवा दें।


गुमराह किया....
जो तथ्य व्यापारी सामने रख रहे है, वह जायज है, यह सभी मानते है। कलेक्टर साहब को पूर्व में ज्ञापन दिया था, वे स्टेडियम के लिए तैयार थे, लेकिन जो जानकारी है, उसके अनुसार नगर पालिका ने उन्हें गुमराह कर दिया है, इसलिए हम दर-दर भटक रहे है और कोई मदद नहीं कर रहा है। 
असलम हाजी,
व्यापारी एवं कांग्रेस नेता