बैतूल. रेत के अवैध खनन के लिए कुख्यात शाहपुर, चोपना और घोड़ाडोंगरी में कलेक्टर तेजस्वी नायक ने स्वयं सामने खड़े रहकर जांच अभियान चलवाया। मंगलवार रात 11 बजे से बुधवार अल सुबह 4 बजे तक राजस्व विभाग, पुलिस और खनिज विभाग ने संयुक्त रूप से धर-पकड़ अभियान चलाया। इस अभियान से यह तो साफ हो गया कि कलेक्टर समझ चुके है कि मैदानी अमला कहीं न कहीं रेत माफिया के साथ गठजोड़ करके चलता है। स्वयं कलेक्टर को छापामार कार्रवाई करने मैदान में उतरना पड़ा। क्योंकि इस खबर में मैदानी अमले की पोल-पट्टी खोल दी गई थी और जो शीर्षक में लिखा था कि माफिया छिंदवाड़ा, सिवनी की रायल्टी रसीदें इस्तेमाल कर रहा है, वह बात भी अक्षरस सत्य साबित हुई और डंफरों से चार ऐसी रायल्टी रसीदें जब्त हुई है, जो सिवनी जिले की थी। पूरे मामले में चोपना थाने की भूमिका लगातार सवालों के घेरे में है।
क्या संदिग्ध थानों में होगा अब बदलाव?
खनिज विभाग में सिर्फ अधिकारी और एक इंस्पेक्टर होने का अगर कोई पूरा फायदा उठा रहा तो वह है पुलिस विभाग। सारणी और शाहपुर अनुविभाग के थाने तो बस रेत में ही खुला खेल फरूखाबाद कर रहे। सूत्र का दावा है कि चोपना थाना तो आज की तारीख में रेत के खेल का सेंटर पाइंट बन चुका। इसके बाद भी हर डंपर पर 5000 हजार का वेग हर महीने देना ही पड़ता है जिन थाना क्षेत्र से डंफर गुजरते है। एक डंपर मालिक ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि शाहपुर, रानीपुर और चोपना सहित चिचोली इलाके से रेत के डंपर चलाना हो तो 5 हजार रुपए महीना देना ही पड़ता है। नही दो तो फिर धर पकड़ शुरू हो जाती है। यहा तक होता है कि खुद न पकड़ते है तो वहां के राजस्व अधिकारियों को टीप देकर पकड़ा डते है। शाहपुर में ये बहुत होता है।
संयुक्त जांच अभियान चलाया...
कलेक्टर महोदय के नेतृत्व में मंगलवार रात को पुलिस, राजस्व और खनिज विभाग ने संयुक्त रूप से शाहपुर, चोपना, घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में जांच अभियान चलाया, जिसमें चैक पॉइंट पर डंफर जब्त किए गए, खदानों का निरीक्षण किया गया। सिवनी की रायल्टी वाले चार डंफर मिले है।
० शशांक शुक्ला,
जिला खनिज अधिकारी