बाघों की सुरक्षा में जुटी मध्यप्रदेश सरकार, 81 करोड़ रुपए खर्च होंगे



भोपाल। टाइगर स्टेट का दर्जा दोबारा मिलने के बाद राज्य सरकार बाघों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो गई है। सरकार इस साल बाघों की सुरक्षा पर करीब 81 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करेगी। इससे जंगल और खेतों की सीमा पर बाउंड्रीवॉल बनाई जाएगी तो पेट्रोलिंग कैंप, ग्रास लैंड डेवलपमेंट के काम भी किए जाएंगे। दो संरक्षित क्षेत्रों से चार गांवों को भी बाहर निकालने (शिफ्ट करने) की रणनीति बनाई गई है। पिछले साल देश में सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 526 बाघ गिने गए हैं। इसके साथ ही प्रदेश ने टाइगर स्टेट का खोया दर्जा प्राप्त कर लिया है। अब बड़ी चुनौती बाघों की सुरक्षा की है, जिसे लेकर राज्य सरकार ने कैंपा फंड से बड़ी राशि ली है। इस राशि से वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट के काम करवाए जाएंगे। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर वाइल्ड लाइफ के लिए 441 काम मंजूर किए हैं। इनमें बाघों की सुरक्षा के मद्देनजर होने वाले कामों पर विशेष ध्यान दिया गया है। सरकार बाघों को शिकारियों (फंदे व जहरखुरानी घटनाओं) से बचाने के लिए नेशनल पार्क, अभयारण्य और बाघ शिकार को लेकर संवेदनशील सामान्य वनमंडलों में जंगल एवं खेतों की सरहद पर बाउंड्रीवॉल बनाएगी। वन अधिकारी इसके कई फायदे गिनाते हैं। वे कहते हैं कि पत्थरों की बाउंड्री बनने से मवेशी और अन्य पालतू जानवर जंगल में नहीं जाएंगे तो बाघ भी जंगल से बाहर नहीं आएगा। इससे मवेशी के शिकार के चलते बाघ के प्रति जनता के गुस्से को रोका जा सकता है। ऐसे में बाघ को जहर देकर, करंट और फंदा लगाकर मारने की घटनाएं रुक जाएंगी। लोग बाघ द्वारा मवेशियों के शिकार पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। 


33 क्षेत्रों में बनाई जाएगी बाउंड्री 
वन विभाग बांधवगढ़, पेंच, संजय दुबरी नेशनल पार्क, उमरिया वनमंडल और रातापानी अभयारण्य सहित 33 संरक्षित और गैर संरक्षित वन क्षेत्रों में बाउंड्रीवॉल बनवाएगा। ये क्षेत्र बाघ सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील पाए गए हैं। 


2343 हेक्टेयर में ग्रास लैंड विकसित होगा 
विभाग 2334 हेक्टेयर में ग्राम लैंड विकसित करेगा। इससे बाघों को छिपने और शिकार करने में आसानी होगी। इसका असर उनके वंशवृद्धि पर भी पड़ेगा। वन अधिकारी कहते हैं कि छिपने की अच्छी जगह मिलेगी तो वंश भी बढ़ेगा। इसके अलावा पेट्रोलिंग कैंप भी बढ़ाए जा रहे हैं। इससे बाघों पर सतत निगरानी रखी जाएगी। 


गांव विस्थापित होंगे 
बाघों की सुरक्षा के मद्देनजर वन विभाग श्योपुर के कूनो पालपुर नेशनल पार्क से खजूरी खुर्द, दुरई, खरेंडी-पलौदा, पेंच टाइगर रिजर्व के ग्राम कर्माझिरी और दक्षिण वनमंडल बालाघाट से ग्राम चिखलाबड्डी को विस्थापित करेगा। इसकी मंजूरी मिल गई है और विस्थापन के लिए 21.72 करोड़ रुपए भी मंजूर हो गए हैं।


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