सफल जिंदगी के आसान नुस्खे सिखा रहे हैं राजेंद्र





मिसाल

 

राजेद्र सक्सेना

स्किल डिवेलपमेंट ट्रेनर्स, भोपाल

 


 

हजारों युवाओं, अफसरों, महिलाओं व बुजुर्गों की जिंदगी में ला चुके हैं बदलाव

राजकुमार सोनी-

इससे पहले कि जीवन चूके,

इससे पहले कि सब कुछ छूटे।

और जीवन लगने लगे बला,

सीखें जीवन जीने की कला।।

जन्म लेना हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन इस जीवन को सुंदर बनाना हमारे हाथ में है और जब सुख की यह संभावना हमारे हाथ में है तो फिर यह दुख कैसा? यह शिकायत कैसी? हम क्यों भाग्य को कोसें और दूसरे को दोष दें? जब सपने हमारे हैं तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहिए। जब पहुंचना हमें है तो यात्रा भी हमारी ही होनी चाहिए। पर सच तो यह है जीवन की यह यात्रा सीधी और सरल नहीं है इसमें दुख हैं, तकलीफें हैं, संघर्ष और परीक्षाएं भी हैं। ऐसे में स्वयं को हर स्थिति-परिस्थिति में, माहौल-हालात में सजग एवं संतुलित रखना वास्तव में एक कला है। 

हम किन परिस्तथतियों से गुजरेंगे यह नियति निर्णय करती है, लेकिन हम किस तरह गुजरेंगे ये हमारे हाथ में है। हम हालात से कैसे निपटते हैं यह हमारे हाथ में है। ऐसे ही विरले व्यक्ति हैं राजेंद्र सक्सेना। वे स्किल डेवेलपमेंट ट्रेनिंग के जरिये हजारों युवाओं, अफसरों, महिलाओं व बुजुर्गों की जिंदगी में बदलाव ला चुके हैं। उनकी यह यह प्रक्रिया अनवरत जारी है। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के संपादित अंश। 

आप इस क्षेत्र में कब और कैसे आए?

- मैं रिटायर्ड मैकेनिकल इंजीनियर हूं। इन्टरप्रेन्योरशिप डेवेलपमेंट इंस्टीट्यूट अहमदाबाद द्वारा 2015 में आयोजित एक फैकल्टीज डेवेलपमेंट प्रोग्राम्स में हम शामिल हुए थे जिसमें देशभर के फैकल्टीज को लगातार ट्रेनिंग दी गई थी। यही ट्रेनर्स देशभर में स्किल्स डेवलेपमेंट ट्रेनिंग देने का कार्य कर रहे हैं। 2015 से ही मैं सभी प्रोग्राम्स में प्रशिक्षण दे रहा हूं। आज सैंकड़ों विद्यालयों में दौै सौ से अधिक शिविरों में ट्रेनिंग दे चुका हूं। 

आप कौन से ट्रेड की ट्रेनिंग देते हैं?

- स्किल्स को दो भागों में बांटा जा सकता है- 1. सॉफ्ट स्किल्स और 2. डोमेन एक्सपर्टीज। मैं सॉफ्ट स्किल्स की ट्रेनिंग देता हूं, जिसका उपयोग दैनंदिनी कार्यों में होता है। किसी भी व्यक्ति को सफल बनाने में विषय ज्ञान के अलावा व्यवहारिक ज्ञान भी बहुत जरूरी होता है। 

आप किस-किस को ट्रेनिंग देते हैं?

- सॉफ्ट स्किल्स, दरअसल लाइफ स्किल्स का हिस्सा ही है और लाइफ स्किल्स तो हर उम्र और हर क्षेत्र के व्यक्ति के लिए लाभकारी है। इसमें विद्यार्थी, युवक-युवतियों के अलावा महिलाएं, प्रोफेसर्स, पेरेंट्स, आफिसर्स यहां तक कि रिटायर्ड पर्सन्स भी आते हैं। हमें समाज में दूसरों के साथ कैसे सफलता पूर्वक विचार विमर्श और वार्तालाप करना चाहिए, सफलता-असफलता या प्रशंसा-आलोचना से ऊपर उठकर सही निर्णय लेना तथा कार्य करना चाहिए ये लाइफ स्टाइल में आता है। निरर्थक विचार, भय, शंका, चिंता में उलझे हुए दिमाग को कोई सकारात्मक करके रचनात्मक कार्य कैसे करें, ये लाइफ स्टाइल का मुख्य उद्देश्य है। हमारी आधी से अधिक समस्याएं इसीलिए उठ खड़ीं होती हैं कि कभी हम ठीक से समझ नहीं पाते और कभी समझा नहीं पाते। इसलिए जिंदगी उलझ जाती है। 

आजकल महिलाओं-बच्चियों पर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, रोकने के लिए क्या उपाय होना चाहिए?

-महिलाएं हमेशा जागरुक व सतर्क रहें। सेफ्टीपिन, पुलिस कंट्रोल नंबर, डायल-100, महिला सहयता नंबर और मोबाइल एप डाउनलोड कर रखें। जरूरत पडऩे पर इनका तत्काल उपयोग करें, निडर रहकर कार्य करें।

 

मोटीवेशनल स्पीकर्स की बाढ़

दरअसल, आजकल इच्छाएं तो सबकी बढ़ी चढ़ी हैं पर कल्पना में और यथार्थ में बहुत फर्क होता है। इसलिए उपलब्धियां तुलनात्मक रूप से कम होती हैं। यही अनुपात डिप्रेशन का कारण बन जाता है। ज्यादातर व्यक्ति भूतकाल और भविष्य की चिंता में इतना उलझा रहता है कि वह वर्तमान का पूर्ण सदुपयोग नहीं कर पाता, इससे भी चिंता बढ़ती है। चिंता सिर्फ समय और शक्ति ही व्यर्थ करती है। अत: समाधान और भी मुश्किल हो जाता है, इससे व्यक्ति हतोत्साहित हो जाता है। मोटीवेशनल स्पीच कुछ समय के लिए उत्साहित कर देती है, परन्तु हतोत्साहित करने वाले कारण समाप्त नहीं होते। अत: कुछ समय बाद फिर मोटीवेशन चाहिए। इसलिए हमारी कोशिश यह रहती है कि हम व्यक्ति के हाथ में कुछ सूत्र (टिप्स) दें जिनसे वह इच्छाओं को पॉजिटिव कर लेता है फिर एक-एक करके उन पर कार्य करता है। दिल द्वारा भावनाओं में उलझे रहने के बजाए दिमाग से सही निर्णय लेकर कार्य करता है, जिससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है और व्यक्ति उत्साहित रहकर कार्य में जुटा रहता है।