डिजिटल इंडिया के बढ़ते कदम

हाईटेक सिलाई मशीनों से 23 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने आजीविका

 

मिशन द्वारा 23 महिलाओं को सिखा रहे सिलाई का काम 

 

-  निखिल सोनी आठनेर 

 

आठनेर  - डीजल इंडिया का सपना लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा समाज कल्याण और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के जो काम किया जा रहा है उसकी सफलता मिलती हुई दिख रही है ऐसे ही उदाहरण हमारे आठनेर मुख्यालय स्थित आजीविका मिशन द्वारा  महिलाओं को सिलाई मशीन की ट्रेनिंग दी जा रही है । प्रस्तुत है इस पर खास रिपोर्ट ।

 

हाईटेक सिलाई मशीन से सिलाई सिख रही महिला 

पुराने पैटर्न की सिलाई मशीनों की तुलना में अत्याधुनिक तकनीक की सिलाई मशीने काम की रफ्तार बढाती है।और.समय के साथ श्रम की बचत भी करती है।इस बात को देखते हुए मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े संकुल स्तरीय महिला शक्ति संगठन ने अपनी बचत और कुछ लोन लेकर 23 अत्याधुनिक तकनीक से लैस सिलाई मशीन खरीद कर अपने रोजगार को गति देने का काम किया है।23 मे से बीस.मशीन सिलाई के लिए और तीन मशीन, काच,बटन और.इन्टरलाक के लिए क्रय की है।सभी मशीनें बिजली से चलती है।पुरानी पैटर्न की सिलाई मशीन एक दिन में चार से पाच जोडी कपडे तैयार करती है।लेकिन इन मशीनों की सहायता से दस.से बारह जोडी कपडे आसानी से तैयार हो सकते है।जनपद कार्यालय के समीप ग्रामीण आजिविका मिशन एन आर एल एम मे यह.सिलाई सेन्टर स्थापित किया है।बीस गांव के ग्राम संगठन से  बने संकुल स्तरीय महिला शक्ति संगठन ने यह सेन्टर स्थापित किया है।एक मशीन की लागत18 से.बीस हजार रुपये के करीब है।इन.मशीनों के साथ महिलाये खुद के साथ दूसरे को भी रोजगार देगी।महिला शक्ति संगठन की सीमा भुसुमकर ,कल्पना धोटे,माला ने बताया कि आधुनिक तकनीक की सिलाई मशीनों ने उनका काम आसान कर दिया है।अब ज्यादा सिलाई करके ज्यादा आर्थिक लाभ का अवसर मिलेगा। हमारे सेन्टर की यह.मशीनें ब्लाक में पहली बार आयी.है।कुछ ग्राम संगठन के कोष से और.कुछ राशि आर्थिक कल्याण बोर्ड से  लिए लोन से यह संभव हुआ है।जीन्स, टी शर्ट की सिलाई भी आसानी से होगी।अभी मास्टर ट्रेनरो से सिलाई सीख रहे है। अभी सेन्टर विधिवत प्रारंभ नहीं हुआ है।मशीनों की फिटिंग और बिजली का काम पूरा हो गया है। जूलाई से सेन्टर मे काम शुरू हो जायेगा। 

 

सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए  गणवेश तैयार किए थे 

मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े ब्लॉक की महिलाओं के समूह ने पिछले वर्ष ब्लॉक के स्कूलों के छात्रों को यूनि फॉर्म तैयार करके दी है ।पहली से आठवीं तक के बच्चों की करीब 22000  स्कूल ड्रेस महिलाओं ने खुद सिलाई करके दी है। अब नई मशीनों से प्राइवेट कंपनियों के भी काम महिलाएं कर सकेंगी। इसकी कोशिश आजिविका मिशन के अधिकारी कर रहे है।

 

महिला सशक्तिकरण के लिए किया जा रहा प्रयास

मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्लॉक प्रबंधक विनोद चढोकार ने बताया कि संकुल स्तरीय महिला शक्ति संगठन ने यह मशीनें खरीदी है। उनके कार्यालय में ही सेंटर स्थापित किया गया है इससे उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और समय के साथ श्रम की बचत भी होगी ।मशीनों में नई तकनीक से काम करने में आसानी रहेगी ।महिला सशक्तिकरण के प्रयास किया जा रहा है ।आजीविका मिशन से 500 महिलाओं के समूह जुड़े हैं। इसमें कुछ महिलाएं आटा चक्की राशन दुकान  बकरी पालन सहित अन्य व्यवसाय भी कर रही है।ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए छोटे छोटे व्यवसाय से जोडा जा रहा है।