बीजेपी सांसदों को हाईकोर्ट का नोटिस 

निर्वाचन रद्द करने का मामला : 

जबलपुर। लोकसभा चुनाव 2019 में हारे हुए कांग्रेस प्रत्याशियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है। कांग्रेस प्रत्याशियों की चुनाव याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने बीजेपी के जीते हुए प्रत्याशियों को नोटिस जारी कर 3 हफ्तों में जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सीधी लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी रीति पाठक, शहडोल से हिमाद्री सिंह, टीकमगढ़ से वीरेंद्र कुमार, होशंगाबाद से उदय प्रताप सिंह और सागर से राजबहादुर सिंह को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। जबलपुर हाईकोर्ट में कुल 9 चुनाव याचिका दायर की गई हंै, जिनमें आरोप लगाया गया है कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है। इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि वीवीपैट की पर्चियां और ईवीएम के वोटों की गिनती में रिटर्निंग ऑफिसर ने गड़बड़ी की है। वहीं कई लोकसभा सीटों पर मतगणना के दिन ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिशत चार्ज निकलीं जो कि संभव नहीं है ऐसे तमाम आरोपों को लेकर इन चुनाव याचिकाओं को दायर किया गया है। बता दें कि यह याचिका हारे कांग्रेस प्रत्याशियों ने लगाई थी और वीवीपैट की पर्चियों और ईवीएम के मिलान में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। वहीं उन्होंने सभी प्रत्याशियों पर आचार संहिता के उल्लंघन का भी आरोप लगाया गया था, जिसके बाद कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है। दरअसल, बीते दिनों मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिए राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर हुए निर्वाचन को रद्द करने की मांग की गई थी। यह याचिका मध्यप्रदेश जनविकास पार्टी की ओर से दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव चिन्ह आवंटन न करने की गलती के कारण समूची चुनाव प्रक्रिया निर्धारित नियमों के प्रकाश में ही दूषित हो चुकी है। लिहाजा, सभी विजयी सांसदों का निर्वाचन रद्द करके नए सिरे से चुनाव कराने चाहिए। याचिका में कहा गया था कि साल 2017 में रजिस्टर की गई मध्यप्रदेश जनविकास पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग से चुनाव चिन्ह आवंटित करने की मांग की थी, लेकिन आयोग ने तकनीकि आधारों पर उसका आवेदन रद्द कर दिया था। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव से पहले फिर पार्टी की ओर से चुनाव चिन्ह आवंटित करने का आवेदन दिया गया था लेकिन चुनाव आयोग ने ये कहते हुए आवेदन रद्द कर दिया कि पार्टी को चुनाव से 6 महीने पहले आवेदन करना था। ऐसे में जब पार्टी अपने चुनाव चिन्ह पर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकी, तो उसकी ओर से अब हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें चुनाव प्रक्रिया दूषित हो जाने की बात कहकर पूरे चुनाव रद्द करने की मांग की गई है।


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